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Saturday, September 22, 2012

Savita Bhabhi Episode 34-Sexy Secretary 2

सविता भाभी कड़ी ३४ -सेक्सी सचिव

Savita Bhabhi Episode 34-Sexy Secretary 2

Saturday, September 1, 2012

Hindi Sex Stories, हिंदी सेक्सी कहानियाँ


    chacha kiमेरे विद्यालय की छुट्टियाँ में मैंने अपने गॉंव जाने का प्लान बनाया | मेरा गॉंव पूरी तरह से हरियाली और खेत – खालिआलों से भरा है | मुझे गॉंव आकर घूमने का मौका साल में एक बार ही मिलता हैं इसलिए मैं घूमने – फिरने और एश करने में कोई कसर नहीं छोड़ता |गॉंव मैं मेरी दादी के साथ मेरे चाचा – चाची और उनकी बेटी अंजू रहती है | इस बार मैं पुरे १ साल बाद गॉंव गया था इसीलिए मुझे वहाँ काफ़ी अच्छा लग रहा था और बहुत उत्सह भी था सबसे मिलने का क्यूंकि मुझे सब दिल से चाहते हैं | गॉंव आते ही सबसे पहले चाची और अंजू आए मुझे घर ले जाने के लिए आए | उस वक्त मेरी निगाहें बस अंजू पर ही टिकी हुई थी, वो काफ़ी बड़ी हो चुकी थी और सुन्दर भी लग रही थी | मैं अपने आप को रोकना चाहता था पर उसके स्तन के उभार ने तो जैसे मेरी नज़रों पर ही काबू कर लिया था |अगली सुबह मैं अंजू के साथ खेत की तरफ घूमने निकल पड़ा | हम दोनों बातें करते – करते घर से बहुत दूर निकल आये थे और फिर कुछ देर के बाद हम दोनों थक कर वहीँ एक पेड़ के निचे बैठ गए | हमारे चारों खेतों में लंबी – लंबी इंक की फसल होने के कारण हमें कोई चाहकर भी देख नहीं सकता था | 





A Blizzard-the Night of Firsts Part-3



A Blizzard & the Night of Firsts



"You're on your own from here" she whispered without opening her eyes.

I studied her face and thought that she looked the most relaxed then, than she had all night. I was breathing heavily, but that should be expected. I slid my hand down until I reached her pubic hair, which was not thick, but felt like the curls had been trimmed. For a moment, I fingered her hair, twisting it between my fingers, trying to make the moment last as long as possible. I then took the plunge and cupped her mound, which was easily the warmest part of her body. Her legs were only parted slightly, so I took my middle finger and placed it along her closed slit. With that, Cat drew her leg up to a right angle, which gave me access to explore her. I traced her closed lips with my index finger, teasing her just a little. Her slit had opened a bit, so I placed two fingers at the lowest tip of her lips and slid them upwards over her labia. I wasn't really sure of what I was doing, but just worked from instinct.

A Blizzard-the Night of Firsts



A Blizzard & the Night of Firsts



After ten minutes, I could already feel that Alana was warming up. However, I didn't think Cat was very happy being on the end. She kept making noises with her tongue and was continuously thrashing around under the blanket.

She finally piped up, "Move over Alana, I've got no room." I could detect a slight hint of jealousy in her voice.

Alana moaned and looked up at me smiling with a glint in her eye. She said something to Cat in her own language. Alana had a strong Italian accent.

A Blizzard-the Night of Firsts

A Blizzard & the Night of Firsts

I was 18 years old and had still never even been kissed. It was somewhat odd though because I was in no way a nerd or was in no way socially awkward. In terms of looks, I was not displeasing to the eye, although I was shorter than average, which did not bode well for me in the complexities of female desire. Still, the lack of sexual interaction probably came down to the fact that my standards may have been too high at times and on the other times I lacked the confidence to make the transition from casual flirting to a spontaneous (and probably clumsy) kiss. The following story details the events that led from my sexual innocence and chagrin to the blossoming of the luckiest night in history – it is just a shame that no one believed me!

मेरा लंड बना किसी का सपना

मेरा लंड बना किसी का सपना


दोस्तों, मेरा नाम समीर है और मै एक डॉक्टर हु | मै एक छोटे से गावं मे अपनी डाक्टरी चलता हु | मेरे पास पुरे गावं की छोटी-मोटी बीमारी वाले मरीजों के अलावा, सेक्स संभंदी आदमी और औरत भी आते है | आज मै आपको अपने ऐसे ही एक मरीज़ के बारे मे बताता हु | वो गावं के बड़े घराने का लड़का था और उसकी शादी ३-४ साल पहले हुई थी और उसकी औरत को तब तक बच्चा नहीं हुआ था | जब वो लड़का, इस बात के लिए मेरे पास आया, तो मैने उसको शहर जाकर कुछ टेस्ट करवाने को बोला और टेस्ट के नतीजे से पता चला, कि औरत मे कोई कमी नहीं थी और उस लड़के मे कमी थी और वो बच्चा पैदा करने मे सक्षम नहीं था और सब कुछ जाने के बाद, उस लड़के ने जो मुझे कहा, वो सुनकर मै पागल हो गया | वो लड़का, किसी को बता नहीं सकता था, कि वो बच्चा नहीं पैदा कर सकता; इससे उसकी मर्दानगी कम हो जाती | उसने मुझे अपनी बीवी को चोदने के लिए बोला और उसके लिए बच्चा पैदा करने लिये कहा | मुझे उस लड़के को कोई खतरा नहीं था, एक तो मै पढ़ा-लिखा नहीं था और उस गावं का नहीं था |

कॉलेज के बहाने से सेक्स की मस्ती

कॉलेज के बहाने से सेक्स की मस्ती


हेलो दोस्तों, मेरा नाम नील है और मै एक कॉलेज मे पढता हु और मै बायोलोजी का छात्र हु | सब लोग जानते है, कि बायोलोजी क्लास मे नहीं पढी जाती है, वो हमेशा ही लैब मे और क्लास के बाहर ही पढी जाती है | मै अपनी क्लास का सबसे मेधावी छात्र था और सब लोग मुझ से काफी खुश रहते थे | मेरी क्लास मे, एक बड़ी खुबसूरत लड़की थी सीमा; सब लोग उसपर जान देते थे और उसको अपनी गर्लफ्रेंड बनाने के लिए तड़पते थे, लेकिन वो किसी को घास नहीं डालती थी | लेकिन, सीमा ने मेरी किस्मत का दरवाजा खटखटाया और मुझे उसे चोदने का मौका मिला और मैने भी उस मौके के मस्त तरीके से भुनाया |

