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Saturday, December 22, 2012

हिंदी सेक्सी कहानियाँ-गांडू चुटकुले -गंदे जोक्स

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सविता भाभी की चुदाई


 सविता भाभी की चुदाई

मेरा नाम सविता है मेरे पति नवीन बहुत अच्छे और सुलझे हुए हैं। हम सेक्स का पूरा आनद लेते हैं, बात करते है और पर-पुरुष, पर-स्त्री की कल्पना भी करते हैं। मेरे पति को ऐसे ही सेक्स करना अच्छा लगता है और मुझे भी कोई ऐतराज नहीं है !
मेरे उम्र 29 साल है मेरे नवीन 32 के हैं। हमारी शादी को 9 साल हो गए हैं। वैसे तो हमें सेक्स में ठीक-ठाक मजा आता है पर हम लोग जब किसी पराये के साथ सेक्स करने की बात करते हुए सेक्स करते हैं तो मेरा मन बहुत ही चंचल हो जाता है और मुझे किसी दूसरे के साथ सेक्स करने का मन होने लगता है। वैसे मेरे पति का भी मन है कि मैं किसी और के साथ भी सेक्स का मजा लूँ। वो कहते हैं कि सबके लिंग का आकार अलग-अलग होता है और अलग-अलग लिंग का मजा अलग होता है।
इनकी बुआ का लड़का मनोज जो अभी 25 साल का है, उसकी अभी शादी नहीं हुई है, हमारे यहाँ अकसर आता जाता रहता है क्योंकि बुआ का गाँव पास ही है और मनोज भैया अभी पढ़ाई कर रहे हैं। इनका कहना है- मनोज का लिंग बहुत अच्छा है और मेरे लिंग से बहुत बड़ा है। और देखने में सुंदर भी है। अगर तुम चाहो तो मैं बात करूँ मनोज से, या तुम खुद ही सेट कर लो अगर तुम चाहो तो ! सच ! चाहत तो मुझे भी हो गई है कि मैं भी कोई अलग लिंग लेकर देखूँ। नवीन ने मेरे मन में एक बात कूट-कूट कर भर दी है कि अलग लिंग का अलग मजा !


मेरी प्यासी चूत की कहानी

मेरी प्यासी चूत की कहानी 

आज मैं आपको वो दास्तान सुनाने जा रही हूँ जो अपने अंदर और कई दास्तां छुपाए हुए है। मैंने अपनी ज़िंदगी में जो कुछ किया, जो पाया, जो खोया सब आपके सामने रखूंगी। यह मत समझिएगा कि यह कोई गमगीन दास्तान है.. नहीं, यह एक बहुत हसीन, बहुत रंगीन और जज़बातों से महकती दास्तान है। बस इसके जो किरदार हैं काश वो .. वो ना होते.. आप होते..

काश मैं भी आप ही की तरह अपनी कंप्यूटर स्क्रीन पर बैठी आप ही की तरह अपने दिल की धड़कन थामे यह कहानी पढ़ रही होती और आप ही की तरह अपने ही जिस्म के मखसूस हिस्सों से लज़्ज़त लेती, लुत्फ़ ले हो रही होती..

लेकिन ऐसा नहीं है मैं ही इस कहानी का एक किरदार हूँ, यह पूरी कहानी मेरी है.. मैं नहीं जानती थी कि मैं भी कभी किसी कहानी का किरदार हूँगी, एक दिन लोग मेरी भी कहानी पढ़ेंगे ! मैं तो आप ही की तरह इंटरनेट पर, हिंदी सेक्सी कहानियां पर सेक्स कल्पनाएँ और कहानियाँ पढ़ने की शौक़ीन हुआ करती थी…

