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Friday, February 28, 2014
मेरी छोटी बहन की जबर्जस्त चुदाई , हिंदी सेक्सी कहानियाँ(Hindi Sex Stories)
मेरी छोटी बहन की जबर्जस्त चुदाई
मेरी एक छोटी बहन है जिसका नाम रेखा है।
उसकी उमर १८ साल की है मेरी उमर २० साल की है। मेरी बहन की चूची काफ़ीसुडौल है, मेरी नज़र जब भी उसकी चूची पर जाती है तो उसे दबाने
की इच्छा होती है। किन्तु मैं मां-बाप के डर के कारण कुछ नहीं कर सकता हूं। एक दिन घर में बहुत से मेहमान आ गये जिसके कारण सोने के जगह की कमी होने लगी। किसी तरह एडजस्टमेंट किया गया। मैं और मेरी बहन जमीन पर सो गये। रात में ठंड के कारण मेरी बहन मेरे से सट गयी, मैने भी मौके का फ़ायदा उठाते हुए उसकी चूची पर हाथ रख दिया और धीरे
धीरे सहलाने लगा, उसकी चूची काफ़ी हार्ड थी। चूची छूने के कारण मेरा लंड खड़ा हो गया। अचानक मेरी बहन की आंख खुल गयी और वो हमसे दूर हो गयी, दूसरे दिन सभी लोग मेहमान को घुमाने बाहर गये। मेरी बहन नहीं जा सकी क्योंकि उसका दूसरे दिन एक्साम था। मैं भी घर में ही रह गया। दोपहर में खाने के बाद वो सो गयी, घर में सिर्फ़ मैं ही दोनो थे। उसको सोता देख कर उसकी बुर चोदने की इच्छा होने लगी किन्तु डर के कारण हिम्मत नहीं हो रही थी।
Thursday, February 27, 2014
सुहागरात में कसी हुई चुत की धुलाई
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Wednesday, February 26, 2014
सेक्सी कविता, sexy poem,
उस्ताद खान साहब ने आजकल की लडकियों का
हौसला देखते हुए एक शेर अर्ज़ किया है, गौर दीजिए
वक़्त कहता है मुझे गवा मत,
दिल कहता है मुझे लगा मत,
प्यार कहता है मुझे आजमा मत,
और आज कल की गर्लफ्रेंड कहती है:
"डाल-डाल, तू घबरा मत"
Tuesday, February 25, 2014
मैडम की ज़वानी चुदाई की दीवानी
हेलो दोस्तो, मैं गुड़गाव का रहने वाला हूँ, मैं आपको कहानी बताने जा रहा हूँ, यह मेरी पहली कहानी है।बात तब की है जब मैं कम्प्यूटर कोर्स करने के लिए ऑफ़टेक मेंजाता था। वहाँ पर हमारी टीचर सुमन नाम की महिला थी, उसका रंग तो बिल्कुल साफ नहीं था लेकिन उसका फिगर शायद ही किसी हिरोइन से कम हो, दिखने में तो वो हुस्न की मलिका थी, मुझे वो बहुत अच्छी लगती थी, उसको देखते ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था। लेकिन एक समस्या थी कि वो मुझसे एक साल बड़ी थी, लेकिन मैं कुछ ज़्यादा हेल्दी हूँ तो वो मुझसे बड़ी नहीं लगती थी। मैं उसका दीवाना बन गया था, मुझे सब कुछ पता होते हुए भी मैं उसे कुछ ना कुछ पूछता रहता ताकि वो मेरे पास ही रहे। धीरे धीरे हम अच्छे दोस्त बन गये लेकिन तब तक उसके दिल मेरे लिए कुछ नहीं था। फिर ऐसे ही मैं उसका पीछा करने लगा और जब उसको घर जाना होता तो मैं वहाँ चला जाता और बोलता कि किसी काम से यहाँ आया हूँ, और फिर मैं कभी कभार उसको उसके घर भी छोड़ने चला चला जाता। लेकिन मैं उसको उसके घर के बाहर ही छोड़ता था क्योंकि इससे उसकी पर्सनल लाइफ में परेशानी हो जाती। फिरतो उसको भी मेरी आदत सी हो गई। फिर एक दिन जब उसके घर जाने का समय हुआ तो काफ़ी तेज बारिश होने लगी, मैंने उसको अपने साथ चलने के लिए बोला तो उसने मना कर दिया लेकिन मैंने उसको ज़ोर देकर मना