नौकरानी की साथ कामलीला

नौकरानी की साथ कामलीला


हेलो देस्तो, मेरा नाम अमित है और आज मै आपको अपने जीवन से जुड़ी हुई सच्ची घटना सुनता हु, जब मैने अपने दोस्त की पार्टी मे उसकी नौकरी को चोदा | मुझे अपने दोस्त सुनील की पार्टी मे सपरिवार निमंत्रण मिला और सुनील ने अपने जन्मदिन की पार्टी एक गेस्ट हाउस मे थी | मै अपने परिबार के साथ वहां गया था; उस दिन मुझे ऑफिस मे थोडा ज्यादा काम था और मेरी तबियत ठीक नही थी, लेकिन सुनील मेरा बचपन का खास दोस्त था और मेरे ना जाने पर बुरा मान जाता ; तो मुझे अपने परिवार के साथ सुनील के यहाँ जाना पड़ा | मै पार्टी मे चला तो गया, लेकिन वहा जाने के बाद मेरी तबियत और भी ज्यादा बिगड़ गयी और मुझे अपनी पत्नी को बताना पड़ा | हम मे से किसी को अच्छा नहीं लग रहा था, लेकिन मज़बूरी मे मेरी पत्नी को सुनील से बात करनी पड़ी |

Hindi Sex Stories-मेरी भाभी बड़ी सायानी

मेरी भाभी बड़ी सायानी



मेरा नाम अमित है | मेरी उम्र २४ साल है और मुझे सेक्स और संभोग काफी पसंद है और मुझे सेक्स कामसूत्र मेरी पड़ोसन ने सिखाया | ये बात जब की है, जब मै १८ साल का था | हमारे पड़ोस मे एक परिवार रहता था और उनसे हमारे बहुत ही अच्छे संभंद थे | हम दोनों के परिवारों को आपस मे काफी आना जाना था | उनके दो लड़के थे और दोनों की ही शादी हो चुकी थी | सबसे छोटे वाले लड़के की दो साल पहले ही शादी हुइ थी, मगर उसकी बीवी को कोई बच्चा नहीं हुआ था | उसकी बीवी माहुत ही सुंदर और मस्त थी | उनका फिगर देखते ही मेरा लंड झटके मारने शुरू कर देता था | वो इतनी सुन्दर थी, कि कोई अगर उन्हें देखे; तो बस देखता ही रह जाये |

पत्नी की सहेली-Hindi Sex Stories

पत्नी की सहेली
देसी गर्ल्स की नंगी और सेक्सी पिक्चर के लिए ..


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पत्नी की सेक्सी  सहेली 
मै एक शादी शुदा इंसान हूँ और मेरी पत्नी का नाम सरला है | हमारी शादी को लगभग पांच साल हो चुके है | और मै अपनी शादी शुदा जिंदगी मे काफी खुश हु | मेरी पत्नी मेरी हर जरुरत का काफी ध्यान रखती है; वो मेरी पत्नी नहीं सबसे अच्छी दोस्त है | लेकिन, जब सेक्स का सवाल आता है तो मेरे पास केवल पछतावा है, क्योकि मेरी पत्नी की सेक्स और संभोग की इच्छा बहुत ही कम है और वो मुझे बिस्तर पर पूरी तरह से संतुस्थ नहीं कर पाती है |
एक दिन उसे पता चला उसकी एक स्कूल फ्रेंड ऋतू की पति एक साल पहले गुजर गये है और उसे उसके ससराल वालो की वजह से उनका घर चोदना पड़ा | उसके ससुराल वाले अच्छे लोग नहीं थे और वो उसपर काफी जुल्म करते थे और उन्होंने उसके साथ नाजायज संभंद भी बनाने की कोशिश भी की | जब पानी सर के ऊपर से चला गया, तो उसने मेरी पत्नी सरला के साथ फ़ोन पर बात की | फ़ोन बात करते हुए, ऋतू फ़ोन पर ही रोने लगी और अपने बुरे हालातो के बारे मे बताने लगी |  सरला ने मुझे ऋतू के बारे बताया और उसको अपने घर पर रुकवाने के लिए पूछा | मुझे ऋतू को बुलाने मे कोई आपत्ति नहीं थी | कुछ दिनों बाद, ऋतू हमारे घर पर आने वाली थी और मुझे उसे स्टेशन पर लेने जाना था | लेकिन, मेरे ससुर जी की अचानक तबियत ख़राब होने की वजह हे मेरी पत्नी को अपने मायके जाना पड़ा | मैने उसे बोला, कि तुम आराम से जायो, ऋतू को मै लेने चला जाता हु, और मै उसका पूरा ख्याल रखूँगा |

हिदी सेक्स कहानियाँ-माली ने की मस्त चुदाई

माली ने की मस्त चुदाई


दोस्तों, आज मै आपको अपनी जिन्दगी का गन्दा, कड़वा, लेकिन मस्त सच सुनाने वाली हु | मेरी शादी एक बहुत बड़े घर मे हुई है | मेरे पति एक बहुत बड़े बिज़नस मेन है | उनके पास घर को और मुझे देने के लिए वक़्त नहीं है | शादी के शुरुवात मे तो उन्होंने मुझे कुछ वक़्त दिया और मत चोदा | लेकिन, शादी के थोड़े ही टाइम के बाद, उन्होंने मुझे टाइम देना कम, फिर बहुत कम और फिर बंद कर दिया | मेरी जवानी तन्हाई मे घुलने लगी और मेरी कामुक प्यास दिन पे दिन बढती जा रही थी | मै जभी भी जवान मर्दों को देखती थी; तो, मै अपने होट काट लेती थी | मेरी प्यास और तड़प इतनी ज्यादा बढ चुकी थी; कि, मेरी नज़र अपने नौकरों और घर मे काम करने वालो पे ख़राब होने लगी थी |

मेरी पहली सुहागरात

मेरी पहली सुहागरात


दोस्तों, मेरा नाम रोहित है, मेरी उम्र सिर्फ १७ साल है और मै गावं से शहर काम करने आया हु | मेरे एक रिश्तेदार एक बड़े घर मे चौकीदारी का काम करते है | इस बार जब वो गावं आये, तो मुझे बड़े घर मे काम के लिए अपने साथ लेते आये थे | जब मै शहर आया, तो मै साड़ी चीज़े देखकर दंग रहा गया था | बड़ी-बड़ी दुकाने, बड़ी-बड़ी गाड़िया, बड़े-बड़े घर, मेरी तो आखें फटी-की-फटी रहगयी थी | और जब मै घर पंहुचा; तो, मै तो बिकुल पागल हो गया | क्या बड़ा घर? बड़ी-बड़ी गाड़िया | सब कुछ सपने जेसा था | लेकिन, ये सपना जल्दी ही टूट गया | क्योकि, मै सिर्फ वहा पर सिर्फ एक नौकर था |इतने बड़े घर मे सिर्फ तीन लोग थी | बड़ी मेमसाहब, बड़े साहब और छोटी मेमसाहब | छोटे मेमसाहब मेरी उम्र की थी | मेमसाहब और साहब दोनों के पास घर के लिए समय नहीं था | साहब अपने काम मे और मेमसाहब अपने काम और पार्टी मे व्यस्त रहते थे | छोटी मेमसाहब घर अक्सर अकेले या अपने दोस्तों के साथ होते थी | मेमसाहब का कमरा बहुत बड़ा था, एक कमरे मे २-३ कमरे बने थे, अलग-अलग काम के लिए अलग | घर मे काफी नौकर थे, और मै उन सब मे सबसे छोटा था | मुझे छोटी मेमसाहब की सेवा मे लगाया था |