प्यासी साली की प्यास


मेरी उम्र 32 साल है। मैं ठाणे का रहने वाला हूँ। मेरी शादी को पाँच साल हो चुके हैं। बात तब की है जब मेरी पत्नी पेट से थी। उस कारण मैं कुछ कर नहीं पाता था। सेक्स पहले सी ही मेरी कमजोरी रहा है पर जब वो गर्भवती हुई तो मुश्किल से ही कुछ हो पाता था। 
तब मेरे मन में कुछ ख्याल आने लगे। सोचा कुछ तो इन्तजाम करना चाहिए। तभी मेरे दिमाग में एक बात आ गई। मेरे एक साली है अंकिता (नाम बदला हुआ) जो मेरी बीवी से छोटी है, तब उसकी उम्र 28 साल की थी। उसकी शादी भी हमारी शादी के तुरंत बाद ही हो गई थी। अंकिता मेरे ससुराल वाले शहर में ही रहती है। वो बहुत सुंदर थी और मजे अच्छी भी लगाती थी। उसका नाम अंकिता (नाम बदल हुआ है) है। अंकिता और उसके पति की खास जमती नहीं। वो ज्यादातर शराब के नशे में ही घर आता था। उस वजह से उनका यौन-जीवन कुछ ठीक नहीं था। मैंने सोचा कि इसी चीज का फायदा क्यूँ न उठाया जाये। अंकिता और मेरी पत्नी की आपस में इस बारे में बातें होती थी जो मेरी पत्नी अकेले में मुझसे बता दिया करती थी। 
उसके कहने के अनुसार अंकिता और उसके पति के बीच में कुछ ज्यादा शारीरिक सम्बन्ध नहीं थे। 
तो मैंने मन ही मन में अंकिता के साथ रिश्ता बढ़ाने की ठान ली और मौका तलाश करने लगा। 
एक बार जब मैं और मेरी बीवी मेरी ससुराल में गए तो मेरी सास ने मुझे अंकिता को लिवाने भेज दिया। जब मैं उसके घर पहुँचा तो वो घर पर अकेली थी। उसका पति दो-तीन दिन के लिए टूर पर गया हुआ था। 
जब मैं वहाँ पहुँचा तो वो फ्रेश होकर आई थी और नाइटी पहने हुई थी। उसकी फिगर 32-28-34 की होगी। उसने चाय बनाई तो हम इधर उधर की बातें करके चाय पीने लगे। 
फिर वो बोली- मैं दस मिनट में तैयार होती हूँ आप तब तक बैठिये। 
और वो कप उठाकर चल दी। मैं तो मौके की तलाश में ही था। उसके जाने के बाद मैं उसके कमरे के पास चला गया और दरवाजे के पास से, जो थोड़ा खुला था, वहाँ से अन्दर देखने लगा। 
उसने नाइटी उतार दी थी और वो सिर्फ चड्डी पहने थी। उसके हाथ में ब्रा थी और वो उसे पहनने वाली थी। मैंने पहली बार उसे इस रूप में देखा था। 
मेरा लंड जो साधारण ही है करीब पाँच-साढ़े पाँच इंच का पूरी तरह से तैयार था। उसे इस हालत में देख कर मन कर रहा था कि दरवाजा खोल कर अन्दर चला जाऊँ और उसे अपने आगोश में ले लूँ ! 
पर डर भी लग रहा था। उसने ब्रा पहन ली और ड्रेस लेने अलमारी की तरफ गई। दरवाजे से अलमारी नजर नहीं आती थी तो वो कुछ समय के लिए मेरी आँखों के सामने से ओझल हो गई। फिर वो सामने आई और बाल संवारने लगी। 
वो वापस अलमारी की तरफ चली गई, मैं उधर से ही उसे देख रहा था कि वो वापस आयेगी पर अचानक दरवाजा खुला। 
उसने देखा कि मैं दरवाजे के सामने से उसे देख रहा था। 
वो बोली- जीजू, आप यह क्या कर रहे हो? 
मैं तो इस अचानक घटी घटना से थोड़ा घबरा गया था फिर भी थोड़ी हिम्मत जुटा ली, मैंने बिना कुछ बोले उसे अपनी बाँहों में भर लिया। 
वो थोड़ी कसमसाई पर कुछ बोली नहीं। 
फिर मैंने कहा- अंकिता, मैं जानता हूँ कि तुम्हें आज तक जरा भी शारीएइक सुख नहीं मिला हैं। मैं वो तुम्हें देना चाहता हूँ।" 
वो बोली- नहीं जीजू, मैं आपके बारे में ऐसा नहीं सोच सकती। दीदी क्या सोचेगी ! 
मैंने उसे काफी समझाया कि पेट की भूख की तरह यह भी एक भूख है। अगर आपको घर पर खाना नहीं मिलता तो आप बाहर जाकर खाते हो ठीक वैसा ही यह भी है। 
उसका ध्यान मेरी पैंट की तरफ था, मेरे ख्याल में वो भी शायद यही चाहती थी। 
उसने सिर्फ मुझसे इतना कहा- जीजू, मुझसे वादा करो कि यह बात मेरे और आपके सिवा किसी को पता नहीं चलेगी। 
जब उसने इतना कहा तो मारे ख़ुशी के मैं फूला ना समाया। 
मैंने झट से अपने होंट उसके होठों पर रख कर वादा किया तो वो मुस्कुराई। 
वो झट से उठी और बोली- माँ और दीदी राह देख रहे होंगी, हमें चलना चाहिए। यह सब बाद में ! 
और अपने बेडरूम की तरफ चली गई। 
मैं उसके पीछे-पीछे अंदर चला गया। 
वो बोली- आप बाहर बैठो, मुझे शर्म आती है। 
पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैं वहीं बैठ कर उसे तैयार होते देखने लगा। 
जब वो तैयार हुई तो हम लोग घर की तरफ निकल पड़े। घर पर खाना होने के बाद मैं निकलने वाला था। मैंने मौका देखकर उससे उसके घर की चाबी मांग ली और कहा- मैं तुम्हारे घर पर तुम्हारा इन्तज़ार करूँगा। 
फिर थोड़ी देर के बाद मैं अपनी बीवी को बाय करके यह बोल कर निकला- मैं ठाणे वापिस जा रहा हूँ। 
वहाँ से निकल कर मैं सीधा अंकिता के घर पहुँचा। वहाँ कोई नहीं था और अंकिता की राह देखने लगा।
शाम को करीब पाँच बजे घण्टी बजी, मैंने दरवाजा खोला। जब वो अन्दर दाखिल हुई तो मैं उसे उपनी बाँहों में भर के सीधा बेडरूम की तरफ चल पड़ा। मैंने उसे पूरी जोश के साथ चूमना चालू किया। उसने भी मेरा साथ देना चालू किया। क्या करती ! उसकी बरसों की प्यास जो बुझने वाली थी आज। 
मैंने उसे बिस्तर पर उल्टा लेटा दिया। इतना सब करते समय मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। उसके बहुत ही मुलायम गोल और भारी गांड ऊपर की तरफ थी। मैंने उसकी कमीज़ का पल्लू उठाया, बिस्तर पर बैठा और उसकी गांड पर हाथ फेरने लगा। 
फिर धीरे-धीरे मैंने उसकी सलवार घुटनों तक उतार दी। उसकी गांड अब छोटी सी लाल चड्डी में बहुत ही प्यारी लग रही थी। क्या मुलायम गांड थी उसकी। 
फिर मैंने उसके कूल्हों पर चूमना शुरू किया और साथ ही साथ थोड़ा काटता भी गया। और साथ ही उसकी सलवार भी पूरी उतार दी। 
फिर उसे सीधा किया और उसकी टांगों पर चूमना शुरू किया। धीरे से उसकी टाँगें खोल दी और फुद्दी पर जब मैंने अपनी जुबान रखी तो उसकी तो जैसे जान ही निकल गई। 
उसकी फुद्दी पहली बार किसी ने चाटी थी, वो बहुत खूबसूरत थी और मैं जब उसकी फुद्दी चाट रहा था वो मछली की तरह तड़प रही थी और साथ साथ मुँह से सेक्सी आवाजें ऊं अः आह निकाल रही थी। 
चार-पाँच मिनट तक मैं उसे ऐसे ही मज़ा देता रहा। फिर मैंने कहा- अपने सारे कपड़े उतार दे। 
उसने उतार दिए। 
वाह क्या फिगर था ! मैंने उसके चुचूकों को चूसना शुरू किया। 
उसने कहा- जीजू, अपने कपड़े भी उतार दो ! 
तो मैंने कहा- तू ही उतार दे। 
उसने पहले मेरा टीशर्ट और फिर पैंट उतार दी। फ्रेंची में से मेरा लण्ड बाहर मुँह निकालने की कोशिश कर रहा था। उसने तिरछी नजर से उसे देखा और उस पर हाथ रखते हुए मेरी फ्रेंची निकाल दी। 
फिर उसली बगल में लेट कर मैंने उसके होंटों पर चूमना शुरू किया। 
वो कहने लगी- जीजू, आपको बहुत अच्छी तरह प्यार करना आता है। मैं कसम से आज जिंदगी मैं पहली बार यह सब कर रही हूँ ! कहाँ से सीखा है यह सब कुछ? 
मैंने कहा- जब तुम जैसी खूबसूरत लड़की सामने हो तो सब कुछ खुद ही आ जाता है। 
वो बोली- अगर ऐसा होता तो आज तक मैं अपनी पति के होते हुए भी प्यासी नहीं होती। वो तो बस चूमते वक़्त ही ढल जाता है और कुछ कर ही नहीं पाता। 
मैंने पूछा- तुम्हें फुद्दी चटवाना कैसा लगा? 
कहने लगी- ऐसा लगा कि मैं हवाओं में उड़ रही हूँ। 
मैंने कहा- मुझे भी मज़ा दो ! 
उसने पूछा- कैसे? 
तो मैंने अपना लंड उसकी होंटों के पास किया, वो मुस्कुराई और मेरा लंड अपने मुँह में डाल कर चूसने लगी। लौड़ा चुसवाने के बाद मैं उसके ऊपर आया और अपना लंड उसकी फुद्दी पर रख दिया। 
वो तड़प उठी जैसे कोई गर्म लोहे का टुकड़ा उसकी फुद्दी पर रख दिया हो। 
फिर मैंने धीरे धीरे लंड अन्दर करना चालू किया। पर बड़ी मुश्किल हो रही थी। मैंने लंड को एक झटका दिया तो मेरा सुपारा ही अन्दर घुस पाया। उतने से ही वो रोने लगी जैसे कि वह पहली बार चुद रही हो। 
फिर थोड़ी देर के बाद मैंने एक-दो जोर के धक्के लगाये। उसकी सील फट गई और वह जोर से चिल्लाई और बोली- बहुत दर्द हो रहा है। 
मैंने कहा- बस अब अन्दर जा चुका है अब और दर्द नहीं होगा। 
मैं दो मिनट तक वैसे ही पड़ा रहा और उसे चूमता रहा। 
फिर धीरे धीरे झटके शुरू किये और तेज़ होते गया। अब उसका दर्द भी कम हो गया था और उसे मजा भी आने लगा। कभी उसकी टाँगें कंधे पर रख कर, तो कभी ऊपर से उसकी फुद्दी मारता रहा। 
वो जोश में आहें भरती हुई मुँह से आवाजें निकालने लगी। 
फिर थोड़ी देर के बाद घोड़ी बना कर उसकी फुद्दी मारी। क्योंकि उसका पहली बार ही था, वो ज्यादा देर तक टिक नहीं पाई और बदन तो ऐंठते हुए झड़ गई। 
उसके चेहरे पर खुशियाँ झलक रही थी। 
क्योंकि मैंने भी काफी दिनों से सेक्स नहीं किया था, मैं भी उसके पीछे पीछे झड़ गया। 
मेरी साली अंकिता बहुत खुश थी मुझसे चुदवा कर। 
थोड़ी देर बाद वो उठी उसने खून से भरी चादर उठाई और बाथरूम की तरफ चल पड़ी। दर्द के मारे वो ठीक से चल नहीं पा रही थी। 
फिर वो रसोई में जाकर दूध ले आई। मैं उसके बेड पर नंगा ही लेटा था। जब वो आई तो मैंने जानबूझ कर आँखें बंद की हुई थी जैसे मैं सो रहा हूँ। 
उसने आते ही मेरे लंड को हाथों से खड़ा किया और चूसना शुरू कर दिया। फिर दोबारा मैंने उसकी फुद्दी मारी। अबकी बार काफी देर तक हम दोनों नहीं झड़ पाए। 
अंकिता बहुत खुश थी कि उसे इतना मज़ा देने वाला मिल गया जिसकी उसे तलाश थी। 
उस रोज मैं उसके घर में ही रुका और उसे रात भर में पाँच बार चोद दिया। 
अब जब भी मौका मिलता है मैं उसे मजा देता हूँ पर अफसोस है कि मैं उसे बच्चा नहीं दे सकता। नहीं तो उसके पति को शक हो जायेगा कि वो किसी और से चुदती है।

