बिहारी चिकनी चूत को चोद के लाल बनादिया
अब तो कभी हमारी नज़र टकराती तो बस इशारों का सिलसिला चालू हो गया था | वो हमेशा सूट – सलवार पहना करती थी जिसमें उसका तंग बदन मुझे खूब रिझाया करता था | बस मन में हमेशा यही पुकार लगी रहती की अभी जाकर इसे अपनी बाहों में दबोच लूँ | मैंने जैसे तैसे कुछ अपनी आकंशायाओं पर काबू रख ही लिया और एक दिन मेरे पल्ले ऐसा सुहाना मौका भी आ लिया जिस दिन भरी दोपहर वो बस अपनी दूकान में अकेली ही थी | हमारी इशारों में हाय – हेल्लो बताओ हो रही थी तभी मैंने उसे कहा की क्या मैं कुछ देर के लिए उसके पास आकार बता कर सकता हूँ | उसने भी हामी भर दी और मैं जब गया तो वहीँ कुछ देर बात करने लग गए और मैं उसकी भरके तारीफों के फुल बांधे जा रहा था | मैंने उसे कहा की मैं उसे कुछ दिखलाना चाहता हूँ जिसके लिए वो कुछ देर के लिए अपनी दूकान बंद कर सकती है और हम अंदर कुच्छ बात कर लेंगे . .!! उसे मेरी हरकत समझ में आ गयी और थोडा मस्का मारा तो उसने अपनी दूकान बंद कर ली और अब अँधेरे में दूकान में ही थे |