गाव की लड़की को कुत्ते की तरह चोदा

गाव की लड़की को कुत्ते की तरह चोदा



किसी रिश्तेदार की शादी मै गाव में जाना था मेरा मूड नही था घरवालो को कहा की आप लोग जाके आओ मै नही आ रहा लेकिन पापा चिड गए तो मुझे उनके साथ जाना पड़ा सेहर से दूर था ४ या ५ दिन रुकने का प्लान था इसलिए मेरा दम घुट रहा था जबरजस्ती जा रहा था , गोव मै गए घर अच्छा था लेकिन पॉवर की बोहोत दिक्कत थी साली आती ही नही थी वहा हम उनके लिए नए थे सेल वहा के लोंडे मेरे कपड़ो को और मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे कभी देखा ना हो , मैंने देखा की लडकिय मुज्पे मरने लगी थी मेरे पास भी करने का कुछ था नही इस लिए चोदने का जुगाड़ करने लगा सिटी की लडकियों को तो बोहोत छोड़ा था लेकिन कभी गोव की लड़की को नही छोड़ा था इस बार मोका था मैंने सोचा किसी को पटाता हु तो चोदना मिल जायेगा और अनुभव भी मिल जायेगा , हमारे घर में एक लड़की आती थी |

कविता ने चोदना सिखाया [भाग २]

कविता ने चोदना सिखाया [भाग २]


मैं धीरे से आगे बढ़कर कविता को अपनी बाँहों में भर लिया और बिना कुछ बोले उसके होठों को चूमने लगा | कविता भी मुझसे लिपट गयी और बेतहाशा मुझे चूमने लगी | ” अमित मैं तुम्हारे प्यास में मरी जा रही थी, मुझे जवानी का असली मज़ा दे दो ” कविता बोल रही थी | मैंने कविता को अपनी गोद में उठाया और बिस्तर पे लिटा दिया | फिर उसके बगल में लेट कर उसके बदन से खेलने लगा | मैंने उसकी ब्लाउज और पेटीकोट उतार दी और खुद भी नंगा हो गया | कविता मेरे लंड को अपने हाथ में भर ली और उससे खेलने लगी ” हाय अमित,, तुम्हारा लंड तो बड़ा मोटा है..आज तो मज़ा आ जायेगा ” | कविता अब सिर्फ काली ब्रा और चड्डी में थी | उसके गोरे बदन पे काली ब्रा और चड्डी बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी |

कविता ने चोदना सिखाया [भाग १]

कविता ने चोदना सिखाया [भाग १]


हेल्लो दोस्तों | मेरे नाम अमित है और मैं झाँसी का रहने वाला हूँ | हमारे घर में एक नौकरानी है जिसका नाम कविता है | कविता को हमारे घर वाले गाँव से लाये थे | उसकी उम्र मेरे बराबर ही थी, और हम दोनों एक साथ ही जवान हुए थे |अब हम दोनों २० साल के थे, और कविता का बदन एकदम खिल चूका था | उसकी चूचियां काफी बड़ी और चुतड एकदम मस्त हो गए थे | मैं भी जवान हो चूका था और दोस्तों से चुदाई के बारे में काफी जान चूका था, पर कभी किसी लड़की को चोदने का मौका नहीं मिला था | कविता हमेशा मेरे सामने रहती थी जिसके कारण मेरे मन में कविता की चुदाई के  ख्याल आने लगे | जब भी वो झाड़ू- पोछा करती तो मैं चोरी- चोरी उसकी चुचियों को देखता था | हर रात कविता के बारे में ही सोच सोच कर मुठ मरता था | मैं हमेशा कविता को चोदने के बारे में सोचता था पर कभी न मौका मिला न  हिम्मत हुई | एक बार कविता ३ महीनो के लिए अपने गाँव गयी, जब वो वापस आयी तो पता चला की उसकी शादी तय हो गयी थी | मैं तो कविता को देख कर दंग ही रह गया | हमेशा सलवार-कमीज़ पहनने वाली कविता अब साड़ी में थी | उसकी चूचियां पहले से ज्यादा बड़ी लग रही थी, शायद कसे हुए ब्लाउज के कारण या फिर सच में बड़ी हो गयी थी |उसके चुतड पहले से ज्यादा मज़ेदार दिख रहे थे, और कविता की चल के साथ बहुत मटकते थे |

हिंदी सेक्स कहानियाँ-नौकरानी की गंधी चूत!




नौकरानी की गंधी चूत!


ये कहानी कुछ ही दिन पहले की है। हमारे घर पर एक नौकरानी थी। उसकी २ बेटीयाँ थी। उसकी छोटी बेटी दिखने ने बहुत ही सेक्सी थी। उसकी फ़ीगर देख कर किसी के भी मुंह में पानी आ जाये!

एक दिन वो मेरे घर पर झाडू बैठ कर लगा रही थी। में तभी उसके पीछे से गुजरा और जानबूझकर मैने अपना पैर उसके चूतड़ पे छूकर निकला! वो चौंक गयी! लेकिन कुछ नहीं बोली। उसकी मस्त गांड देखकर मुझसे रहा नही गया और मैं हमेशा इसी तरह करने लगा। मुझे इस बात का डर नहीं लग रहा था। पता नही क्यों!

फिर एक बार सब लोग बाहर गए थे। मैं अंदर रूम में था। वो झाडू लगाने आई। तो मैने उसे पकड़ लिया और उसे चूमने लगा। वो हैरान हो गयी और कहने लगी मैं तुम्हारी माँ को बता दूंगी! मैं थोडा डरा। तो मैने उसके मुंह में अपनी थूक डाल दी और उसके हूंठों को चूसने लगा। फिर मैने एक हाथ से उसके स्तनों को छुआ और कसके दबाने लगा। मैं उसे पीछे से पकड़कर क्लोथ सेक्स करने लगा वो थोड़ा मुस्कुराई। फिर वो ज़मीन पर बैठ कर पोंछा लगाने लगी। फिर मैने एक हाथ उसके कुरते के अंदर गर्दन की साइड से डाल कर उसका एक चुचुए को बाहर निकालने लगा। उसके काले निप्पल दिखने लगे!

मैने उसकी चूत पर हाथ रखा। वो शरमा गयी और मेरे कमरे सी बाहर चली गयी। हमारे घर मे दो बाथरूम थे। एक बाथरूम कमरे में था और दोसरा बाथरूम बाहर आंगन से जुड़ा था। फिर जब वो बाथरूम में कुछ लेने गई तो मैं भी उसके पीछे गया और फिर से उसको पकड़ कर चूमने लगा। मैं अब और नही रुक सकता था। इसलिए मैनें अपने खडे लंड को बाहर निकाला तो वो डर गई और विरोध कर रही थी। तो मैने कहा चुपचाप करवा लो वरना रेप करना पड़ेगा! और तुम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगी। अगर चुपचाप करवा लोगी तो किसी पता नहीं चलेगा। उसका विरोध कम हो गया मैने उसकी सलवार उतार दी और पेंटी को चूमने लगा। फिर मैं उसके स्तन चूसने लगा। मैं उसके बेटे कि तरह उसका दूध पी रहा था। अब वो भी बहुत गरम हो गयी! और सेक्सी आवजे निकालने लगी, “स्सस्सस्सशह्हह्हह्हह”।