लिया। जब हम निकले तो बारिश और भी तेज हो गई थी और हम दोनों बिल्कुल भीग गये थे, उसके बूब्स मेरी कमर से लग रहे थे तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, मैं गर्म भी होने लगा था। कुछ देर बाद उसको सर्दी लगने लगी तो मैंने बाइक और तेज कर दी और वो मुझसे चिपक गई। हम उसके घर तक पहुँच गये, मैंने उसको उतारा और चलने लगा तो उसने बोला- तुम काफ़ी भीग गये हो, चाय पीकर जाना। मैंने मना किया लेकिन वो नहीं मानी और हम दोनों अंदर गये। उसका पति ऑफिस गया हुआ था, घर पर हम दोनों के अलावा कोई नहीं था। वो बिल्कुल भीग गई थी, उसके उरोज़ टीशर्ट में से बिल्कुल साफ दिख रहे थे, उसने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी। उसने मुझे बाइक पर ही गर्म कर दिया था, तब से मेरा लण्ड खड़ा ही था जो मेरी फॉर्मल पैंट से साफ दिख रहा था और शायन उसने देख भी लिया था। उसने मुझे बैठने को कहा और वो खुद वॉशरूम में कपड़े बदलने चली गई। पाँच मिनट बाद वो नाइटसूट पहन कर आई लेकिन उसने ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए उसकी चूचियाँ बहुत मस्त लग रही थी। फिर उसने मुझसे चेंज करने के लिए बोला तो मैंने मना कर दिया। फिर वो चाय बनाने के लिए रसोई में चली गई, थोड़ी देर बाद चाय बनाकर लाई, हम दोनों चाय पीते हुए बातें करने लगे। मेरी तो नज़र उसकी छाती पर थी, उसको पता भी था कि मैं उसके वक्ष को देख रहा हूँ। उसने मेरे खड़े लण्ड को देख कर मेरे दिल का इरादा जान लिया
Monday, February 24, 2014
बुटीक वाली आन्टी की चुदाई की प्यास ,हिंदी सेक्सी कहानियाँ(Hindi Sex Stories)
मेरा नाम पंकज है और मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ। मैं एक कॉल बॉय हूँ, यह मेरी पहली कहानी है, मेरे जीवन
की सच्ची घटना है।
यह उस वक़्त की बात है जब मैं पढ़ता था। हमारे घर के बगल में एक महिला दर्जी की दुकान यानि बुटीक
थी जो उन्होंने घर में ही खोल रखी थी। मैं उन्हें आंटी कहता था पर उनका नाम अनीता है, उनके परिवार में
उनका पति, उनकी बेटी और एक छोटा बेटा था।
अनीता आंटी बहुत ही कमसिन औरत थी, शादी के इतने दिनों बाद भी उनकी खूबसूरती बरकरार थी, वो बहुत गोरी,
पतली, कमर 28, चूचियाँ 34 साइज़ की और चूतड़ ऐसे कि देखते ही किसी का भी लण्ड खड़ा हो जाये। पर
उसका पति एक काला सा आदमी था वो शायद अपने पति से खुश नहीं थी और हमेशा लड़ती रहती थी, मेरा उनके घर
कभी-कभार आना जाना था और हमेशा दिमाग में उसको चोदने का ख्याल रहता था।
जब भी मैं उनके बुटीक पर जाता और वो झुकती तो उनकी गोरी चूचियाँ उसके सूट में से साफ़ दिखाई देती और
मेरा लण्ड उनको चोदने के सपने देखने लगता। पर मैं उसे मुठी मार कर शांत कर लेता।
की सच्ची घटना है।
यह उस वक़्त की बात है जब मैं पढ़ता था। हमारे घर के बगल में एक महिला दर्जी की दुकान यानि बुटीक
थी जो उन्होंने घर में ही खोल रखी थी। मैं उन्हें आंटी कहता था पर उनका नाम अनीता है, उनके परिवार में
उनका पति, उनकी बेटी और एक छोटा बेटा था।
अनीता आंटी बहुत ही कमसिन औरत थी, शादी के इतने दिनों बाद भी उनकी खूबसूरती बरकरार थी, वो बहुत गोरी,
पतली, कमर 28, चूचियाँ 34 साइज़ की और चूतड़ ऐसे कि देखते ही किसी का भी लण्ड खड़ा हो जाये। पर
