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Tuesday, April 29, 2014

मामाजी के साथ वो पल, hindi sex stoies

मामाजी के साथ वो पल


 आज आपको अपनी ऐसी ही एक कहानी सुनाती हूँ। मैं उस वक़्त बी ए के दूसरे साल में थी, अकेली रह कर पढ़ती थी। परीक्षा से पहले पढ़ाई की छुट्टियों में मैं घर जाने की जगह वहीं पास में अपने रिश्ते के एक नानाजी के यहाँ रुक गई। वहाँ नाना-नानी, मौसी और मेरे मामा रहते थे। मामा मुझसे सिर्फ 5 साल ही बड़े थे और हम दोनों काफी खुले हुए हैं आपस में। वो मुझसे अपनी हर बात कह देते थे और मैं भी। वहाँ दोपहर को सबकी सोने की आदत है, उस दिन भी सब सो रहे थे और मैं और मामा पीछे के कमरे में बिस्तर पर बैठ कर बातें कर रहे थे। बातें करते करते मैं लेट गई, मामा वहीं पीठ टिका कर बैठे थे इसलिए मेरे स्तन उन्हें साफ़ दिखाई दे रहे थे। उनकी आँखे नशीली होने लगी। धीरे से वो मेरे बालों में हाथ फेरने लगे, मुझे अच्छा लग रहा था। मैं उनसे सट कर लेट गई। मेरा चेहरा उनकी तरफ था, वो मुझे सुलाने लगे, मैंने अपना एक हाथ उनकी ताँगों के ऊपर रख दिया। मैंने एक चादर ओढ़ी हुई थी जिसे उन्होंने अपने ऊपर भी डाल लिया। उनका एक हाथ मेरे बालों में और एक हाथ मेरे हाथों से होते हुए मेरी पीठ पर था।

कामुक और उत्तेजक शायरी, sexy poem

हमारी एक मुस्कुराहट पर वो हमसे सेक्स कर बैठे; 
वाह वाह। 
हमारी एक मुस्कुराहट पर वो हमसे सेक्स कर बैठे; 
वो पैंटी पहनने ही वाली थी कि हम फिर से मुस्कुरा बैठे।



अर्ज़ किया है: 
उड़ती हुई फ्रॉक को काबू में रखो; 
उड़ती हुई फ्रॉक को काबू में रखो; 
वाह! वाह! 
पैंटी ना पहनो कोई बात नहीं, कम से कम बगीचा तो साफ़ रखो।





मोहब्बत बहुत अच्छी है वार (War) से; 
क्योंके कंडोम सस्ते मिलते  हैं तलवार से।


Hindi Dirty Jokes, संता बंता चुटकुले,

साली अपने जीजा से: अगर आप ने ज़बरदस्ती मुझे चूमना चाहा तो आप जानते हो मैं क्या करुँगी? 
जीजा: नहीं। 
साली: तो आप जानना भी नहीं चाहते क्या?