फिर उसने कहा, “मेरे निप्पले को और तेज चूसो!” तो मैं हैरान हो गया! मैने खुशी के मारे उसकी आंखों को चूम लिया।

फिर मैने उसकी पैंटी उतारी तो वो मुझसे बोली कि मुझे सूसू आ रहा है। मैं उसे बाथरूम ले गया और मैने उसे अपने सामने मूतने के लिये विवश किया तो वो शरम से पानी-पानी हो गयी। फिर मैने उसके पेशाब में अपने हाथ धोये। मुझे लगा कि गरम पानी से हाथ धो रहा हूँ।

फिर मैं उसे ले जाकर बिस्तर पर लिटा दिया और ६९ कि पोसिशन में अपना लंड उसके मुंह में डाला और उसकी चूत को चूसने लगा। थोड़ी देर बाद वो झड़ गयी! मैने उसका टेस्टी कम पी लिया। फिर मैं भी झड़ गया। वो मेरा रस गटक गयी। फिर वो मेरे लंड को चूसने लगी। जब मेरा ९ इन्च का लंड खड़ा हुआ तो मैने अपना लंड उसकी चूत पर रख कर धक्का मारा तो टोपा अंदर घुसी। वो चिल्लाने लगी, “ईइ मार डाला! आह…” उसके आँख से आंसु निकलने लगे! उसकी चूत से खून बह रहा था। मगर थोड़ी देर बाद वो नोर्मल हुई और मजे लेने लगी। वो खुशी से कराह रही थी।

अब मैं उसे तेजी से चोदने लगा। वो इतना मजा ले रही थी कि वो धीमी आवाज मे बोली, “अब मैं तुमसे रोज चुदवाउंगी ओह्हह्हह्ह यीईईईई!” और वो झड़ गयी। मैने धक्के तेज कर दिये और उसकी चूत में झड़ गया। उसकी चूत से मेरा गरम रस और उसका खून बाहर बह रहा था। मैने उसको बैठने को कहा। उसको दर्द हो रहा था। फिर मैंने उसे कपडे पहना दिए और घर भेज दिया।

मेरी प्रार्थना हैं कि आप सभी को भी ऐसी ही नौकरानी मिले!

गांड की खुजली मिटाई


गांड की खुजली मिटाई

मेरे पति का लंड मेरे चूत में फचाफाच आ और जा रहा था . मुझे काफी मज़ा आ रहा था . शादी के १२ साल के बाद भी चुदाई का आनंद कम नहीं हुआ था। ये तो बढ़ता ही जा रहा था। मेरे चूत ने पानी छोड़ दिया । मेरे चूत से पानी निकल कर मेरे गांड होते हुए बह रहा था। लेकिन मेरे पति अभी भी कायम थे। २ मिनट के बाद उनके औज़ार ने भी पानी छोड़ दिया। वो पस्त हो कर मेरे चूची पर अपना सर रख कर सुस्ताने लगे। मैंने उनके गांड को सहलाते हुए कहा- राजाजी , ज़रा मेरी गांड की भी चुदाई कीजिये ना। कितने दिनों से गांड की चुदाई नहीं की है आपने।

मेरे पति हांफते हुए बोले- नही जान, अब हिम्मत नहीं है। कल तेरी गांड की चुदाई जरूर करूंगा ।

मैंने कहा- कल रात को भी आपने यही कहा था। ३ दिन से मेरे गांड में खुजली हो रही है। प्लीज़ कुछ कीजिये न।

मेरे पति मेरे चूत से अपना लंड निकालते हुए कहा- नहीं बेबी, कल जरूरी मीटिंग है। सो जाओ। सुबह जल्दी उठना है।

कह कर हमेशा की तरह मुह फेर कर सो गए। और मेरी गांड की खुजली को मिटाने के लिए मुझे मोमबत्ती के सहारे छोड़ गए। मैंने बगल से मोमबत्ती उठाई और अपने दोनों टांगों को ऊपर किया जिससे मेरी गांड का दरवाज़ा खुल गया। मैंने धीरे से मोमबत्ती को गांड में डाला और जहाँ तक हो सकता था अन्दर जाने दिया। लेकिन साथ ही साथ उस दिन की दोपहर वाली घटना याद करते हुए १०- १२ मिनट तक गांड में मोमबत्ती डाल कर गांड की चुदाई की। तब जा कर गांड की खुजली थोड़ी कम हुई। तब जा कर थोडा मन को शांति मिली। लेकिन दोपहर वाली घटना अभी भी मेरे दिमाग में घूम रही थी .

दरअसल मेरा नाम माधुरी है. मेरी उम्र 38 साल की है. मेरे पति का नाम दयासिंह है. वो ४२ साल के हैं. वो सरकारी विभाग में कर्मचारी हैं. यूँ तो उनका पोस्ट छोटा ही है लेकिन उपरी कमाई काफी है. उपरी कमाई से ही दिल्ली के छोटे से घर को बड़े घर में बदल दिया . मेरे घर में और कोई नहीं है. मेरा मतलब अभी तक मुझे संतान नहीं हुई है. मेरे सास ससुर अपने गाँव में रहते हैं. यहाँ के मकान में सिर्फ मै और मेरे पति रहते थे. मकान में कई कमरे थे लेकिन रहने वाले सिर्फ हम दो. किसी सज्जन ने मेरे पति को सलाह दी कि क्यों नहीं अपने इस बड़े मकान में लड़कों को रहने के लिए किराया पर रूम दे देते हो. किराया भी अच्छा खासा मिल जाएगा. मेरे पति दयासिंह को ये बात कुछ जंच गयी. उन्होंने ज्यों ही इस के लिए हाँ कहा अगले ही दिन मेरे घर के नीचे वाले फ्लोर पर दो लड़कों ने मिल कर २ रूम ले लिया. दोनों ही डीयू में पढ़ाई करने आये थे. दोनों काफी शांत और पढ़ाई में मगन रहने वाले स्टुडेंट थे. एक का नाम राहुल तथा दुसरे का नाम शान था.

मेरे पति मुझे हर दो दिन पर चोदते हैं. यूँ तो मुझे उनके चुदाई से कोई समस्या नहीं है. मुझे भी काफी मज़ा आता है. लेकिन उनमे एक ही कमजोरी थी कि वो सिर्फ एक बार में एक ही बार चोद सकते हैं. एक बार चोदने के बाद उनकी शक्ति ख़तम हो जाती है. यूँ तो मुझे भी एक बार चुदवा लेने पर संतुष्टी मिल जाती है लेकिन मेरा हमेशा मन करता है कि चुदाई अगर चूत और गांड की एक बार में ना हो तो मज़ा ही नही आता. इसकी आदत भी मेरे पति ने ही मुझे लगाईं थी . शादी के बाद वो मेरी चूत को चोदने के ठीक बाद गांड की चुदाई करते थे. शुरुआत में तो गांड चुदाई में काफी दर्द होता था. लेकिन 1 महीने में ही गांड चुदाई में इतना मज़ा आने लगा कि पूछो मत.सचमुच जन्नत का अहसास है गांड चुदाई..