उसका पति एक काला सा आदमी था वो शायद अपने पति से खुश नहीं थी और हमेशा लड़ती रहती थी, मेरा उनके घर
कभी-कभार आना जाना था और हमेशा दिमाग में उसको चोदने का ख्याल रहता था।
जब भी मैं उनके बुटीक पर जाता और वो झुकती तो उनकी गोरी चूचियाँ उसके सूट में से साफ़ दिखाई देती और
मेरा लण्ड उनको चोदने के सपने देखने लगता। पर मैं उसे मुठी मार कर शांत कर लेता।
Sunday, February 23, 2014
पुसी की मस्त चुदाई
पुसी की मस्त चुदाई
दूसरे दिन सुबह ही इत्तेफ़ाक से स्नेहा को अपनी मौसी के यहाँ हमारे आने का समाचार देने जाना पड़ा, तब वह बोली- उतनी दूर मैं पैदल नहीं जाऊँगी मुझ मोपेड चाहिए। उनके घर एक बाईक और एक मोपेड भी थी, स्नेहा मोपेड चला लेती थी पर उसके पिता व भाई उसे मोपेड नहीं चलाने देते थे। इस तरह भाभी के माँ- पिता की काफी देर तक दी गई समझाइश के बाद यह तय हुआ कि मोपेड मैं चलाऊँगा और स्नेहा मेरे पीछे बैठकर मौसी के घर जाएगी। भाभी ने जैसे ही मुझसे कहा कि जस्सू तुम्हें स्नेहा को लेकर मौसीजी के यहाँ जाना है, तो यह सुनकर मेरा दिल खुशी से उछ्ल पड़ा, पर खुद को सामान्य रखने की एक्टिंग करते हुए मैंने ऐसे हामी भरी मानो मैं बहु्त आज्ञाकारी हूँ। इस तरह मुझे स्नेहा के साथ अकेले घूमने का मौका मिला। मोपेड स्नेहा ने ही बाहर निकाली, तब मैं भी बाहर आ गया था और उसकी सहायता करने पास गया। उस समय बाहर हम दोनों ही थे। तब स्नेहा ने मुझसे धीरे से कहा- मैं गाड़ी चला लेती हूँ, पर ये लोग मुझे इसे चलाने ही नहीं देते। मैंने कहा- कोई बात नहीं, मेरे साथ चलना, मैं पीछे बैठूँगा, गाड़ी तुम ही चलाना।यह सुनकर वह खुश हो गई और भागकर अंदर तैयार होने गई। उसके बाहर आते ही हम मौसी के घर जाने को निकले। मैंने मोपेड स्टार्ट किया वैसे ही स्नेहा उछ्लकर पीछे बैठ गई। मेरे कंधे पर हाथ रखकर उसे हल्के से दबाते हुए फुसफुसाई-
चलो न जल्दी। मैंने मोपेड आगे बढ़ा दी। बस अगले मोड़ पर ही वह मेरा कंधा दबाते हुए बोली- अब मुझे चलाने दो न। स्नेहा का साथ पाकर मैं तो खुशी से झूम रहा था और अब मेरे दिल में वर्षों से बंद पड़ी कामनाओं ने फिर से सिर उठाना शुरू कर दिया। मैंने किनारे में गाड़ी रोकी और स्नेहा से कहा- मुझे सबने तुम्हें गाड़ी चलाने देने को मना किया है, पर फिर भी मैं तुम्हें गाड़ी चलाने देता हूँ तो बदले में मुझे क्या मिलेगा? स्नेहा सामने आ गई और मोपेड का हैंडल पकड़ते हुए बोली- आप मुझसे जो माँगेगे वह आपको दूंगी।
चलो न जल्दी। मैंने मोपेड आगे बढ़ा दी। बस अगले मोड़ पर ही वह मेरा कंधा दबाते हुए बोली- अब मुझे चलाने दो न। स्नेहा का साथ पाकर मैं तो खुशी से झूम रहा था और अब मेरे दिल में वर्षों से बंद पड़ी कामनाओं ने फिर से सिर उठाना शुरू कर दिया। मैंने किनारे में गाड़ी रोकी और स्नेहा से कहा- मुझे सबने तुम्हें गाड़ी चलाने देने को मना किया है, पर फिर भी मैं तुम्हें गाड़ी चलाने देता हूँ तो बदले में मुझे क्या मिलेगा? स्नेहा सामने आ गई और मोपेड का हैंडल पकड़ते हुए बोली- आप मुझसे जो माँगेगे वह आपको दूंगी।
Saturday, February 22, 2014
Friday, February 21, 2014
Thursday, February 20, 2014
मामी जी मझेदार चुदाई
मामी जी मझेदार चुदाई