सोफे पर साली की चुदाई


मैंने आपको बताया था कि मेरी शादी के बाद अपनी पत्नी के अलावा मेरा सबसे पहला सैक्स अनुभव मेरी साली रजनी "बेबो" के साथ हुआ, जिसके बारे में मैं अपनी पिछली कहानी "मेरी साली-आधी घरवाली" में बता ही चुका हूँ। आपने मेरी कहानी पढ़ी और उसे पसंद किया उसके लिए मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूँ।
खैर अब आगे……
उस सैक्स अनुभव के बाद मैं और बेबो बहुत खुल गये थे। अब दिन में या रात को जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं कमरे का दरवाजा सावधानी से बंद कर देता ताकि मेरी पत्नी और बच्चे को नींद में बाधा ना हो। ऐसा मैं अकसर ही करता था क्योंकि दिन में जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं और बेबो लूडो या कैरम खेलते और रात को फिर जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं और बेबो देर रात तक बाते करते। ये बात मेरी पत्नी जानती थी। चुकी वो ये बात जानती और समझती थी इसलिये हम पर बिलकुल शक नहीं करती थी और वो आराम से सोती थी। लेकिन उस सैक्स अनुभव के बाद लूडो या कैरम खेलना छोड कर हम दूसरा खेल खेलने लगे थे।
हम कमरे का दरवाजा सावधानी से बंद करके दोनो एक दूसरे से लिपट जाते और लिपट-चिपट कर किस करते। फिर एक दूसरे को बाँहो में भर कर किस करने से बात आगे बढ कर एक दूसरे के अंगों को छूना शुरु हो जाता। बेबो ज़्यादातर सलवार सूट पहनती थी। इसलिये मैं बेबो के कुरते के ऊपर से उसके स्तन दबाने और फिर उसकी सलवार के ऊपर से उसकी चूत को दबाने और फिर सलवार के अन्दर हाथ डाल कर उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ फिराने तक पहुँच जाता।
मैं ज़्यादातर टी-शर्ट और लोअर पहनता था। मैं अपने लोअर की जिप खोलकर उसे जरा सा नीचे सरका कर अपना लण्ड निकाल कर बेबो के हाथ में थमा देता। बेबो भी मेरे लण्ड को बिना झिझक के अपने हाथ में थाम लेती और हल्के-हल्के दबाती या मुठ्ठी में भर कर आगे-पीछे करती और जोर-जोर से हिलाती। एक-दो दिन बाद तो वो खुद ही मेरे लोअर की ज़िप खोल कर मेरा लण्ड निकालने और दबाने तक पहुँच गई। यह सारा कार्यक्रम लगभग 10 से 15 मिनट तक चलता। हम दोनों बेहद गर्म हो जाते और मेरे लण्ड से और बेबो की चूत से कुछ चिकना सा द्रव्य निकलने लगता। उसके बाद हमारा चुदाई कार्यक्रम शुरु हो जाता।
मैं और बेबो सोफे पर बैठ जाते। फिर मैं बेबो की सलवार और उसकी पैंटी को उतार कर नीचे उसके पैरों में गिरा देता, मगर पैरों से अलग नहीं करता। फिर कुछ देर मैं उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराता। फिर बेबो की टांगें खोल कर उसकी टांगों के बीच में बैठ जाता और बेबो की चूत के बाल अपने मुँह में भर लेता। फिर अपनी जीभ से बेबो की चूत के जी-पॉइंट को रगड़ने और ऊपर-नीचे फिराने लगता।
बेबो गर्म होकर पागल हो जाती और मेरे बाल पकड़ लेती। हाँ, कहीं उसकी दीदी को ना सुन जाये इसलिये वो कोई आवाज़ तो नहीं करती, मगर फिर भी उसके मुँह से बहुत हल्की सी सिसकियाँ जरुर निकलने लगती। फिर वो मेरा सर पकड़ कर मेरा मुँह अपनी चूत में घुसाने की नाकाम कोशिश करने लगती। मैं अपनी जीभ तेज-तेज उसकी चूत के जी-पॉइंट पर फिराने लगाता। जब उसकी चूत से कुछ चिकना-चिकना सा नमकीन पानी निकलने लगता तो मैं थोड़ा सा उसे टेस्ट करके बेबो से अलग हो जाता।
फिर मैं बेबो के सामने खड़ा हो कर अपना लोअर और जॉकी को उतार कर नीचे अपने पैरों में गिरा देता, मगर पैरों से अलग नहीं करता। बेबो सोफे पर ही बैठी होती। फिर मैं खड़े-खड़े अपना लण्ड बेबो के मुँह की तरफ करता। बेबो समझ जाती और मेरा लण्ड पकड़ कर अपने मुँह में भर लेती। फिर मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगती। बेबो के ऐसा करने से ना चाहते हुऐ भी मेरे मुँह से हल्की-हल्की सिसकियाँ निकलने लगती। मेरी सिसकियॉ सुनकर बेबो जोर-जोर से और तेज-तेज मेरे लण्ड को चूसने लगती। बेबो लगभग 5 मिनट तक मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपोप की तरह चूसती रहती।
मेरे मुंह धीमे-धीमे से "ओह बेबो! आह्…ओह! अह! सीईईईईइ, सीस्सईईइ!" की आवाजें निकलने लगती। थोड़ी देर बाद जब मुझे ऐसा लगता कि अगर बेबो इसी तरह से मेरे लण्ड को चूसती रही तो मैं इसके मुँह में ही डिस्चार्ज हो जाउँगा, तब मैं अपना लण्ड बेबो के मुँह से बाहर खींच लेता। फिर मैं लोअर और जौकी को ऊपर उठा कर, हाथ से पकड़ कर, धीरे-धीरे अपनी पत्नी के कमरे के दरवाजे के पास जाता और दरवाज़े पे कान लगा कर अपनी पत्नी के हल्के खर्राटों को सुनने की कोशिश करता और जब ये इतमिनान हो जाता कि वो सो रही है, तब मैं वापस बेबो के पास आ जाता।
बेबो धीरे से पूछती "दीदी सो रही है क्या?"
मैं हाँ में सर हिला देता।
फिर मैं बेबो के पैर ऊपर करके उसे सोफा पर लिटा देता। मैं अपनी टी-शर्ट और बेबो अपना कुर्ता कभी नहीं उतारते थे। सेंटर टेबल पर लूडो बिछा होता था। फिर मैं उसकी सलवार और उसकी पैंटी को उसके एक पैर मे से उतार कर उसके दूसरे पैर में कर देता, मगर दूसरे पैर से अलग नहीं करता। फिर मैं भी अपना लोअर और जौकी अपने एक पैर से निकाल कर दूसरे पैर में फंसा देता, मगर दूसरे पैर से अलग नहीं करता, ताकि अगर मेरी पत्नी अचानक उठ भी जाये और दरवाजा खोलने के लिये कहे तो मैं और बेबो जल्दी से अलग होकर अपने-अपने लोअर और अन्डरवियर पहन सके और सेंटर टेबल पर लूडो बिछा देखकर उसे कोई शक ना हो।
फिर मैं बेबो की बगल में लेट कर उसे अपने साथ सटा कर लिटा लेता। हम दोनो सोफ़े पर चिपक कर लेट जाते। फिर कुछ देर तक मैं उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराता। फिर मैं उसके नर्म-नर्म स्तनों को कुरते के ऊपर से दबाने लगता। फिर कुछ देर बाद मैं उसके कुरते के गले में हाथ डाल कर उसके सख़्त हो चुके दोनो बुब्स को एक-एक करके दबाने लगता। मेरा लण्ड तन कर बेबो की चिकनी टांगों से टकरा रहा होता था। फिर मैं बेबो की चिकनी टांगों पर हाथ फिराने लगता। फिर उसकी पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत पर हाथ फेरने लगता। फिर मैं मौके की नज़ाकत को समझते हुए अपनी उँगलियॉ बेबो की चूत के अन्दर डाल देता। फिर अपनी उंगलियों से बेबो की चूत के फाँको को खोलने और बन्द करने लगता। फिर मैं बेबो की चूत के दाने को रगड़ने लगता।
बेबो के मुँह से सिसकियॉ निकलने लगती। बेबो मस्त हो जाती। वो बहुत गरम हो जाती और जोर-जोर से, आवाज़ रोक कर सिसकारियाँ लेने लगती और अपने होंठ चूसने लगती। फिर वो मेरे बालों पर हाथ फेरने लगती। यह सिगनल होता कि वो चुदवाने के लिये तैयार है। फिर मैं उसे धीरे से सौफे पर सीधा लिटा देता और मैं बेबो के ऊपर आकर लेट जाता। बेबो का जिस्म मेरे जिस्म के नीचे दब जाता। मेरा लण्ड बेबो की जांघों के बीच में रगड़ खा रहा होता। बेबो बिना झिझके मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लेती। फिर वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगती। मेरा लण्ड तन कर और भी सख्त हो जाता।
बेबो मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर कर आगे-पीछे करने लगती। फिर वो मेरा तन कर लम्बा हो चुका लण्ड को पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगती। तब तक मैं बेबो की चूत मारने को बेताब हो चुका होता। फिर मैं बेबो की टांगे खोल कर उसकी टांगों के बीच में अधलेटा होकर मैं अपने लण्ड को मुठ्ठी में भर कर बेबो की चूत के दाने के उपर-नीचे करके रगड़ने लगता। बेबो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगती। कुछ देर बाद बेबो की चूत से फिर से कुछ चिकना-चिकना सा निकलने लगता था। अब वो मदहोश होने लगती और उसकी आंखें बंद होने लगती। फिर बेबो मेरे कान के पास फुसफसा कर बोलती "ओह जीजू, प्लीज डालो ना। मेरे तो तन-बदन में आग सी लग रही हैं।"
यह सुन कर मैं अपने लण्ड का सुपाड़ा उसके चूत के गुलाबी छेद पर टिका कर एक जोरदार धक्का मारता जिससे मेरा पूरा का पूरा लण्ड एक ही झटके में बेबो की कुंवारी और चिकनी चूत में पूरा अन्दर चला जाता। मेरे लण्ड के अन्दर जाते ही बेबो के मुँह से हल्की सी सिसकी निकलती और वो मुझे अपनी बाँहो में कस लेती। मैं भी उसे कस कर पकड़ लेता और हम एक दूसरे में पूरे तरीके से समा जाते। फिर मैं अपने लण्ड को बेबो की चिकनी चूत के अन्दर पूरा डाले हुऐ रुक जाता और बेबो के होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगता।