Monday, April 28, 2014

जल्दी कुछ करोhindi sex stoies,


जल्दी कुछ करो
यह कहानी मेरे पहले सेक्स की है जब मैं ग्यारहवीं कक्षा में थी! मेरे स्कूल में को-एजुकेशन थी यानि की लड़के और लड़कियां साथ में पढ़ते थे ! घर से स्कूल लगभग दो किलोमीटर दूर था, कभी पापा स्कूल छोड़ आया करते थे कभी मैं खुद पैदल में चली जाया करती थी !
ओह्ह्ह्ह सॉरी आप बोर हो रहे होंगे, सो मुद्दे पे आती हूँ !
एक दिन मैं साइकिल से स्कूल जा रही थी। उस दिन सुबह से हल्की हल्की बारिश हो रही थी। एक मन था कि स्कूल न जाऊँ पर फिर भी मैं चली गई ! रास्ते में कीचड़ था। तभी एक रिक्शे वाले ने जानबूझकर मेरी साइकिल में साइड मार दी, जिससे मैं नीचे गिर पड़ी और मेरे सारे कपड़े कीचड़ से गंदे हो गए ! तभी विकास ने उस रिक्शे वाले को भाग कर पकड़ लिया !
विकास मेरी क्लास में था और मेरी अच्छी दोस्ती थी उससे ! पर मैंने उस तरफ ध्यान नहीं दिया क्योंकि मेरे सारे कपड़े गंदे हो चुके थे और कोहनी भी थोड़ी छिल गई थी। मेरी आँखों से आंसू टपक पड़े ! मुझे अपने आप पर बड़ी कोफ़्त हुई कि इससे तो स्कूल ना में आती तो अच्छा होता !
तब तक विकास रिक्शे वाले को मरता हुआ मेरे पास ले आया। वो लगातार उस रिक्शे वाले को मार रहा था और गन्दी गन्दी गालियां दे रहा था ! विकास का घर सामने वाली गली में में था इसलिए वो और रोब झाड़ रहा था !
विकास ने रिक्शे वाले के कॉलर को झटका दिया और बोला- भोसड़ी के ! तुझे इतनी बड़ी साइकिल नहीं दिखी, साले गांडू !!!!!
रिक्शा वाला हाथ जोड़ कर बोला- भाईसाब ! गलती हो गई माफ़ कर दो !
तब तक काफी भीड़ इकठ्ठा हो चुकी थी।
विकास बोला- साले, मुझसे क्या माफ़ी मांगता है मादरचोद … इन से माफ़ी मांग … विकास का इशारा मेरी तरफ था … !
मुझे गुस्सा तो बहुत आ रही थी पर भीड़ के सामने अच्छा भी नहीं लग रहा था !
तब मैंने विकास को बोला कि रिक्शे वाले को जाने दे !
पर विकास ने दो और थप्पड़ जड़कर ही रिक्शे वाले को जाने दिया !
और विकास मेरे पास आकर बोला- अरे रश्मि, तुम्हारे तो सारे कपड़े गंदे हो गए ! अब स्कूल कैसे जाओगी ???????
"नहीं ! अब स्कूल नहीं जाउंगी, वापस घर जाऊँगी !"मैंने जबाब दिया!
इन कपड़ो में वापस घर ? नहीं नहीं ! चलो, मेरे घर चलो वहां आराम से कपडे साफ़ कर लेना ! विकास ने मेरी साइकिल को उठाते हुए कहा !
मैंने कुछ सोच कर कहा- चलो, यही ठीक रहेगा ! पर तुम भी तो स्कूल के लिए लेट हो जाओगे ??????
अरे ! आज स्कूल में क्या घंटा करेंगे जाकर ? बारिश में तो मैडम भी नहीं आती पढ़ाने ! वो हँसता हुआ बोला !
और मेरे साथ चल पड़ा मेरी साइकिल लेकर पैदल पैदल !
उसका घर सामने ही था ! अपने घर के सामने साइकिल स्टैंड पर लगा कर विकास घर का ताला खोलने लगा !
विकास, क्या घर पर कोई नहीं है तुम्हारे? मैंने पूछा!
विकास- नहीं !
क्यों ? अंकल आंटी कहाँ गए हैं? मैंने फिर सवाल किया !
विकास- अरे मम्मी, पापा तो ऑफिस चले जाते हैं ना ! और नेहा दीदी अपने कॉलेज गई हैं !
ओके ! मैं हल्के से सब बात समझने के अंदाज़ में बोली !
विकास की मम्मी, पापा सरकारी बैंक के कर्मचारी थे ! और नेहा उसकी बड़ी बहन थी जो कॉलेज में थी ! उस समय घर में मेरे और विकास के अलावा कोई नहीं था ! मुझे इसमें कोई परेशानी नहीं थी क्योंकि विकास मेरा अच्छा दोस्त था और मेरी में उम्र का था।

Saturday, April 26, 2014

Hindi Dirty Jokes, गंदे चुटकुले,

Hindi Dirty Jokes, गंदे चुटकुले

एक औरत दुकानदार के साथ ब्रा और पैंटी के लिए मोल-भाव कर रही थी।

दुकानदार: भाभी जी, ब्रा में मैंने आपका दिल रखा है, लेकिन पैंटी में आपको मेरी ज़ुबान रखनी ही पड़ेगी।