अपनी मामी की चुदाई करता हूं, अब आगे उस रात के बाद जब तक मामा जी नहीं आये, मैं मामी जी की रोज चुदाई करता रहा लेकिन मामा जी के आ जाने के बाद मुझे मामी जी की चुदाई का मौका मिलना बंद हो गया
लेकिन यहाँ तो लंड को चूत का चस्का लग गया था सो एक दिन मौका देख कर मैं मामी जी को इशारे से कारखाने के पिछली साइड में बुलाया जिसे मेरी ममेरी बहन ने देख लिया और जब उसकी माँ कारखाने के पीछे आई तो वह भी छुप कर आ गई जिसे हम दोनो ने नहीं देखा कारखाने के पिछली साइड में लेबर को नहाने के लिये बाथरूम बना हुआ था जिस के अन्दर मैं मामीजी को लेकर चला गया और अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया लेकिन दरवाजा काफी पुराना होने के कारण काफी जगह से छेद हो रखा था जहाँ मेरे मामा जी की लड़की अपनी आंख लगा कर मेरे और अपनी माँ का रास लीला देखने लगी
सो मुझे अन्दर पकड़ते ही शुरु हो गई कहने लगी मेरे राजा मेरे बेटे तेरा लंड खाने के बाद से मेरी चूत में काफी खुजली मची है तेरे मामा से कुछ नहीं होता चल अब जल्दी से कपड़े उतार और चोद डाल मुझे मेरी चूत को आज बगैर फाड़े मत छोड़ना साली हरामजादी कुतिया बगैर लंड के मानती ही नहीं और तुम भोसड़ी के मादर चोद रंडी के आज ये जगह तुझे मेरे लिये मिली इतने दिनों से क्या यहाँ अपनी बहन को यहाँ चोदता था
लेकिन यहाँ तो लंड को चूत का चस्का लग गया था सो एक दिन मौका देख कर मैं मामी जी को इशारे से कारखाने के पिछली साइड में बुलाया जिसे मेरी ममेरी बहन ने देख लिया और जब उसकी माँ कारखाने के पीछे आई तो वह भी छुप कर आ गई जिसे हम दोनो ने नहीं देखा कारखाने के पिछली साइड में लेबर को नहाने के लिये बाथरूम बना हुआ था जिस के अन्दर मैं मामीजी को लेकर चला गया और अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया लेकिन दरवाजा काफी पुराना होने के कारण काफी जगह से छेद हो रखा था जहाँ मेरे मामा जी की लड़की अपनी आंख लगा कर मेरे और अपनी माँ का रास लीला देखने लगी
सो मुझे अन्दर पकड़ते ही शुरु हो गई कहने लगी मेरे राजा मेरे बेटे तेरा लंड खाने के बाद से मेरी चूत में काफी खुजली मची है तेरे मामा से कुछ नहीं होता चल अब जल्दी से कपड़े उतार और चोद डाल मुझे मेरी चूत को आज बगैर फाड़े मत छोड़ना साली हरामजादी कुतिया बगैर लंड के मानती ही नहीं और तुम भोसड़ी के मादर चोद रंडी के आज ये जगह तुझे मेरे लिये मिली इतने दिनों से क्या यहाँ अपनी बहन को यहाँ चोदता था
Wednesday, February 19, 2014
मीरा दीदी की लंड हिलाने वाली चुदाई
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शालू की यादगार चुदाई
शालू की यादगार चुदाई
मेरा नाम रोहन है, मैं भी अपने जीवन में घटी कुछ मजेदार बातें आप सभी के साथ करना चाहता हूँ। मेरी जीवन में जो सबसे पहला चुदाई का मौका आया उस समय तो मुझे सेक्स के बारे में कुछ ज्ञान भी नहीं था।
बात उन दिनों की है जब मैं बारहवीं में पढ़ा करता था हमारे पड़ोस में एक लड़की रहा करती थी उसका नाम शालू था। वो थी तो 18 साल की पर उसके चूचों का साइज़ उसके टॉप में से भी साफ़ नजर आता था, जब कभी झुकती थी तो ऐसा गरमागरम नजारा दिखता था कि लंड उफान पर आ जाता था।
उसकी गांड इतनी मोटी कि जींस फटने को होती थी।
बहुत सेक्सी थी वो !