कुछ देर तक हम दोनो ऐसे ही एक-दूसरे से चिपके रहते और एक-दूसरे के होंठों को चूसते रह्ते। मेरा पूरा लण्ड बेबो की चूत के अन्दर तक समाया होता। फिर कुछ देर बाद उसके होंठों को चूसते हुऐ मैं उसे चोदना शुरु कर देता। पहले मैं अपने लण्ड को उसकी चूत में धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगता। कुछ देर बाद बेबो भी जोश में आ जाती और अपनी कमर को धीरे-धीरे हिलाने लगती। मैं बेबो को अपनी बाँहो में भर लेता। बेबो भी मुझे अपनी बाँहो मे पूरी ताकत से कस लेती। शुरु-शुरु में कुछ देर तक मैं अपने लण्ड को धीरे-धीरे से ही बेबो की चूत के अन्दर-बाहर करता रहता। फिर कुछ देर बाद जब बेबो अपनी टांगें ऊपर की तरफ मोड़ कर मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट लेती तो मेरी रफ़्तार बढ़ने लगती। फिर मैं अपने लण्ड को तेज-तेज बेबो की चूत के अन्दर-बाहर करता।
धीरे-धीरे मेरी रफ़्तार और भी बढ़ने लगती। अब मेरा लण्ड बेबो की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर होने लगता और मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मारने लगता। जब मैं फुल स्पीड में बेबो को चोदता तो सोफे की वजह से चुदाई का मजा दुगना हो जाता। सोफे की फोम और फोम के नीचे स्प्रिन्गों की वजह से जब मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड का धक्का लगाता तो सोफे के फोम और स्प्रिन्ग दब जाते और जैसे ही मैं अपना लण्ड बेबो की चूत से बाहर खींचता तो सोफे के फोम और स्प्रिन्ग बेबो के हिप्स को ऊपर धकेल देते। सच इस वजह से सोफे पर तो बेबो को चोदने में दुगना मजा आता।
थोड़ी देर बाद बेबो भी नीचे से अपनी कमर को उचका कर मेरे धक्कों का ज़वाब देने लगती और मज़े में धीरे-धीरे बोलने लगती "सी… सी… और जोर.. से जीजूजुजु…… …येसस्स्स्स्स अरररऽऽ बहुत मज़ा आ रहा है और अन्दर डालो और जीजू और अन्दर येस्स्स्स्स जोर से करो। प्लीज जीजू तेज-तेज करो ना। बहुत अच्छा लग रहा है। बडा मज़ा आ रहा है।"
बेबो को सचमुच में मजा आने लगता था और वो अपने हाथ सोफे पर टिका कर जोर जोर से अपने हिप्स को ऊपर-नीचे करने लगती थी और मैं तेज़-तेज़ धक्के मारने लगता था। वो मेरे हर धक्के का स्वागत अपने हिप्स को ऊपर-नीचे करके करती। फिर वो मेरे हिप्स को अपने हाथों में थाम लेती। अब वो भी नीचे से मेरे धक्कों के साथ-साथ अपने हिप्स को तेज-तेज ऊपर-नीचे कर रही होती थी। जब मैं लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसाता तो वो अपने हिप्स को पीछे खींच लेती। जब मैं लण्ड उसकी चूत में से बाहर खींचता तो वो अपने हिप्स ऊपर उठा देती। इससे मैं तेज-तेज धक्के मार कर बेबो को चोदने लगता। फिर मैं सोफे पर हाथ रख कर बेबो के ऊपर झुक कर तेजी से उसकी चूत मारने लगता।
अब मेरा लण्ड बेबो की चिकनी चूत में आसानी और तेजी से आ-जा रहा होता था। बेबो भी अब चुदाई का भरपूर मजा ले रही होती थी। वो मदहोश हो रही होती थी। मैं रुक कर धीरे से बेबो के कान में कहता "बेबो अच्छा लग रहा है क्या?"
बेबो धीरे से बोलती "हाँ जीजू, बहुत अच्छा लग रहा है। प्लीज जीजू रुकें मत। तेज-तेज करते रहो। ओह आहा… ह… प्लीज तेज-तेज करो। मैं डिस्चार्ज होने वाली हूँ। अब रुको मत। प्लीज तेज-तेज करते रहो।"
बेबो के मुँह से ये सुन कर मैं फिर से बेबो को चोदना शुरु कर देता और अपनी रफ्तार को और भी बढ़ा देता। फिर मैं बेबो के पैर अपने कंधे पर रख कर उसके बडे-बडे हिप्स को अपने हाथों से जकड़ लेता और छोटे-छोटे मगर तेज-तेज शॉट मार कर बेबो को चोदने लगता। बेबो के मुँह से मस्ती में बहुत धीरे से "ओह्ह्ह्ह्ह्होहोहोह सिस्स्स्स्स्स्सह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाहाह्ह्हआआआआ हा-हा करो-करो ऽअआह हाहअआ प्लीज जीजू तेज-तेज करो। ओह जीजू !" निकलने लगता।
मैं बेबो के होंठों को अपने होंठों से चूसते हुऐ उसे तेजी से चोदने लगता। मेरा लण्ड सटासट बेबो की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर होने लगता था। मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मारता। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद जब हम दोनों झड़ने वाले होते तो हम दोनों एक साथ अकड़ से जाते और एक साथ जोर-जोर से धक्के मारने लगते।
फिर अचानक बेबो ने मुझे कस कर अपनी बाँहो में भर लेती और बोलती,"जीजू, मेरा तो काम होने वाला है। प्लीज जीजू ! अब खूब जोर-जोर से करो। येस-येस अररर् और जोर से य…य…यस यससस। औह जीजू मैं तो हो गईईईईईईई…! इसके साथ ही बेबो की चूत अपना पानी छोड़ देती। फिर वो एक धीमी सी आह भरती और फिर वो ढीली पड़ जाती।
मैं समझ जाता कि बेबो डिस्चार्ज हो गई है। मैं भी डिस्चार्ज होने वाला होता था, इसलिये मैं तेज-तेज धक्के मारने लगता और जोर-जोर से अपने लण्ड को बेबो की चूत में पेलने लगता। बेबो मुझे जल्दी से होने को और मेरे लण्ड को अपनी चूत में से बाहर निकालने के लिए बोलने लगती। लेकिन मैं उसकी बातों को अनसुना कर तेज-तेज धक्के लगाना जारी रखता। करीब 2-3 मिनट तक बेबो को तेज-तेज चोदने के बाद जब मैं डिस्चार्ज होने लगता तो मैंने अपना लण्ड बेबो की चूत से बाहर खींच लेता और अपने लण्ड के सुपाड़े को अपनी मुठ्ठी में भर लेता और अपनी मुठ्ठी में ही डिस्चार्ज हो जाता।
फिर मैं तुरन्त उठ कर, अपना लोअर और जौकी एक पैर में फँसाए हुए धीरे-धीरे चलता हुआ वाश-बेसिन के पास जा कर अपना लण्ड और हाथ धोता। फिर अपना लोअर पहन कर सोफे के पास आता और बेबो के ऊपर गिर जाता। बेबो अपनी सलवार पहन चुकी होती थी। फिर मैं कुछ देर उसके ऊपर लेट कर अपनी तेज-तेज चलती हुई सांसों को नार्मल होने का इन्तज़ार करता। फिर मैं बेबो की बगल में लेट जाता। बेबो भी मेरे साथ लेटी हुई अपनी सांसों को काबू में आने का इंतजार करती थी। कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहने के बाद हम दोनों उठकर अपने कपड़े ठीक करते और फिर सोफे पर बैठकर आराम से नार्मल बातें करनी शुरु कर देते जैसे कुछ हुआ ही ना हो।
मैं धीरे से बेबो से पूछता कि कैसा लगा तो वो बोलती,"जीजू! बहुत अच्छा लगा। बहुत मजा आया। सचमुच मैं तो आपकी दीवानी बन गई हूँ।"
मैं उससे कहता कि चलो कल फिर करेंगे।
तो बेबो बोलती,"अब आप जब चाहें ये सब कर सकते हैं। मुझे कोई एतराज नहीं होगा।"
यह सुन कर मैं खींच कर उसे अपनी गोद में लिटा लेता। मैं सोफे के एक कोने पर बैठा होता और बेबो मेरी गोद में लेटी होती। फिर मैं अपने जलते हुऐ होंठ बेबो के होंठों पर रख देता। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों मे भर कर चूसने लगता। बेबो भी मुझ से लिपट सी जाती। फिर मैं बेबो को किस करते-करते उसके बालों में हाथ फिराने लगता। फिर मैं उसके गालों पर हाथ फिराने लगता। फिर मैं अपने हाथ को नीचे ले जाकर उसके कुरते के ऊपर से उसके स्तनों को दबाने लगता। फिर मैं मजाक में उसके कान में कहता कि बेबो चलो एक बार फिर करते हैं।
यह सुनते ही वो एकदम छटक कर अलग हो जाती और बोलती,"क्या जीजू ! बडे गन्दे हो आप। इतना सब कुछ हो गया। फिर भी चैन नहीं पड़ा है। अब सब्र रखो। दीदी उठने वाली होंगी। मैं चाय बना के लाती हूँ। फिर चलो लूडो खेलेंगे।"
ये कह कर वो शरारत से अपना हाथ हिला कर बाय किया करती और फिर वो तेजी से किचन की और बढ़ जाती।
मैं सोफे पर बैठा-बैठा उसे जाते हुए देखता रहता। फिर मैं अपनी आँखें बंद करके मन ही मन यह सोच कर बहुत खुश होता था कि कैसे मैंने बेबो को अभी-अभी सोफे पर जम कर चोदा है। कुछ देर बाद बेबो चाय लाकर मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ जाती और हम चाय की चुस्की लेते-लेते बातें करना और लूडो खेलना शुरु कर देते।
इस तरह मैंने अलग-अलग दिन कुल 5 बार मैंने बेबो के साथ सोफे पर सैक्सपिरियंस किया। इसके बाद मौका मिलने पर लगभग दो साल में मैंने कुल 9 बार अपने घर में, 3 बार बेबो के घर में और एक ही रात में 3 बार होटल के कमरे में बेबो के साथ खुलकर सैक्स किया।
दो साल बाद बेबो की शादी हो गई और आज वो दो बच्चों की माँ हैं। बेबो और उसके परिवार से हर साल दो या तीन बार मुलाकात जरुर होती है। फोन पर तो अकसर बात होती रहती है। लेकिन हम भूल कर भी अपने पुराने सैक्स के बारे में बात नहीं करते है। बेबो की शादी के बाद हमने मौका मिलने पर भी कभी सैक्स नहीं किया और शायद यही वजह है कि हमारे दिल में एक दूसरे के लिये प्यार आज भी है। सच्चा प्यार मरता नहीं है .…