लेकिन इधर २-३ वर्षों से मेरे पतिदेव का लंड मेरी चूत मारने में ही पस्त हो जाता है. अगर कभी गांड मारते हैं तो चूत की चुदाई नहीं कर पाते. अब मै या तो गांड मरवा सकती थी या सिर्फ अपनी चूत चुदवा सकती थी. इसलिए गांड की चुदाई के लिए मोमबत्ती कासहारा लेना पड़ता था.

उस दिन मेरे पति जब अपने ऑफिस गए हुए थे तो मै किसी काम से नीचे वाले फ्लोर पर गयी. दोपहर के २ बज रहे थे. बाहर कड़ी धुप व गरमी थी. जब मै वापस ऊपर की और जाने लगी तो देखा कि नीचे वाले कमरे का दरवाजा खुला हुआ था . मुझे लगा कि कहीं इन दोनों लकड़ों ने अपने कमरे का दरवाजा खुला छोड़ कर कहीं चले तो नहीं गए. मै उनके कमरे की तरफ गयी . वहां जा कर देखा राहुल सिर्फ अंडरवियर पहने बैठा हुआ है. ज्यों ही मै वहां पहूची मै उसे इस हालत में देख हडबडा गयी. क्यों कि उसने भी मुझे देख लिया था.

उसने मुझे देखते ही कहा- क्या हुआ आंटी जी?

मैंने उसके अंडरवियर पर से नजर हटाते हुए पूछा- ये कमरे का दरवाजा खुला था तो मुझे लगा कि शायद तुम लोग गलती से इसे खुला छोड़ कर कहीं चले गए हो.

राहुल ने कहा- वो कमरे का दरवाजा इसलिए खुला रख छोड़ा है क्यों कि कमरे का दरवाजा खुला रहने से कमरे में हवा अच्छी आती थी.

मैंने कहा- शान नहीं दिखाई दे रहा है.

राहुल ने कहा- वो ट्यूशन गया है.

मैंने फिर राहुल के अंडरवियर पर नजर डालते हुए पुछा- इस तरह क्यों पड़े हो? कम से कम पेंट पहन कर रहना चाहिए ना. कोई देखेगा तो क्या सोचेगा?

राहुल ने कुछ शर्माते हुए कहा- वो आंटीजी, बहुत गरमी है न इसलिए थोड़ी हवा ले रहा था. मुझे क्या पता की कोई लेडी इस रूम में आ जायेगी?

मैंने जल्दीबाज़ी में उसके अंडरवियर पर एक गहरी नजर डाली और वापस मुड गयी. मुझे उसके अंडरवियर के अन्दर उसके बड़े लंड का अंदाजा हो गया था.

जब मै अपने फ्लोर पर आयी तो मेरी नजर के सामने अभी राहुल का लंड घूम रहा था . रात को जब गांड में मोमबत्ती डाल कर गांड की चुदाई कर रही थी तो मुझे फिर से दोपहर वाली घटना याद आ गयी और मुझे लगा की अगर राहुल का लंड इस मोमबत्ती की जगह होता तो कितना मज़ा आता

अगले दिन जब मेरे पति ऑफिस जा रहे थे तो बोले - आज मीटिंग है . हो सकता है की रात के 9 बजे से पहले ना आ पाऊँ .

मै भी अपने घरेलु कामो में व्यस्त हो गयी. दिन के १ बजे तक घर का सारा काम काज निपटा कर आराम करने बेड पर चली गयी. आज भी अच्छी खासी गरमी थी. मैंने अपने सारे कपडे उतारे और नंगे ही बेड पर लेट गयी. एक हाथ मेरी चूची पर थी और एक हाथ से अपनी चूत के बाल को खींच रही थी. अचानक मुझे गांड में खुजली महसूस होने लगी. मुझे राहुल के लंड के बारे में ख़याल आ गया. मुझे लगा कि यदि किसी तरह से राहुल के लंड से अपनी गांड मरवा लूं तो मज़ा आ जाए. सोचते सोचते मुझे गर्मी चढ़ गयी और बेड पर ही अपनी चूत में उंगली डाल कर मुठ मार ली. लेकिन गांड की खुजली अभी समाप्त नही हुई थी. मैंने रिस्क लेने की ठान ली और सोचा पहले देखूंगी की राहुल राजी होता है कि नही . सोच कर मैंने २ बजे कपडे पहने और नीचे वाले फ्लोर पर गयी. मुझे पता था कि शान ट्यूशन पढने गया होगा . आज नीचे का कमरे का दरवाज़ा लगा हुआ था . मैंने किवाड़ी खटखटाया . अन्दर से राहुल निकला और प्रश्नवाचक निगाहों से मेरी तरफ देखने लगा.

मैंने कहा - राहुल, जरा ऊपर आ कर देखो ना, मेरा टीवी नहीं चल रहा है.

राहुल ने बिना कोई और सवाल किये मेरे साथ ऊपर आ गया . ऊपर जैसे ही आया मैंने अपने घर का दरवाजा अच्छी तरह से बंद कर लिया . राहुल ने टीवी आन किया तो टीवी चलने लगा.

वो बोला - आंटीजी टीवी तो चल रहा है.

मै बोली - अरे हाँ ये तो चलने लगा. लेकिन पता नहीं क्यों अभी थोड़ी देर पहले ये नहीं चल रहा था.
खैर तुम थोड़ी देर यहीं बैठो और देखना कि ये फिर से बंद हो जाता है कि नहीं .

राहुल ने झट से रिमोट हाथ में लिया और क्रिकेट लगा कर देखने लगा.

इधर मै अपने पति को फोन लगाया और पुछा कि शाम में आते समय सब्जी लायेंगे कि नहीं ?

पति ने जवाब दिया - आज शाम को नहीं आ पाऊंगा . कम से कम 9 बाज़ ही जायेंगे .

सुन कर मै निश्चिंत हो कर फोन रख दी .

मैंने राहुल से कहा - तुम जाना नहीं , मै तुम्हारे लिए कोल्ड ड्रिंक लाती हूँ ।

मैंने २ कोल्ड ड्रिंक बनाया . और उसके बगल में जा कर बैठ गयी.

और कहा - कोल्ड ड्रिंक पियो ना.
उसने कोल्ड ड्रिंक उठाया और धीरे धीरे पीने लगा. मै उसके लंड के बारे में सोच कर उत्तेजित हो गयी और जोरों की अंगडाई ली जिस से मेरे चूची बाहर की और निकल गए . राहुल ने एक नजर मेरी चूची की तरफ डाली फिर क्रिकेट देखने लगा.

मैंने सोचा कि शुरुआत कहाँ से करूँ ?

मैंने कहा- राहुल तुम्हारी उम्र कितनी है?

राहुल - २२ साल.

मैंने कहा- एकदम जवान हो. लेकिन मै तो तुम्हे बच्चा समझ रही थी.

राहुल सिर्फ थोडा मुस्कुराया.

मैंने फिर कहा- अब तो तुम्हे शादी कर लेनी चाहिए.

राहुल बोला- बड़ा हो गया हूँ लेकिन शादी के लायक बड़ा नहीं हुआ हूँ आंटीजी.

मैंने कहा- क्यों ? मैंने तो कल देखा था तुम्हारा ? अच्छा खासा बड़ा लग रहा था.