वैसे तो दिखने में तो मैं भी कुछ कम ना था पर काफी शर्मीला था।
एक दिन मैं शाम को हमेशा की तरह अपनी छत पर बैठा था तो नजर बगल वली छत पर गई, वहाँ शालू बैठी थी, उसने इतनी कसी हुई टीशर्ट पहनी थी कि उसके चूचे आधे बाहर निकल रहे थे पर स्वभाव से शर्मीला होने के नाते मैंने नजर हटा ली पर शायद शालू ने यह देख लिया।
उस दिन तो कुछ नहीं हुआ पर अगले दिन शाम को जब मैं दुबारा छत पर गया तो शालू वहाँ पहले से खड़ी थी और मुझे तिरछी नजरों से देख रही थी और मुस्करा रही थी।
Tuesday, February 18, 2014
आग लगाने वाली चुदाई
मेरी उम्र छब्बीस साल है। मैं सबकी तरह यह नहीं कहूँगा कि यह कहानी सच्ची है। यह आप खुद ही तय करना कि मेरी कहानी सच्ची है या झूठी !
अब मैं कहानी पर आता हूँ।
मेरी शादी को चार साल हो गये हैं पर मेरी पत्नी सेक्स के बारे में एकदम ठण्डी है और मैं उसके सामने बहुत ही चुदक्कड़ इंसान ! मुझे रोज चुदाई चाहिये और उसको हफ़्ते या पंद्रह दिन में एक बार !वो भी एकदम साधारण अवस्था में और फटाफट करके सो जाना बस ! कोई रोमांस नहीं !
इसलिए मैंने सोचा कि ऐसे तड़फ़ने से कुछ नहीं होगा, कहीं और कुछ न कुछ जुगाड़ करना पड़ेगा।
मैंने अपने एक दोस्त को यह बात बताई तो उसने मुझे कहा- मेरे पास एक ऐसी भाभी (सूरत में शादीशुदा औरत को भाभी कहते हैं) का मोबाईल नम्बर है। उसका पति विदेश में और तेरी तरह प्यासी भी है, पैसे वाली भी है ! वो मेरी गर्ल फ्रेंड की सहेली है।
तो मैंने उसके पास से वो नम्बर लिया और थोड़ी देर बाद मैंने वो नम्बर जोड़ा तो सामने से एक मीठी सी आवाज आई- हेलो ! कौन?
Monday, February 17, 2014
Sunday, February 16, 2014
दिव्या के साथ सुनहरे पल
दिव्या के साथ सुनहरे पल
घटना आज से लगभग 25 वर्ष पहले की है।
मैं अपने दूर के रिश्ते के चाचा के घर रहकर पढ़ाई करता था। घर में चाचा उम्र 29 साल, चाची उम्र 26 साल, चाची की माँ जिसे हम नानी कहते थे, उम्र 55 साल और चाची की बहन की बेटी रागिनी रहते थे। चाचा प्रखण्ड कार्यालय में काम करते थे और उसी इलाके में अवस्थित डाक-बंगला जो बहुत बड़ा था, के पिछले हिस्से में रहते थे। पिछले हिस्से में तीन बड़े-बड़े कमरे थे। रागिनी देखने में बहुत सुन्दर थी, खूब गोरी, बड़े-बड़े चुचे, बड़ी मस्त लगती थी। लेकिन इसकी चुदाई की कहानी बाद में। अब हम मुख्य कहानी पर आते हैं।
बात उस समय की है जब मैं बारहवीं में पढ़ रहा था, मेरी परीक्षा होने वाली थी, मेरे परीक्षा का सेंटर चाचा के आवास से करीब दस किलोमीटर था। सेंटर के पास ही थाना था जिसके प्रभारी मेरे चाचा के दूर के रिश्ते के ससुर थे। उन्हीं के आवास पर मुझे बारह दिनों तक रहना था। परीक्षा से दो दिन पूर्व मैं उनके यहाँ शिफ्ट हो गया। उसी सेंटर पर उनकी भांजी दिव्या का भी परीक्षा था। वो भी काफी खूबसूरत थी। वहाँ पर पूरा परिवार ग्राउंड फ्लोर पर रहता था और ऊपर छत पर दो कमरा और एक कम्बाइंड बाथरूम था। एक कमरा मुझे और एक कमरा दिव्या को मिला था ताकि हमारी पढ़ाई में कोई बाधा ना हो।
Friday, February 14, 2014
गुरुदक्षिणा में मिली कंवारी चूत