दीदी की चूत से मौसी गांड तक

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सौतेले बाप के संग बिस्तर पर


मेरा नाम डौली है, मैं पंजाब से अमृतसर की एक बेहद कमसिन हसीना हूँ, मैं भरे हुए यौवन की पिटारी हूँ जिसको हर मर्द अपने नीचे लिटाना चाहता है, पांच फ़ुट पांच इंच लंबी, जलेबी जैसा बदन, किसी को भी अपनी ओर खींचने वाला वक्ष, पतली सी कमर, मस्त गद्देदार गांड, गुलाबी होंठ, गोरा रंग !
अपने से बड़ी लड़कियों के साथ मेरा याराना है। मैंने इसी साल बारहवीं क्लास की है और नर्सिंग के तीन साल के कोर्स में मैंने दाखला लिया है। मेरी माँ की शादी सोलहवें साल में हो गई थी और बीस साल तक पहुंचते दो लड़कियो की माँ बन गई, सुन्दर औरत है, पांच बच्चे जन चुकी है लेकिन अभी भी कसा हुआ जिस्म है।
मेरी माँ के कई गैर मर्दों के साथ रिश्ते थे जिससे मेरा बाप माँ के साथ झगड़ा करता। पापा ने काफी जायदाद माँ के नाम से खरीदी थी। आखिर दोनों में तलाक हो गया, तीन बच्चे पापा ने रखे और हम दो माँ के साथ रहने लगीं।
माँ को जवान लड़कों का चस्का था, लड़कों हमारे पीछे बुलवा कर चुदवाती जिसका असर हम पर होने लगा। माँ के नक्शे कदम पर बड़ी बहन ने पैर रख दिए, मेरा भी एक लड़के के साथ चक्कर चल पड़ा और एक दिन मैं घर में अकेली थी। माँ दिल्ली किसी काम से गई हुईं थी। इसलिए दीदी ने उस रात अपने किसी बॉय-फ्रेंड के साथ चली गई क्यूंकि उनकी फ़ोन पर बात हो रही थी मैंने दूसरी तरफ से फ़ोन उठाया हुआ था। मैं और मेरा प्रेमी पम्मा भी चोरी छिपे सिनेमा और पार्कों में मिलते और बात चूमा चाटी तक ही रह जाती थी। ज्यादा से ज्यादा सिनेमा में में उसके लौड़े को सहलाती उसकी मुठ मारती, चूसती थी।
उस रात मैंने पम्मा को बुलवा लिया, करीब रात के दस बजे पम्मा आया ,मेरे कमरे में जाते ही हम एक दूसरे से लिपट गए। उससे ज्यादा मैं लिपट रही थी। उसने मेरा एक एक कपड़ा उतार दिया, मैंने उसका !आखिर में मैंने नीचे झुकते हुए उसके लौड़े को मुँह में ले लिया। उसने खूब मेरी चुचियाँ दबाई और चुचूक चूसे, ६९ में आकर चूत चाटी।
उसने अपना लौड़ा जब मेरी टांगों के बीच में बैठ चूत पर रखा- हाय डालो न राजा !
उसने कहा- ज़रा मुँह में लेकर गीला कर दे !
उसने फिर से रखा !
अब डालो भी !
उसने झटका दिया और मेरी चीख निकल गई- छोड़ो ऽऽ ! निकालोऽऽ !
उसने मुझ पर पहले से शिकंजा कसा था, उसने बिना कुछ कहे पूरा लौड़ा डाल दिया।
हाय मर गई ईईईईइ माँ ! फट गई !
कुछ पल बाद मैं खुद चुदवाने के लिए गांड उठा कर करवाने लगी। उसने अब पकड़ ढीली की।
हाय राजा मारते रहो !
करीब पन्दरह मिनट के बाद दोनों झड़ गए। उस रात मेरी सील टूटी, पूरी रात चुदवाती रही, मैं कली से फूल बन चुकी थी।
जब तक माँ नहीं आई हर रात वो मुझे चोद देता। एक रात उसने अपने एक दोस्त को साथ बुलाया और मिलकर मेरी चूत मारी।
जिस दिन माँ वापस आई, उसके साथ एक हट्टा कट्टा जवान लड़का था। माँ की मांग में सिंदूर था और नया मंगल सूत्र !
माँ ने हम दोनों बहनों को बुलाया और बताया कि माँ ने दूसरी शादी कर ली है।
उसकी उम्र पैन्तीस-छत्तीस साल के करीब होगी, माँ चवालीस साल !
दोनों रात होते कमरे में घुस जाते, फिर चुदाई समरोह चलता !
एक दिन मैंने दिन में ही माँ के कमरे का पर्दा सरका दिया। रात हुई, मैंने अन्दर देखा- माँ बिलकुल नंगी थी अकेली बिस्तर पर लेटी चूत मसल रही थी, अपने हाथ से अपना मम्मा दबा रही थी। माँ ने ऊँगली के इशारे से मेरे सौतेले बाप को पास बुलाया, नीचे की ओर चूत पर दबाव दिया और चूत चटवाने लगी। मेरी चूत गीली होने लगी। मैं अपनी चूत में ऊँगली करते हुए सब देख रही थी।
माँ उसका मोटा लौड़ा मुँह में डाल कुतिया की तरह चाट रहीं थी- हाय मेरे राजा ! तेरे लौड़े को देखकर मैंने तुझे खसम बना लिया है।
वो सीधा लेट गया, माँ ने थूक लगाया और उस पर बैठ गई।
मैं वहां से आई और कमरे में जाकर अपनी चूत में ऊँगली करने लगी।
कुछ दिनों में मेरा सौतेला बाप मेरे जवानी पे ध्यान देने लगा लेकिन मैं उससे ज्यादा बात नहीं करती थी। जब वो सामने आता, मेरे आँखों में उसके लौड़े की तस्वीर घूमने लगती। रात को माँ को सिर्फ अपनी चुदाई से वास्ता था। यह नहीं सोचा कि दो जवान बेटियों पर क्या असर होगा। दीदी तो इस आजादी से खुश थी।
माँ का बहुत बड़े स्केल की बूटीक है, मेरे सौतेले बाप को पैसे देकर वर्कशॉप खोली और नई कार खरीद कर दी। हमें पैसे देते वक्त चिल्लाती- इतने पैसे का क्या करती हो ?
मैंने माँ को सबक सिखाने की सोची।
सौतेला बाप खाना खाने दोपहर घर आ जाता। मैं उसके साथ घुलमिल सी गई, पहले से ज्यादा बात करती ! वो भंवरे की तरह मेरी जवानी का रस चूसने के लिए बेताब था।
एक दोपहर अपने कमरे के ए.सी की तार निकाल दी और उनके आने से पहले उनके कमरे का ए.सी चालू कर वहां लेट गई। मैंने एक जालीदार और पारदर्शी गाऊन, गुलाबी और काली कच्छी-ब्रा डाल उलटी तकिये से लिपट सोने का नाटक करने लगी।
आज तक मैं उसके सामने ऐसे नहीं आई थी। जब वो आये, मुझे मेरे कमरे में ना पाकर मायूस से होकर अपने ही कमरे में आये। मैंने थोड़ी से आंख खोल रखी थी, मुझे देख वो खुश हो गया, बाहर गया, सारे लॉक लगा वापस आया। दूसरे बेड पर बैठे हुए उसने अपना हाथ मेरी रेशम जैसे पोली-पोली गांड पर फेरा। मैं गर्म होने लगी, वहां से हाथ पेट तक गया, उसका मरदाना हाथ अपना पूरा रंग दिखा रहा था।
उसने मेरा गाऊन खिसका दिया। मैंने पलट कर उसको अपने ऊपर गिरा लिया। वो पहले से ही सिर्फ कच्छे में था, आगे से फटने हो आया हुआ था।
उसने मुझे नंगी कर दिया, बोला- रानी ! क्या जवानी है तेरी ! तुम दोनों बहनें साली रंडियाँ हो ! तेरी माँ ने जब परिवार की तस्वीर दिखाई थी, उसे देख मैंने उससे शादी कर ली।
मैंने जिस दिन से आपका लौड़ा देखा है, चुदवाने को तैयार थी !
हम दोनों एक दूसरे को पागलों जैसे चूमने लगे, तूफ़ान आ चुका था।
ओह मेरी जान !
मैंने उसका लौड़ा मुँह में ले लिया और कुतिया की तर जुबान निकल निकाल चाटने लगी। वो भी मेरा साथ देने लगा, वो भी अपनी जुबान जब मेरे दाने पर फेरता तो मैं उछल उठती- अह अह करने लगती !
बहुत ज़बरदस्त मर्द खिलाड़ी था ! एक एक ढंग था उसके तरकश में लड़की चोदने के लिए !
साली कितनों से चुदी है?
काफी चुदी हूँ ! लेकिन मुझे अब तड़पाओ मत और मेरी चूत मारो !
आह मसल दे मुझे ! कमीने रगड़ दे ! मेरे जिस्म को पेल डाल अब बहन के लौड़े !
छिनाल, कुतिया, गली की रंडी ! तेरी माँ चोद दूंगा !
आज तेरी हूँ मैं तेरी ! जो आये करो !
आह !
उसने मेरे बालों को पकड़ मेरे मुँह में लौड़ा घुसा कर उसे निकलने नहीं दे रहा था। मैं खांसने लगी, मैंने टांगें खोल ली और वो बीच में आया, मैंने हाथ से पकड़ चूत पे टिकाया, उसने जोर से झटका मारा और उसका आधा लौड़ा घुस गया। थोड़ी सी दर्द हुई लेकिन मैंने चिल्लाने का काफी नाटक किया। सांस खींच चूत कसी, उसके दूसरे झटके में पूरा लौड़ा उतर चुका था।
और आह फक मी ! चोद और चोद साले, दिखा दे दम !
ले कुत्ती कहीं की !
दस मिनट ऐसे चोदने के बाद बोला- कुतिया की तरह झुक जा !
वो मेरे पीछे आया, उसने लौड़े पर थूक लगाया और पेल दिया।
हाय मेरे राजा ! मेरे सांई !
उसने रफ्तार पकड़ ली। हाय, उसने मेरा बदन खड़का दिया। नीचे से मेरे कसे हुए बड़े बड़े मम्मों को इस तरह मसल रहा था जैसे कोई गाय का दूध निकाल रहा हो। मैं झड़ गई लेकिन वो अभी भी मस्ती से चूत मार रहा था।मैंने कहा- मेरा काम तमाम हो गया !
तो उसने बिना कुछ कहे लौड़े खींचा, मेरी गांड पर रख झटका मारा। मैं तैयार नहीं थी उसके इस वार के लिए !
दर्द से कराह उठी मैं !
वो नहीं माना और पूरा लौड़ा घुसा के ही दम लिया और तेजी से मारने लगा। जैसे मुझे कुछ राहत मिली, मैं अपनी चूत के दाने को चुटकी से मसलने लगी। पांच मिनट बाद उसने अपना पूरा माल मेरी गांड के अन्दर छोड़ दिया और बाहर निकाल मेरे होंठों से रगड़ दिया। मैंने जुबान निकाल सब कुछ साफ़ कर दिया।
शाम तक उसने मुझे दो बार चोदा। रोज़ दोपहर में मुझे चोदता।
मुझे सोने का सेट, पायल का जोड़ा, खुला खर्चा देता।
एक दिन उसने बताया कि वो दोस्तों के साथ घूमने शिमला जा रहा है। मेरे कहने पर उसने मुझे साथ लेकर जाने का फैसला किया। मैंने कॉलेज टूर का प्रोग्राम बताया। उसने अपनी वर्कशॉप के लिए दिल्ली से कुछ सामान !
उसके साथ उसके तीन दोस्त थे, मैं अकेली !