भक्त: बाबा चूत और चूतिये में क्या अंतर है?
बाबा: जो आदमी को पागल कर दे उसे चूत कहते हैं, और जो चूत के पीछे पागल हो जाये उसे चूतिया कहते हैं।

गंदे चुटकुले, Hindi Sexy Jokes,

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अनमोल वचन:<br/>
अगर आप अपनी उंगलियों का उपयोग अपनी ही गलतियों को गिनने के लिए करोगे।<br/>
तो;<br/>
दूसरों की गांड में ऊँगली करने का वक़्त ही नही मिलेगा

Hindi Dirty Jokes, संता बंता चुटकुले

 Hindi Dirty Jokes, संता बंता चुटकुले

पहली वेश्या दूसरी वेश्या से बोली, "लगता है ग्राहक आ रहा है।"

दूसरी वेश्या ने पूछा: तुझे कैसे मालूम?

पहली ने कहा, मुझे 'लिंग' (Penis) की खुशबु आ रही है।

दूसरी ने जवाब दिया: वो तो मैंने डकार मारी थी।

Hindi Dirty Jokes,गंदे चुटकुले

 Hindi Dirty Jokes,गंदे चुटकुले


गर्लफ्रेंड: यह क्या, कंडोम कहाँ है? 
बॉयफ्रेंड: सरप्राइज, आज बिना कंडोम के करेंगे। 
गर्लफ्रेंड: साले, अगर 9 महीने बाद मैं सरप्राइज दूंगी तो लौड़े जैसी शक्ल मत बनाना।

देर से ही सही, चुद तो गई,hindi sex story

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कुँवारी चाची की चुदाई,hindi sex stoies,

कुँवारी चाची की चुदाई

मेरा नाम सँदीप है उस समय मेरी उम्र २३ साल थी जब मेरे छोटे चाचा की शादी हुई थी। मैं घर कम ही जाता था क्योंकि उस समय मैं इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा था, पर उन दिनों मेरे घर में दो शादियाँ थी एक मेरे चाचा जी की और दूसरी मेरे बुआ के लड़के की। इसलिए न चाहते हुए भी मुझे घर जाना पड़ा। पर मुझे क्या पता था कि वक़्त मेरी जवानी को नया रंग दिखलाना चाहता है।

मेरी घर में बहुत इज्जत है क्योंकि मैं पढाई में बहुत तेज हूँ और छोटे चाचा ८ क्लास के बाद नहीं पढ़े। जब मैं शादी में गया तो चाची को देखता ही रह गया। वो बहुत मस्त थी, उस समय उनका फिगर ३२-२८-३४ था। चाचा और चाची की जोड़ी बिल्कुल नहीं जम रही थी, जैसे लंगूर के हाथ में अंगूर या हूर !
मन तो कर रहा था कि ये अंगूर मुझे खाने को मिल जाये !
घर में शादी के बाद एक रिवाज़ की वजह से पहली रात चाची को अलग सोना था। घर पर मेहमान काफी थे इसलिए मैं पहले से जा कर चाची के कमरे में सो गया। चाचा को बाहर ही सोना था। रात में मेरी नींद खुली तो देखा कि चाची मेरे बगल में सोयी हैं, शायद शादी की वजह से उन्हें थकान बहुत थी इसलिए वो बेधड़क सो रही थी। उनका पल्लू सीने से हट गया था। उनकी काले रंग की ब्रा देख कर मेरा ७ इंच का लंड बेकाबू हो गया।

Thursday, April 24, 2014

देसी लडकियों की सेक्सी स्कैंडल्स वीडियोस

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चंडीगढ़ की बारिश,hindi sex story,