राहुल ने मेरी तरफ आश्चर्य की भाव से देखा और कहा- क्या देखा था आपने?

मैंने कहा- वो जो का तुम अंडरवियर में थे ना तो मैंने ऊपर से ही देख कर तुम्हारे लिंग का साइज़ का अंदाज़ लगा लिया था. अच्छा बड़ा है.

राहुल का चेहरा शर्म से लाल हो गया. वो जल्दी जल्दी कोल्ड ड्रिंक पीने लगा.

मैंने उसका हाथ थाम लिए और कहा- हडबडाते क्यों हो ? आराम से पियो न.

वो बोला- आंटीजी, आप बहुत ही बोल्ड हैं.

मैंने कहा- राहुल, एक काम करो ना प्लीज. जरा मेरे बेड रूम में आओ ना. जरा मेरी हेल्प कर दो ना.

राहुल बोला - चलिए.

मै उसे लेकर अपने बेड रूम में आ गयी और दरवाजा को अच्छी तरह से बंद कर दिया. फिर उसे अपने साथ अपने बेड पर बिठाया और धीरे से उसके लंड पर हाथ रखा और

कहा- मुझे एक जगह खुजली हो रही है और मुझे तुम्हारी जरूरत है. क्या तुम मेरी खुजली मिटा दोगे?

राहुल कोई बच्चा नहीं था. वो भी समझ गया था कि मै क्या कहना चाहती हूँ.

फिर भी बोला- कहाँ खुजली हो रही है?

मैंने उसकी आँखों में वासना की आग को देखा और झट अपनी साड़ी उतार दी. बिना समय लगाये अपना पेटीकोट भी उतार दी. लगे हाथ अपना ब्लाउज भी खोल दिया. सिर्फ ३० सेकेंड में मै उसके सामने ब्रा और पेंटी में थी. मै उसका हाल देखना चाहती थी. वो एकटक मेरी चूची को देख रहा था. अब मैंने और देर नहीं की और अपनी ब्रा भी उतार दी. अब मेरी चुचीयां बाहर आज़ाद थी.

मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपनी चूची पर रख दी. और कहा - इसे दबाओ ना.

वो मेरी चूची दबाने लगा. मुझे मज़ा आने लगा. मैंने एक हाथ उसके पैंट पर रखा. अन्दर उसका लंड फनफना रहा था.

मैंने कहा- अपने कपडे खोलो ना.
उसने अपनी शर्ट , पैंट और अंडरवियर उतार दी. उसका लंड ७ इंच से कम का नही था.

मैंने उसके लंड को हाथ में लिया और सहलाने लगी. उसने भी मेरे पेंटी में हाथ डाला और मेरी चूत को सहलाने लगा. फिर मेरी पेंटी को मेरी चूत से नीची खिसका दिया. अब मेरी चूत वो साफ़ साफ़ देख सकता था. मेरी चूत देखते ही उसके लंड में तूफ़ान मचने लगा. उसने मुझे पलंग पर लिटा दिया और लगा मेरी चिकनी चूत को चूसने. आजकल के लड़के हाई स्कूल से ही सेक्स के बारे में इतना जानने लगते हैं कि उनके पापा लोग भी ना जान पायें. उसने मेरी चूत में अपनी जीभ घुसा दी और मेरे चूत का नमकीन स्वाद लेने लगा. मेरी आँख बंद थी. कहाँ मै ३८ साल की और कहाँ मुझसे १६ साल छोटा सिर्फ २२ साल का था. लेकिन ऐसा लग रहा था कि मानो वही ३८ साल का हो और मैं २२ साल की कुंवारी लकड़ी. थोड़ी देर में मेरे चूत में से पानी निकलने लगा. मै सिसकारी भरने लगी. वो मेरी चूत के पानी को चाट रहा था. अब वो मेरे ऊपर आया और मेरी चुचियों को लालीपॉप की तरह चूसने लगा. उसका हर अंदाज़ निराला था. मुझे याद आ गया जब मेरे पति जवान थे तब शादी के बाद वो भी इसी प्रकार सेक्स करते था. चूची चूसते चूसते वो और ऊपर चढ़ा और मेरी ओठों को अपने ओठों से चूसने लगा. उधर नीचे उसके फनफनाते हुए लंड मेरी चूत से रगड़ खा रहा था.

मैंने अपनी दोनों टांगो को ऊपर कर के आजु बाजू फैला कर अपनी चूत का मुह खोलते हुए राहुल को निमंत्रण देते हुए कहा- राहुल, देर ना करो, और मेरी चूत में अपना लंड डालो.

राहुल ने अपने लंड को पकडा और मेरी चूत पर घुसाने की कोशिश करने लगा. लेकिन बच्चू यहीं मात खा गया. उसे पता ही नहीं चल रहा था कि असली छेद किधर है. मैंने उसकी प्रोब्लम को समझा और उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत की सही छेद के मुह पर रख दिया. उसने सडाक से अपने लंड को मेरे चूत में घुसेड दिया. मेरा चूत तो टाईट नहीं था लेकिन उसके मोटे लंड की वजह से संकरा हो गया था. उसने पूरा लंड मेरी चूत में अन्दर तक डाल दिया. पहले तो वो कर अपने लंड से मेरे चूत के अन्दर का अहसास लेने लगा. फिर २ मिनट तक रुकने के बाद उसने चुदाई प्रारम्भ की. उफ्फफ्फ्फ़ क्या चुदाई की उसने. मेरी चूत की तो हालत ख़राब कर दी. हैरतंगेज बात तो ये थी कि 5 मिनट तक लगातार चुदाई के बाद भी उसके लंड से पानी नही निकल रहा था. जबकि मेरी चूत ने दूसरी बार पानी छोड़ना चालु कर दिया. 5 मिनट और चुदाई करने के बाद उसके धक्के तेज़ होने लगे. अब वो झड़ने वाला था.

मैंने कहा- चूत में माल मत गिरा देना.

लेकिन उत्तेजना में उसने कुछ नहीं सुना और कस कर अपना लंड मेरे चूत में दाबा और माल मेरे चूत में ही गिराने लगा. मैंने कोशिश की कि उसके लंड को किसी तरह से अपने चूत से निकाल दूँ लेकिन उसने इतनी कस के मेरी चूत में लंड डाल रखा था कि मै कुछ ना कर सकी. और चुपचाप उसका माल को अपनी चूत में गिरने दिया. 1 मिनट के बाद उसने मेरे चूत से लंड निकाला तो मैंने देखा कि उसका लंड का माल मेरे चूत में से निकल कर मेरे गांड की दरार से बहते हुए बिस्तर पर जा गिरा है.फिर देखा अभी भी उसका लंड उसी तरह खड़ा है. मैंने भी अभी थकी नहीं थी.

मैंने उसके लंड को पकड़ कर कहा- शाबाश राहुल, तुम कमाल के खिलाड़ी हो. मज़ा आ गया. मेरा एक और काम करो न.

वो बोला - क्या?

मैंने कहा- मेरी गांड की खुजली मिटा दो ना राजा.

वो बोला - ठीक है. किस स्टाइल में गांड मरवायेंगीं आप? मेरे लंड के ऊपर बैठ कर या खड़े खड़े या डौगी स्टाइल में?