ससुर ने की बहु की गांड चुदाई


12 बज चुके थे। छोटे से गाँव राजापुर में बहूत ही सन्नाटा छ गया था। राजापुर गरीब की बस्ती है। इसी बस्ती के एक कोने में हरिया का घर है। हरिया एक गरीब किसान है। हरिया अपने घर के एक अँधेरी कोठरी में अक्सर की तरह अपनी बीबी की चुदाई में मशगुल था। हरिया की उमर 50 साल की है। और उसकी बीबी की उमर 45 साल की है। हरिया अपनी बीबी की चूत में लंड डाल कर काफ़ी देर तक उसकी चुदाई कर रहा था। उसकी बीबी मुन्नी बिना किसी ख़ास उत्तेजना के अपने दोनों पैर फैला कर यूँ ही पड़ी थी जैसे की उसे हरिया के बड़े लंड की कोई परवाह ही न हो या फिर कोई तकलीफ ही न हो रही है। केवल हर धक्के पर धीमे से आह आह की आवाज निकल रही थी। मुन्नी की बुर कब का पानी छोड़ चुका था। थोडी ही देर में हरिया का लंड से माल निकलने लगा तो वो भी आह आह कर के मुन्नी के चूची पे अपना मुह रख दिया और उसके बदन पर लेट गया । वो मुन्नी की बेजान चूची को उसने मुह में ले कर चूसने लगा। थोड़ी देर के बाद उसने अपना लंड मुन्नी के बुर से निकाला और बगल में लेट गया। उसने अपनी बीडी जलाई और पीने लगा। मुन्नी उसके लटक रहे लंड को अपने हाथों में ले लिया और उस को सहलाने लगी। लेकिन अब हरिया के लंड में कोई उत्साह नही था। वो एक बेजान लत की तरह मुन्नी के हाथो का खिलौना बना हुआ था।

मुन्नी के कहा - एक बार और चोदो न. कुछ पता भी नहीं चला कि कब मेरा माल निकल गया.

हरिया- नहीं अब नहीं, तेरी चूत अब एकदम सुखी हो गयी है. तेरे चूत से पानी निकल जाता है . एकदम बेजान चूत हो गयी है तेरी. तेरे चूत कि चुदाई में अब कुछ मज़ा नही आता. गीली चूत चोदने का मज़ा ही कुछ और था.

मुन्नी ने मन मसोस कर हरिया के लंड को अपने मुह में ले कर चूसने लगी कि कहीं शायद ये फिर से खड़ा हो जाए और एक बार और चुदाई कर दे. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. कुछ देर चूसने के बाद भी हरिया का लंड लटकता ही रहा. थक हार कर मुन्नी बगल में चुपचाप लेट गयी. हरिया उसकी एक चूची को यूँ ही बेमन से दबा रहा था और किसी और विचार में खोया हुआ था.

अचानक मुन्नी ने कहा- जानते हो जी ! आज क्या हुआ?

हरिया ने कहा- क्या?

मुन्नी ने कहा- रोज़ की तरह आज में और मालती ( मुन्नी की बहु) सुबह शौच करने खेत गए । वहां हम दोनों एक दुसरे के सामने बैठ कर पैखाना कर थे.... तभी मैंने देखा कि मालती अपने बुर में ऊँगली घुसा कर मुठ मारने लगी।

मैंने पूछा ये क्या कर रही है तू?

तो उसने मेरी पीछे की तरफ़ इशारा किया और कहा - जरा उधर तो देखो अम्मा।

मैंने पीछे देखा तो एक कुत्ता एक कुतिया पे चढा हुआ है।

मैंने कहा- अच्छा, तो ये बात है।

मालती ने कहा- देख कर बर्दाश्त नही हुआ इसलिए मुठ मार रही हूँ।

मैंने कहा - जल्दी मुठ मार , घर भी चलना है।

मालती ने कहा- हाँ अम्मा , बस अब निकलने ही वाला है।

और एक मिनट हुए भी ना होंगे कि उसके चूत से इतना माल निकलने लगा कि एक मिनट तक निकलता ही रहा।

मैंने पूछा- क्यों री , कितने दिन का माल जमा कर रखा था?

उसने कहा- कल दोपहर को ही तो निकाला था।

मैंने भी सोचा- कितना जल्दी इतना माल जमा हो जाता है।


मुन्नी की कहानी सुनने के बाद हरिया ने कहा- वो अभी जवान है ना। अभी तो बेचारी 20 साल की भी ठीक से नहीं हुई है. और फिर उसकी गर्मी शांत करने के लिए अपना बेटा भी तो यहाँ नही है ना। कमाने के लिए परदेश चला गया। अरे में तो मना कर रहा था। 3 महीने भी नही हुए उसकी शादी को और अपनी जवान पत्नी को छोड़ कमाने बम्बई चला गया। बोला अच्छी नौकरी है। अभी बताओ चार महीने से आने का नाम ही नही है। बस फोन कर के हालचाल ले लेता है। अरे फोन से बीबी की गर्मी थोड़े ही शांत होने वाली है? अब उसे कौन कहे ये सब बातें खुल के?

थोडी देर शांत रहने के बाद मुन्नी फिर से हरिया के लंड को हाथ में ले कर खेलने लगी।

हरिया ने मुन्नी की चूची को दबाते हुए उस से पूछा- क्या तुम रोज़ ही उसके सामने बैठ के पैखाना करती हो?

मुन्नी ने कहा- हाँ।

हरिया- तब तो तुम दोनों एक दूसरे का बुर रोज़ देखती होगी।

मुन्नी- हाँ, बुर क्या पूरा गांड भी देखा है हम दोनों ने एक दूसरे का। बिलकूल ही पास बैठ कर पैखाना करते हैं।

हरिया - क्या वो अक्सर मुठ मारती है?

मुन्नी - हाँ. लगभग हर दुसरे दिन मार ही देती है. यहाँ भी अपने कमरे में लगभग हर रात को मुठ मारती है. कई बार तो जब तुम खेत जाते हो तो हम दोनों घर के आँगन के कुएं पर नंगी हो के मेरे साथ नहातें हैं और वो वहाँ भी मेरे सामने ही मुठ मार देती है. कभी कभी तो मुझे भी गरमी चढ़ जाती है तो वो ही उसी समय कुएं पर मेरा भी मुठ मार देती है. बड़ी मस्त कुड़ी है.

हरिया- अच्छा , एक बात तो बता। उसका बुर तेरी तरह काला है या गोरा?

मुन्नी- पूरा गोरा तो नही है लेकिन मेरे से साफ़ है। मुझे उसके बुर पर के बाल बड़े ही प्यारे लगते हैं। बड़े बड़े और लहरदार रोएँ की तरह बाल। कई बार तो मैंने उसके बाल भी छुए हैं।

हरिया- क्यों?

मुन्नी - क्या करूँ? बेचारी बच्ची है. कभी कभी जिद पकड़ लेती है कि आज तू ही मेरी मुठ मार दे. इसलिए मै उसकी चूत में उंगली डाल कर मुठ मार देती हूँ. बेचारी को थोड़ी शान्ति मिल जाती है.

हरिया- बुर कैसा है उसका?

मुन्नी- बुर क्या है लगता है मानो कटे हुए टमाटर हैं। एक दम फुले -फुले, लाल -लाल।

अचानक मुन्नी ने महसूस किया की हरिया का लंड खड़ा हो रहा है। वो समझ गई की हरिया को मज़ा आ रहा है।

वो बोली- अच्छा ,एक बात तो बताओ।

हरिया बोला- क्या?

मुन्नी- क्या तुम उसे चोदोगे?

हरिया- ये कैसे हो सकता है?

मुन्नी- क्यों नही हो सकता है? वो जवान है । अगर गर्मी के मारे किसी और के साथ भाग गई तो क्या मुह दिखायेंगे हमलोग गाँव वालों को? अगर तुम उसकी गर्मी घर में ही शांत कर दो तो वो भला किसी दूसरे का मुह क्यों देखेगी। जब वो किसी कुत्ते-कुतिया को देख कर मुठ मार सकती है तो वो किसी के साथ भी भाग सकती है। कितना नजर रख सकते हैं हम लोग? थोड़े दिन की तो बात है । फिर हमारा बेटा मोहन उसे अपने साथ बम्बई ले जाएगा तब तो हमें कोई चिंता करने की जरूरत तो नही है न।

हरिया- क्या मालती मान जायेगी?