चंडीगढ़ की बारिश

मैं २७ साल का जवान लड़का हूँ और चंडीगढ़ में प्राइवेट जॉब करता हूँ। आज से दो साल पहले फरवरी २००७ को मैंने सेक्टर ३४ में एक नया घर एक पेइंग गेस्ट के तौर पर लिया। मकान मालिक घर के ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे और मैं ऊपर की मंजिल पर अकेला रहता था। मकान मालिक के परिवार में एक ६० साल की बुजुर्ग औरत, उसका ३० साल का जवान बेटा(रितेश) और २७ साल की जवान बहू(रूचि) रहते थे। मकान मालिक की एक १८ साल की नौकरानी(कम्मो), हर रोज मेरी सुबह की चाय, ब्रेकफास्ट और डिनर ऊपर मेरे कमरे में दे जाती थी।
मैं तब तक बहुत ही शरीफ लड़का था और अपने काम में बहुत व्यस्त रहता था। लेकिन एक दिन जब मैं सुबह नहा कर बाहर निकला तो देखा कि कम्मो दरवाजे के छेद से मुझे देख रही थी। जब मैंने दरवाजा खोला तो वो घबराकर वापिस जाने लगी, मैंने उससे पूछा- क्या कर रही थी?
तो बोली- आप की चाय लेकर आई थी और शरमा के कमरे से बाहर भाग गई।
उस दिन से मेरा उसको देखने का नजरिया बदल गया। अगले दिन वो जब चाय लेकर आई तो मैंने उसके शरीर को ऊपर से नीचे तक ध्यान से देखा। वो जवानी की दहलीज पे कदम रख चुकी थी, उसके स्तन छोटे छोटे अमरूदों की तरह थे और उसका कमसिन गदराया बदन किसी की भी नियत बिगाड़ सकता था, वो मुझे इस तरह नजरें गड़ा कर देखते हुए देख कर शरमा गई और हंसती हुई कमरे से बाहर निकल गई। मैं समझ गया कि लोहा गरम है और खुद को कोसने लगा कि एक महीने से मैंने उसकी तरफ ध्यान कैसे नहीं दिया। उस रात मैं उसे चोदने के प्लान ही बनाता रहा।

Sunday, April 20, 2014

मज़ा आने वाला है, hindi sex stoies,

मज़ा आने वाला है

नमस्ते दोस्तों
मेरा नाम शाम है। अब मैं आपको अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। मैं गुजरात के एक शहर में रहता हूँ।
मेरा घर एक सरकारी कॉलोनी के पास है। मैं क़रीब २२ साल का था। तब मैंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की और अभी कोई नौकरी पर नहीं लगा था। तब मैं और मेरे दोस्तों ने मिलकर एक धंधा शुरु किया। जिसमें हम पास की सरकारी कॉलोनी, जहाँ पर सभी लोग बाहर से रहने आते थे, उनको यह पता नहीं होता था कि इस शहर में कौन सी चीज़ कहाँ मिलती थी, उन्हें हम उनके काम का सामान घर तक पहुँचवाने का काम करते थे, और इससे अच्छी कमाई होती थी।
अब मैं कहानी पर आता हूँ।
वैसे तो मैं और मेरे दोस्त बड़े ही रोमांटिक थे और वहाँ की औरतें भी काफ़ी सेक्सी होतीं थीं। मीना जो कि एक क्लास टू ऑफिसर की बीवी थी, उनकी शादी को अभी कुछ ही महीने हुए थे। वह देखने में बहुत ही सेक्सी थी। उसकी फिगर ३४-२८-३८ होगी। ऊँचाई क़रीब ५.८ होगी। मेरी नज़र पहले दिन से ही उस पर थी। ख़ास कर उसके चूतड़ों को देखकर मैं पागल ही हो जाता था। दिन में एक बार तो किसी न किसी बहाने से उसके घर चला ही जाता था। बहाना न हो तो भी मैं 'कुछ चाहिए', यह पूछने के बहाने चला जाता था। अक्सर उसका पति जो कि ऊँची पोस्ट के कारण सुबह ९:३० को चला जाता था और शाम को देर से आता था। तब से मैं यह ख़्वाब देखता था कब जा कर मैं इस को चोदूँ और हर रोज़ उस के ख्याल से मैं मुठ मारता था।
एक दिन की बात थी जब मैं कुछ सामान देने के बहाने उनके घर शाम को गया तब घर का दरवाज़ा खुला था। और मैं बिना थोक किए बिना ही घुस गया। मैंने देखा तो मीना सिर्फ ब्रा और पैन्टी में ही थी और आईने के सामने बैठकर तैयार हो रही थी। मुझे देख उसने कोई हरक़त नहीं की, ना ही अपने आप को ढँकने की, न ही घबराई। और मैंने जैसे शर्म आ रही है, ऐसा नाटक करते हुए सॉरी कह कर घर से बाहर जाने का उपक्रम किया।
उसने कहा- अरे तुम कहाँ जा रहे हो? तुम तो बड़े शर्मीले हो। क्या इससे पहले तुम ने कभी किसी औरत को इस तरह नहीं देखा है?
मैंने कहा- नहीं !