मै ज्यादा आश्चर्यचकित नही थी कि उसे इतना सब कैसे पता.

सिर्फ मैंने इतना कहा - तुम्हे किस स्टाइल में मारने आता है?

वो बोला- आज तक तो मैंने कभी मारा नहीं लेकिन इन्टरनेट पर देख कर जानता हूँ.

मैंने कहा - मुझे सबसे अच्छा डौगी स्टाइल ही लगता है. क्यों कि इसमें दर्द भी होता है और दर्द का मज़ा भी आता है.

उसने कहा- ठीक है.

उसने मुझे खड़े खड़े ही आगे जमीं पर झुक जाने को कहा. मैं जमीं पर खड़े हो कर अपने टांगो को सीधा रखते हुए आगे बेड पर झुक गयी. इस से मेरी गांड का छेद राहुल को साफ़ साफ़ दिखने लगा. उसने मेरी गांड के छेद में ऊँगली लगाईं . उसके उंगली लगाते ही मेरी गांड, और चूत से ले कर चूची तक सिरहन दौड़ गयी. उसने धीरे से मेरी गांड के छेद में उंगली डाली और चारों तरफ घुमाया. इस से मेरे गांड का छेद कुछ खुल गया. अब उसने दोनों हाथों का अंगूठा मेरे गांड के छेद में डाला और उसे फैला दिया. मुझे उसकी इस हरक़त से बहुत मज़ा आया. जब कोई आपके हरेक अंग से प्यार करे तो सेक्स का आनन्द ही अलग हो जाता है. अब उसने दोनों अंगूठों से मेरी गांड के छेद को फैला कर अपने लंड को उसकी मुह पर लेते आया. लेकिन अभी भी उसे संशय हो रहा था क्यों कि मेरे गांड का छेद उसके लंड के मोटाई के अनुपात में कम ही चौड़ा था.

उसने कहा- लगता है कि मेरा लंड इसमें नहीं जा पायेगा. जबरदस्ती करने पर आपके गांड को नुक्सान पहुँच सकता है.

मैंने पीछे देखते हुए कहा- मेरे गांड की चिंता मत करो. तुम लंड डालो.

उसने ऐसा ही किया. उसने जोर लगा कर अपना लंड मेरे गांड की छेद में डाल दिया. उसका लंड मेरे पति के लंड से कुछ तो मोटा था लेकिन मेरा गांड भी कोई कमजोर नही था. मै दांत पर दांत बैठा कर हर दर्द सह गयी. उसने अपने पूरे लंड को मेरे गांड में एक बार में डाल दिया. अब उसने मेरी कमर पर अपने हाथ की पकड़ मज़बूत बनाई और मेरे गांड की चुदाई चालु कर दी. मुझे तो जैसे जन्नत नसीब हो रहा था. ऐसा लग रहा था कि मेरे गांड की वर्षों की खुजली राहुल आज ही मिटा देगा. २ मिनट में ही मेरी गांड की छेद चौड़े हो गए. मुझे इतना आनद तो अपने पतिदेव से भी कभी प्राप्त नही हुआ. राहुल ने मेरी कमर पर से हाथ हटा कर मेरी चुचियों को थाम लिया. एक तरफ वो मेरी गांड की भापुर चुदाई कर रहा था दूसरी तरफ वो मेरी चुचियों को भी दबा रहा था.

१० मिनट तक वो इसी तरह से मेरी गांड मारता रहा. १० मिनट के बाद उसका लंड से माल निकलना शुरू हुआ तो अपना पूरा लंड मेरी गांड में घुसेड दिया और स्थिर हो कर माल मेरी गांड में गिरा दिया. जब सारा माल निकल गया तो उसने मेरे गांड से अपना लंड निकाला. मै धीरे धीरे अपने गांड के छेद को छूती हुई उठ खड़ी हुई. मेरा गांड का छेद अभी भी पूरी तरह से खुला हुआ था. मेरी गांड से राहुल का रस निकल कर मेरी जाँघों से होता हुआ जमीन पर गिर रहा था.

मैंने राहुल के लंड को हाथ में लिया और उसे सहलाते हुए कहा- थैंक्स राहुल.

फिर मैंने कपडे से अपनी गांड और बुर से निकल रहे माल और पानी को पोछा. राहुल मेरे बेड पर चित्त हो कर लेट गया . मैंने कपडे से उसके लंड को भी साफ़ किया फिर कपडे को एक तरफ फ़ेंक कर उसके सीने पर अपनी चूची दबाते हुए उसके ऊपर लेट गयी और अपनी चूत को उसके लंड में घसते हुए बोली- राहुल, आज मज़ा आ गया. तुम्हे कैसा लगा?

राहुल बोला- मुझे भी अच्छा लगा.

मैंने कहा - कल फिर आओगे ना?

वो बोला - हाँ.

घडी पर नजर डाली तो साढ़े तीन बजने वाले थे.

राहुल ने कहा- अब मुझे चलना चाहिए. 4 बजे शान वापस आ जाता है.

मैंने कहा- ऐसे कैसे जा सकते हो? पहले कॉफ़ी पियो .

मैने अपने रूम का दरवाजा खोला और नंगे ही किचन चली गयी क्यों कि मैंने घर के सारे खिड़की और दरवाज़े पहले ही बंद कर रखे थे. राहुल और अपने लिए झट से काफी बनाई और फ्रीज़ से ताज़ी मिठाइयां और नमकीन निकाली. और कॉफी और नाश्ता ले कर अपने बेड रूम में वापस आई. राहुल अभी भी नंगा ही बेड पर लेटा हुआ था. मैंने उसे उठने को कहा. तो उठ कर सोफे पर बैठ गया. मै नंगी ही उसके गोद में उसके लंड पर बैठ गयी और बोली - तुम दुसरा काम करो मै तुम्हे खिलाती हूँ. मै उसे मिठाई व नमकीन खिला रही थी और वो मेरी चूची और चूत को सहला रहा था. काफी और नाश्ता ख़तम करते करते १५ मिनट बीत गए. इन १५ मिनट में राहुल का लंड फिर से तनतना गया. मैंने उसके लंड को पकड़ कर उसकी आँखों में देखा. उसने मुझे सोफे के नीचे जमीन पर लिटाया और मेरे चूची में अपना सर डाला और मेरी चूत में अपना लंड. इस बार घातक स्पीड में मेरी चुदाई की. 5 मिनट में ही कम से कम 500 बार उसने अपने लंड को मेरी चूत में अपना लंड घुसाया और निकाला. मै तो दुसरे मिनट ही झड गयी थी. उसकी घातक गेंदबाजी ने मेरे होश फाख्ता कर दिया. 5 मिनट बीतते बीतते उसका ओवर समाप्त होने को आया. उसने फिर से कस के लंड को मेरी चूत में डाला और माल गिराने लगा. इस बार माल गिरते ही वो तुरंत खड़ा हुआ और बाथरूम जा कर अपना लंड साफ़ किया. तब तक मै यूँ ही बेसुध जमीन पर पड़ी रही. मेरे सामने उसने अपने कपडे पहने . मै यूँ ही नंगी लेटी हुई उसे देख रही थी. जब उसने अपने शर्ट का आखिरी बटन लगाया तो मै किसी तरह खडी हुई. मेरे चूत, चूची और गांड तीनो में दर्द का अहसास हो रहा था. और बदन भी टूट रहा था. लेकिन ये दर्द भी उतना ही मजा दे रहा था जितना किसी शराबी को एक बोतल शराब का नशा मज़ा देता है. मै उठ कर आलमारी के पास आयी और आलमारी से 1000 रूपये का 5 नोट निकाला और राहुल की जेब में रखने लगी.