मुन्नी ने कहा- कल रात को में उसे तुम्हारे पास भेजूंगी। उसी समय अपना काम कर लेना।

हरिया का लंड पूरा जोश में आ गया।

उसने मुन्नी की बुर में अपना लंड डालते हुए कहा- तुने तो मुझे गरम कर दिया रे।

मुन्नी ने मुस्कुरा कर अपनी दोनों टांगें फैला दी और जान बुझ कर जोर जोर से आह आह की आवाज़ निकने लगी। हालंकि उसे कोई ख़ास दर्द नही हो रहा था लेकिन वो अपनी बहु को सुनाने के लिए जोर जोर से बोलने लगी- आह -आह, धीरे धीरे चोदो ना। दर्द हो रहा है।

ये आवाज़ बगल के कमरे में सो रही उसकी बहु मालती को जगाने के लिए काफ़ी थी। चुदाई की मीठी दर्द भरी आवाज़ सुन कर मालती का बुर चिपचिपा गया। वो अपने पिया मोहन के लंड को याद कर के अपने बुर में ऊँगली डाली और दस मिनट तक ऊँगली से ही बुर की गत बना डाली।

सुबह हुई । दोनों सास बहु खेत गई । दोनों एक दूसरे के सामने बठी कर पैखाना कर रही थी।

मालती ने अपनी सास मुन्नी की बुर देख कर बोली- अम्मा, तुम्हारा बुर कुछ सुजा हुआ लग रहा है।

मुन्नी ने मुस्कुरा कर कहा- ये जो तेरे ससुर जी हैं न बुढापे में भी नही मानते। देख न कल रात को इतना चोदा की अभी तक दुःख रहा है।

मालती ने कहा- एक बात पूछूं अम्मा?

मुन्नी- हाँ, पूछ न।

मालती- बाबूजी का लंड खड़ा होता है अभी भी?

मुन्नी- हाँ री। खड़ा क्या? लगता है बांस का कहता है। जब वो मुझे चोदते हैं तो लगता है की अब मेरी बुर तो फट ही जायेगी।

मुन्नी ने देखा की मालती अपनी ऊँगली अपने बुर में घुसा दी है।

मुन्नी ने पूछा- क्या हुआ तुझे? क्या फिर कोई कुत्ता है यहाँ ?

मालती बोली- नही अम्मा, मुझे तुम्हारी बातें सुन के गर्मी चढ़ गई है। इसे निकालना जरूरी है।

मुन्नी बोली- सुन, तू एक काम क्यों नही करती? आज रात तू अपने ससुर के साथ अपनी गर्मी क्यों नही निकल देती?

मालती चौंक कर बोली- ये कैसे हो सकता है? वो मेरे ससुर हैं।

मुन्नी बोली- अरे तेरी जरूरत को समझते हुए मैंने ऐसा कहा। तुझे इस समय किसी मर्द की जरूरत है। अब जब घर में ही मर्द मौजूद हो तो क्यों नही उसका लाभ उठा जाए।

मालती का मन अब डोल चुका था।

वो बोली- कहीं बाबूजी नाराज हों गए तो ?

मुन्नी बोली- अरे तू आज रात को उनके पास चले जाना। में बहाना बना के भेज दूँगी। धीरे धीरे रात के अंधेरे में जब तू उनको छुएगी ना , तो तू भूल जायेगी की तू उनकी बहु है और वो भूल जायेगे की वो तुम्हारे ससुर हैं।

ये सुन कर मालती के बुर में मानो तूफ़ान आ गया। उसके बुर से इतना पानी निकलने लगा की मुन्नी को लगा की ये पेशाब कर रही है। अब मुन्नी खुश थी। दोनों तरफ़ मामला सेट था।

रात हुई। खाना- वाना ख़तम कर मुन्नी हरिया के कमरे में गई और हरिया को बता दी कि मै मालती को भेज रही हूँ। वो चुदवाने के लिए तैयार है. तुम सिर्फ़ थोडी पहल करना।
कह के वो बाहर चली आई।

और बहु से बोली- बहु, ओ बहु, सुन आज मेरी तबियत कुछ ठीक नही है। तू जरा अपने ससुर जी को तेल तो लगा दे।

फिर दरवाजे के बाहर से हरिया को बोली- सुनते हों जी , में जरा छत पर सोने जा रही हूँ। मालती बहु से तेल लगवा लेना।

इस प्रकार मालती को लगा कि ससुर जी को मेरे मन की बात पता नहीं है और उसे नहीं पता चला कि ससुरजी उसको चोदने के लिए किस तरह बेताब है. . जब कि हरिया को सब कुछ पहले से ही पता था.

मालती जैसे ही दरवाजे के पास आई मुन्नी ने उस से धीरे से कहा - देख मैंने बहाना बना कर तुम्हे उनके पास भेज रही हूँ। मालिश करते करते उनके लंड तक अपना हाथ ले जाना। शर्माना नही। अगर उनको बुरा लगे तो कह देना की अंधेरे में दिखा नही। अगर कुछ नही बोले तो फिर हाथ लगाना। जब देखना कि कुछ नही बोल रहे हैं तो समझना की उन्हें भी अच्छा लग रहा है। ठीक है ना? अब मैं चलती हूँ।

कह कर मुन्नी छत पर चली गई। इधर मालती हाथ में तेल की शीशी लिए हरिया के कमरे में आई।

हरिया ने कहा- आजा बहु । वैसे तो तेल मालिश की जरूरत नही थी, लेकिन आज मेरा पैर थोड़ा सा दर्द कर रहा है इसलिए मालिश जरूरी है।

मालती हरिया के बिस्तर पर बैठ गई। कमरे में एक छोटी सी डिबिया जल रही थी। जो कि पर्याप्त रौशनी के लिए भी अनुकूल नही थी।

मालती ने कहा- कोई बात नही। में आपकी अच्छे से मालिश कर देती हूँ। आप ये लूंगी उतार ले।

हरिया ने कहा- बहु, जरा ये डिबिया बुझा दे , क्यों की मैंने लूंगी के अन्दर छोटी सी लंगोट ही पहन रखी है।

मालती ने डिबिया बुझा दी। अब वहां घुप अँधेरा छा गया। सिर्फ़ बाहर की चांदनी रात की हलकी रोशनी ही अन्दर आ रही थी। हरिया ने लूंगी उतार दी।अब वो सिर्फ लंगोट में था. मालती की सांसे तेज़ हों गई। वो तेल को हरिया के पैरों में लगाने लगी। धीरे धीरे वो हरिया के जांघों में तेल लगाने लगी। धीरे से उसने जान बुझ कर हरिया के लंड तक अपना हाथ ले गई। हरिया ने कुछ नही कहा। मालती दुबारा हरिया के लंड पर हाथ लगाया। और तेल को वो जांघों और लंड के बीच लगाने लगी। जिससे वो बार बार हरिया के अंडकोष पर हाथ लगा सकती थी। हरिया ने जब देखा की बात लगभग बन चुकी है। उसने अपनी लंगोट की डोरी को कब खोल दिया मालती को पता भी ना चला। धीरे धीरे जब वो हरिया के अंडकोष पर हाथ फेर रही थी तो उसी के हाथ से उसकी लंगोट हट गई। लंगोट हटने पर मालती पूरी गरम हों गई। क्यों कि हरिया अब पूरी तरह से नंगा हो चुका था. खिडकी से आ रही चांदनी रात की हलकी हलकी रोशनी में वो हरिया के लंड को साफ़ साफ़ देख सकती थी. अब वो हरिया के लंड को छूने की कोशिश कर रही थी। धीरे धीरे उसने लंड पर हाथ लगाया और हटा लिया। हरिया का लंड सोया हुआ था। लेकिन ज्यों ही मालती ने हरिया का लंड छुआ मालती के जिस्म में एक सिरहन सी दौड़ गई। अब वो दुबारा अपना हाथ हरिया के दूसरे जांघ पर इस तरह ले गई जिस से उसकी कलाई हरिया के लुंड को छूती रहे। हरिया भी पका हुआ खिलाड़ी था। उसका लंड जल्दी खड़ा होने वाला नही था। उसे तो पता था कि मालती चुदवाने के लिए पूरी तरह से तैयार है .

हरिया ने कहा- बहु, अब जरा मेरे जांघ पर बैठ कर मेरे सीने की मालिश कर दे. इस से मेरे जांघ का दर्द भी कम हो गायेगा.

मालती बोली - बाबूजी आपके जांघ में तो काफी सारा तेल लगा हुआ है . आपकी जांघ पर मै बैठूंगी तो मेरी साड़ी में तेल लगने से ये खराब हो जायेगी.

हरिया- तुम अपनी साड़ी खोल दो ना। वैसे भी तेल लगने से सारी ख़राब हों सकती है।

मालती ने कहा- बाबूजी , साड़ी के नीचे मैंने पेटीकोट नही पहना है। इसलिए मै साड़ी नही खोल सकती।

हरिया ने कहा- अगर तू अन्दर कुछ नही पहनी है तो क्या हुआ? वैसे भी अंधेरे में में तुम्हे देख थोड़े ही पा रहा हूँ जो तुम यूँ शरमा रही हों?

मालती तो ये चाहती थी। उसने सोचा कि जब ससुरजी ही उसे नंगी होने के लिए कह रहे हैं तो उसे देर नहीं करनी चाहिए. उसने अपनी साड़ी खोल के एक किनारे रख दिया। अब वो सिर्फ ब्लाउज पहने हुई थी. और उसने कमर के नीचे कुछ भी नहीं पहन रखा था.