Monday, April 14, 2014

दीदी, जीजाजी और पारो,Hindi Sex Stories,

दीदी, जीजाजी और पारो
मेरे परिवार में मैं, पिताजी, माताजी और मुझ से तीन साल बड़ी दीदी हैं, जिनका नाम है शालिनी। मैं और दीदी एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। भाई-बहन से अधिक हम दोस्त हैं। हम एक-दूसरे की निजी बातें जानते हैं और मुश्किल में राय भी लेते-देते हैं। सेक्स के बारे में हम काफ़ी खुले विचार के हैं। हालाँकि हमने आपस में चुदाई नहीं की है। जब मैं छोटा था तो वह अक्सर मुझे नहलाती थी। उस वक़्त मात्र कौतूहल से दीदी मेरे लौड़े के साथ खेला करती थी। मुझे गुदगुदी होती थी और लौड़ा कड़ा हो जाता था। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई तैसे-तैसे हमारी छेड़-छाड़ बढ़ती चली गई। तब मैं अट्ठारह साल का था और वो इक्कीस साल की। तब तक मैंने उसकी चूचियाँ देख लीं थीं, भोस देख ली थी और उसने मेरा लंड हाथ में लेकर मूठ मार दिया था। चुदाई क्या है, कैसे की जाती है, क्यूँ की जाती है, यह सब मुझे उसी ने सिखाया था।
कहानी शुरु होती है शालिनी की शादी से। पिताजी ने बड़ी धूम-धाम से उसकी शादी की। बारात दो दिनों की मेहमान रही। खाना-पीना, गाना-बजाना सब दो दिनों तक चला। जीजाजी शैलेश कुमार उस वक्त तेईस साल के थे और बहुत ख़ूबसूरत थे। दीदी भी कुछ कम नहीं थी। लोग कहते थे कि बड़ी सुन्दर जोड़ी है।
बारात में एक लड़की थी- पारुल, जीजू की छोटी बहन यानि दीदी की ननद। भाई-बहन भी एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे। पारो पाँच फुट लम्बी, गोरी और पतली थी। गोल चेहरे पर काली-काली बड़ी आँखें थीं। बाल काल और लम्बे थे। कमर पतली थी और नितम्ब भारी थे। कबूतर की जोड़ी जैसे छोटे-छोटे स्तन सीने पर लगे हुए थे। मेरी तरह वो भी बचपन से निकल कर जवानी में क़दम रख रही थी।
क्या हुआ, कुछ पता नहीं, लेकिन पहले दिन से ही पारो मुझसे नाराज़ थी। जब भी मुझसे मिलती तब डोरे निकालती और हुँह -- कहकर मुँह बिचका कर चली जाती थी। एक बार मुझे अकेले में मिली और बोली: तू रोहित है ना? पता है? मेरे भैया तेरी बहन की फाड़ कर रख देंगे।
ऐसी बेहूदी बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया। भला कौन दूल्हा अपनी दुल्हन की झिल्ली तोड़े बिना रहता है? अपने आप पर नियंत्रण रख कर मैंने कहा: तू भी एक लड़की है ना, एक ना एक दिन तेरी भी कोई फाड़ देगा।
वह मुँह लटकाए वहाँ से चली गई।