गुरुदक्षिणा में मिली कंवारी चूत
लेक्चरर राजेश जिनको हम राजेश गुरु कहते थे, मेरट के एक कालेज में अपनी बीएड की कन्या को समय से पहले बुला कर प्रैक्टिस टीचिंग के दौरान चुदाई का जुगाड़ भिड़ा दिया। मैने बताया था कि सरला को उठा कर अपनी गोद में बिठाने के बाद उसके ब्लाउज को पीछे से खोल दिया और लंड को चूत पर साड़ी के उपर से ही लगातार चुभाते हुए नंगी पीठ पर अपने मूंछों वाले होट से सेक्सी चुम्मा देने लगे। सरला को मजा आना शुरु हो चुका था और जब चिकनी नंगी पीठ पर राजेश गुरु के गीले नरम होटों के पोंछे के साथ मूंछों का झाड़ू लगना शुरु हुआ तो वह उनकी पकड़ में हीं अंगड़ाईयां लेने लग गयी। दोनों पर वासना का भूत सर चढने लगा था अब सरला ने राजेश गुरु के पैंट में तलाश करना शुरु कर दिया था। शायद वह लंड ही तलाश कर रही थी और अपनी गांड उठा कर लगातार चुभ रहे लौड़े को अपने मूठ में भर लिया। राजेश गुरु तो पहले से गरम थे। उन्होंने ब्लाउज जो उतार दिया और सरला के काले काले निप्पल्स को एक हाथ में चुटकी भरते हुए दूसरे हाथ से सरला की गांड दबाते हुए दूसरे निप्पल को अपने होटों से काटने और चूसने लगे। उनकी एक आदत थी, चोदने के बाद पहली मुलाकात में वो अपनी संगिनी को एक निशान जरुर देते थे और आज उन्होंने आज सरला की निप्पल को काट ही तो लिया। सरला तड़प गयी, दांत धंस गये थे निप्पल्स में। आह्ह्ह मम्मी ये क्या सर मेरा चूंचे काट लिया? राजेश सर ने कहा रानी अभी तो दर्द और मजे की शुरु आत है और उसे बेंच पर लिटा कर उसके पेटीकोट को उपर उठा कर उसकी चड्ढी खींच ली।
शादी से पहले सुहागरात के मज़े दिए
शादी से पहले सुहागरात के मज़े दिए
आज मैं आपको एक ऐसी जवान लौंडिया की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिससे मेरी मुलाकात एक डिस्को में हुई थी और वो मुझसे काफी साल बड़ी भी थी | हमारी बातों का ढंग और व्यक्तितत्व एक दूसरे से काफी मिलता – जूलता था इसीलिए हमारी दोस्ती और मुलाकातें बढती ही चली गयी उस दिन के बाद से | उसकी कुछ महीने बाद ही शादी भी होने वाली थी और उस लंबी मटके माप वाली लौंडिया के साथ मैं तो एक बार सोने के लिए तरसा जा रहा था | आखिर के कुछ महीनो में हम फोन पर चैट किया करते थे और एक दिन मैंने बातों – बातों में ही उससे कह दिया की मैं उसके साथ जी भर के अकेले में पल बिताना चाहता हूँ उआनी उसके साथ सोना चाहता हूँ |
मुझे पता नहीं था की वो क्या कहेगी पर उसने भी मुझे कहा की अगले दिन दोपहर को मैं उसके घर आ जून और अपनी मुराद पहली और आखिर बार सुके साथ जि बाहर के पूरी कर लूँ और उसके बाद वो मुझसे जिंदगी भर कभी बात नहीं करेगी | मैंने भी अगले दिन उसके घर पहुंचना सही समझा और उसके पास पहुंचा तो उसने कमरे का दरवाज़ा बंद कर गौरं मेरे सामने अपने सारे कपड़ों को उतारा दिया और मुझे अपनी तरफ बड़े ही कामुक धनाग से बुलाने लगी | मैं गर्म होकर पहले उसके उप्पर चड गया और उसके होठों के रस को पीते हुए उसके चुचों को मसलने लगा |
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