वो हरिया के जांघ पर इस तरह से बठी की उसकी चूत हरिया के लंड में पूरी तरह से सटने लगी. उसकी नरम गांड हरिया के सख्त जांघ पर इस तरह थी मानो पत्थर पर कमल का फूल. हरिया को उसकी नरम नरम गांड का अहसास होने लगा. मालती भी अपने चूत से अपने ससुर के लंड को छूने के लिए अब बेताब होने लगी.
वो हरिया की जांघ पर बैठे बैठे उसके सीने की मालिश करने लगी. मालिश करते करते वो अपना हाथ हरिया के सीने से लेकर उसके लंड तक लेते आती. जब भी वो हरिया के सीने की तरफ अपना हाथ आगे बढ़ाती तो अपनी चूत से अपने ससुर के लंड को दबाने की कोशिश जरुर करती. और वापसी में अपने हाथ को उसके लंड तक लाती.
उसने अपने लंड को ढीला रखा हुआ था. मालती अपना हाथ कई बार हरिया के लंड के ऊपर से छूती हुई नीचे लाती. धीरे धीरे उसने हरिया के लंड पर हाथ फेरना चालु किया. वो अँधेरे में उसके लंड को इस तरह छू रही थी मानो वो अनजाने में ऐसा कर रही हो. अब हरिया में भीतर तूफ़ान उठना शुरू हो गया. वो समझ गया की लोहा गरम है और यही सही समय है चोट मारने का. उसने अपने हाथ से अपनी बहु की नंगी जांघ पर हाथ रखा और चिकनी जांघ पर हाथ फेरने लगा. उसकी बहु को मज़ा आने लगा. उसने अपने हाथ में हरिया का लंड पूरी तरह पकड़ लिया. और उसे दबाने लगी. अब थोडा थोडा हरिया का लंड खडा होने लगा. लेकिन वो पूरी तरह से इसे खड़ा नहीं किया और हरिया ने अपने हाथ को धीरे धीरे अपनी बहु की गांड पर फेरना चालु कर दिया. अब मालती को पूरा यकीन हो गया की ससुरजी भी चोदने के लिए तैयार हैं. हरिया का हाथ अपनी बहु की गांड की दरार में कुछ खोजने लगा. एक बार जैसे ही मालती आगे की और झुकी वैसे ही हरिया ने मालती की गांड की छेद में अपनी ऊँगली घुसा दिया. मालती तड़प गयी. लेकिन वो कुछ नहीं बोली. वो सिर्फ आगे की और झुकी रही. और नीचे से उसके ससुर उसकी गांड में उंगली करता रहा. अब मालती अपने रंग में आई और लपक कर अपने ससुर के लंड पर अपने चूत को पूरा सटा दी. अब मामला पूरी तरह से साफ़ हो चुका था.

हरिया ने अपने शरीर पर झुकी हुई अपनी बहु को एक हाथ से लपेटा और अपने बदन पर सटा दिया. अब मालती की चूची हरिया के सीने पर रगड़ खाने लगी. हरिया अपनी बहु की गदराई नरम देह को अपने सख्त शरीर में कस कर सटा रहा था.

उसने बहु को पकड़ कर अपने बगल में लिटा दिया और उसके चूची पर हाथ रख के बोला- ब्लाउज खोल दे.

मालती ने अपने ब्लाउज का हुक खोल दिया। हरिया ने ब्लाउज को मालती के चूची पर से अलग कर दिया और चूची को छूने लगा।

वो मालती के चूची को मसलने लगा। मालती की चूची गदराई जवानी का प्रतीक थी.

हरिया बोला- तेरी चूची तो एक दम सख्त है। में तेरी चूची छू रहा हूँ, तुझे बुरा तो नही लग रहा है न?

मालती बोली- नही, आप मेरे साथ कुछ भी करेंगे तो में बुरा नही मानूंगी।

हरिया ने कहा- शाबाश बहु, यही अच्छे बहु की निशानी है। बोल तुझे क्या चाहिए?

मालती- बाबूजी मुझे कुछ नही चाहिए, जो आपकी मर्ज़ी हो वो दे दें ।

हरिया- बहुत दिन से प्यासा हूँ. जरा मुझे अपनी चूत का पानी पिला दे ना .

मालती- अब देर किस बात की?

हरिया ने नीचे जा कर मालती के बुर को पहले तो छुआ फिर, मुंह में ले कर चूसने लगा।

मालती बोली- ऐसे मत चूसिये बाबूजी , मै मर जाऊंगी।

लेकिन हरिया नहीं माना. वो तो इस तरह इसे चूस रहा था मानो कोई आम की गुठली चूस रहा हो. मालती अपनी आँख बंद कर के अपने दोनों हाथ से अपने सर के पीछे रखे तकिये को जोर से पकड़ कर दबाये हुए मचल रही थी. उसका नंगा बदन सांप की तरह अंगडाई ले रहा था. थोड़ी देर में ही मालती के चूत ने पानी छोड़ दिया. हरिया ने मालती की चूत से बहती हुई पुरी पानी को चाट चाट कर पी लिया.

अब हरिया उठ खड़ा हुआ और, मालती के हाथ में अपना लंड थमा दिया। मालती के हाथ मानो कोई खजाना मिल गया हों। वो हरिया के लंड को कभी चूमती कभी खेलती. लेकिन वो कुछ निराश भी थी क्यों की ससुरजी का लंड आधा ही खडा हुआ था. जबकि सासुजी ने कहा था कि ससुरजी का लंड बांस की तरह टाईट हो जाता है. लेकिन मालती फिर भी इस आधे खिले हुए लंड को ही अपने प्यासे चूत में डालने के लिए बेताब थी.

वो बोली-बाबूजी, इसको मेरे बुर में एक बार डाल दीजिये न।

हरिया ने अपने लटके हुए लंड को हाथ से पकड़ कर मालती के बुर में घूसा दिया। मालती के बुर में हरिया का लंड जाते ही फुफकार मरने लगा। और मालती के बुर में ही वो खड़ा होने लगा।

मालती- बाबूजी ये क्या हों रहा है? जल्दी से निकल दीजिये।

हरिया- कुछ नही होगा बहु। अब हरिया का लंड पूरी तरह से टाइट हों गया। अब हरिया का लंड सचमुच बांस कि तरह टाईट और बड़ा हो गया था. मालती दर्द से छटपटाने लगी। उसे यह अंदाजा ही नही था की जिसे वो कमजोर और बुढा लंड समझ रही थी वो बुर में जाने के बाद इतना विशालकाय हों जाएगा। हरिया ने मालती को चोदना चालू किया। पहले दस मिनट तक तो मालती बाबूजी बाबूजी छोड़ दीजिये कहती रही। लेकिन हरिया नही सुना, वो धीरे धीरे उसे चोदता रहा। दस मिनट के बाद मालती का बुर थोड़ा ढीला हुआ। अब उसे भी अच्छा लग रहा था। दस मिनट और हरिया ने मालती की जम के चुदाई की। तब जा कर हरिया के अन्दर का पानी बाहर आने को हुआ तो उसने अपना लंड मालती के बुर से निकल के मालती के मुंह में लगा दिया बोला - पी जा।

मालती ने हरिया के लंड को मुंह में ले कर ज्यों ही दो- तीन बार चूसा की हरिया के लंड से तेज़ धार निकली जिस से मालती के पूरा मुह भर गया। मालती ने सारा का सारा माल गकत लिया। आज जा कर मालती की गर्मी शांत हुई।

उस के बाद फिर थोड़ी देर के बाद ससुर और बहु के बीच सम्भोग का खेल चालु हुआ. इस बार काफी इत्मीनान हो कर हरिया अपनी बहु मालती की चुदाई कर रहा था. मालती अब जोर जोर से आह आह की आवाज निकाल रही थी ताकि उसकी सास भी सुन ले और ये जान ले कि उनकी प्लानिंग कामयाब हो गयी है. इस बार जब हरिया का माल निकालने को आया तो मालती ने कहा- इस बार चूत में ही निकाल लीजिये. हरिया ने वैसे ही किया. 2 मिनट तक उसके लंड से माल निकलता रहा और मालती के चूत में गिरता रहा. हरिया मालती के चूत में लंड डाले हुए ही सो गया और मालती को भी कब नींद आ गयी उसे भी पता ना चला.

सुबह के चार बजे जब मुन्नी छत पर से नीची आई और अपने कमरे में गयी तो देखती है कि उसका पति हरिया अपनी बहु मालती के चूत में लंड डाले हुए उसके नंगे बदन पर सो रहा है. देख कर मुन्नी को थोड़ी ख़ुशी हुई कि चलो आखिर मेरी बहु मेरे घर के काम आई. उसने जा कर अपने बहु को हिला कर जगाया. थकी हुई बहु की आँखे खुली तो अपने चूत में अपने ससुर जी का लंड देख कर और सामने अपनी सास को देख कर थोड़ी शर्म आई. उसने प्यार से ससुरजी के लंड को अपने चूत से निकाला और ससुर जी को जगाया. हरिया की भी आँख खुल गयी. उसने जब अपने आप को नंगा और अपनी बहु को नंगा देखा तो उसे सारी बात याद आ गयी.

मुन्नी ने पूछा- अरे मालती, मैंने तो तुम्हे इनकी मालिश करने को कहा था. इन्होने ने तो तेरी ही मालिश कर दी. रात भर मालिश करवाती रही क्या?

मालती ने मुस्कुरा कर कहा- नहीं अम्मा, सिर्फ 3 बार !

मुन्नी ने हरिया से कहा- क्यों जी , कैसी लगी मेरी बहु के हाथो की मालिश? मज़ा आया? मेरी फुल जैसी बहु को तुमने ज्यादा मालिश तो नहीं कर दी ना?

हरिया ने कहा - हमारी बहु के हाथों में तो जादू है. अब रोज़ ही मै इसकी और ये मेरी मालिश लिया करेगी.

मुन्नी ने हँसते हुए कहा- हाँ , क्यों नहीं. वैसे भी अब मेरे हाथ में वो बात कहाँ जो मालती बहु के हाथ में है.

उसके बाद मालती रोज़ ही अपने ससुर के साथ ही सोने लगी. रात भर दोनों एक दुसरे की बदन की मालिश करते और मालती जी भर कर चुदवाती.

हाँ दो- तीन दिन में उसकी सास मुन्नी भी साथ सोने लगी। अब हरिया एक तरफ करवट ले कर बीबी को चोदता तो दूसरी तरफ़ करवट ले कर अपनी बहु मालती को।

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