राहुल बोला- नहीं नहीं, ये किसलिए ? मुझे ये नहीं चाहिए.

मै उससे लिपटते हुए बोली- ये मेरे प्रेम का उपहार है मेरे राहुल. प्लीज इनकार मत करो. ये तो वही पैसे हैं जो तुम मेरे मकान में रहने का किराया देते हो. अब जब तुम मेरे दिल में बस गए हो तो मकान में रहने का किराया मै तुमसे कैसे ले सकती हूँ?

पहले तो वो मना करता रहा. लेकिन जब मै उसे अपनी नंगी गिरफ्त से छोड़ने को राजी नही हुई तो उसने फिर कुछ नही बोला. मैंने उसकी जेब में वो नोट रखे और उसे अपनी नंगी गिरफ्त से आज़ाद कर दिया. 3.55 हो चुके थे. राहुल झट से मेरे कमरे से बाहर निकल गया. और मै उसके पीछे पीछे उसी हालत में ड्राइंग रूम तक आई और घर का दरवाज़ा अन्दर से बंद किया और बाथरूम में जा कर बाथ टब में जा कर पानी में जो लेटी और बीते हुए आनंददायक पलों को याद करते करते कब शाम हो गयी कुछ पता ही ना चला .

आज मेरी गांड की खुजली मिट चुकी थी. राहुल ने अपना वादा निभाया और अक्सर मेरी इच्छानुसार आ कर मेरी गांड और चूत की खुजली मिटाता रहता है.

नौकरानी ने बताया लंड छोटा या बड़ा नही होता


नौकरानी ने बताया लंड छोटा या बड़ा नही होता

मेरा नाम रेमो है. मेरी उम्र 24 साल की है. मै दिल्ली के एक अमीर घर का इकलौता वारिस हूँ. मेरे घर पर मेरे पापा और मम्मी के अलावा और कोई नहीं रहता. मेरे पापा एक जाने माने बिजनसमैन हैं. मम्मी घर पर ही रहती हैं. घर काफी बड़ा होने के कारण घर के काम काज करने घर में एक नौकरानी भी रख ली गयी है. नौकरानी का नाम मोहिनी है. वो बिहार के किसी गाँव की थी. उम्र कोई 25- 26 साल की होगी. तीन बच्चों की माँ होने के बावजूद देखने में काफी खुबसूरत भी थी. लेकिन मेरा ध्यान उस पर नही जाता था. मै अपने कालेज से आ कर सीधे अपने कमरे में चला जाता और अपना काम करता.

मोहिनी सुबह के छः बजे ही आ जाती थी जब सभी कोई सोये रहते थे. वो आ कर सबसे पहले सभी कमरों की सफाई करती थी.

एक दिन घर में पापा और मम्मी नहीं थे . वो दोनों मेरे मामा के यहाँ गए थे. उस रात मै अपने कंप्यूटर पर ब्लू फिल्म देख रहा था. मै आराम से नंगा हो कर पूरी रात फिल्म देखता रहा. फिल्म देखने के दौरान मैंने 3 बार मुठ मार लिया. मै कब नंगे ही निढाल हो कर बिस्तर पर सो गया की मुझे पता भी नहीं चला. सुबह के छः बजे मोहिनी मेरे घर आई. उसके पास भी मेरे घर की एक चाभी रहती थी. इसलिए मुझे पता भी नही चला कि मोहिनी आई है. और मै नंगा ही सोया हुआ था. मोहिनी मेरे कमरे में अचानक आ गयी. उसने मुझे नंगा सोया हुआ देखा तो वो मुझे वापस नहीं लौट मेरे कमरे की सफाई करने लगी. सफाई कर के वो वापस दुसरे कमरे में चली गयी. उसकी ड्यूटी सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक की थी. आज मम्मी पापा थे नहीं इसलिए उसे नाश्ता भी बनाना था. मै सुबह के नौ बजे उठा. मैंने अपने आप को नंगा पाया तो सोचा चलो कोई बात नहीं किसने मुझे देखा है? अचानक कमरे में नजर दौड़ायी तो देखा हर सामान करीने से रखा हुआ है. तो क्या मोहिनी मेरे कमरे में आयी थी? क्या उसने मुझे नंगा देख लिया? मै सोच कर शर्मा गया. मै सोचा क्या सोचती होगी वो. मेरी तो सारी इज्ज़त मिटटी में मिल गयी. खैर मैंने कपडे पहने और अपने कमरे से बाहर आया. देखा मोहिनी किचन में काम कर रही थी. थोड़ी देर के बाद जब मै फ्रेश हो गया तो मैंने मोहिनी से नाश्ता मांगा. उसने मुझे पराठा और सब्जी ला कर दी. मै चुप चाप खाता रहा.

मैंने धीरे से पूछ लिया - मेरे कमरे की सफाई तुमने कर दी?

मोहिनी ने कहा- हाँ.

मैंने कहा - कब?

मोहिनी ने कहा - जब आप सोये हुए थे.

मेरा गाल शर्म से लाल हो गया.

मैंने थोड़े गुस्से में कहा- मुझे जगा कर ना मेरे कमरे में आना चाहिए था?

मोहिनी ने लापरवाही से कहा- क्यों? पहले तो कभी जगा कर कमरे में नही जाती थी. आप कितनी बार सोये रहते और मै आपके कमरे की सफाई कर देती हूँ. फिर आज मै क्यों आपको जगा कर आपके कमरे में जाती?

बात भी सही थी.

मैंने कहा- अच्छा सुनो, मम्मी को नहीं बता देना आज सुबह के बारे में.

मोहिनी - क्या?

मैंने कहा - यही कि रेमो बाबा नंगा सोया हुआ था.

मोहिनी ने मुस्कुराते हुए कहा - सिर्फ नंगे सोये थे आप? आपके तौलिये में ढेर सारा माल है वो किसका था?

मैंने कहा - हाँ जो भी था. किसी को बताना नही.

मोहिनी ने कहा- चिंता नहीं करें. नहीं बताऊँगी. अरे आप जवान है. ये सब तो चलता रहता है.

मै अब कुछ निश्चिंत हो गया. उसने मुझे जवान होने के कारण कुछह छुट दे दी . मै खा रहा था.

मोहिनी ने कहा- एक बात कहूं रेमो बाबु? बुरा तो नहीं मानोगे?

मैंने कहा - बोलो क्या बात है?

मोहिनी ने कहा- आपका हथियार छोटा है. इसे बड़ा कीजिये. नहीं तो आपकी बीबी क्या कहेगी.

मैंने कहा - हथियार? ये हथियार क्या है?

मोहिनी - हथियार मतलब आपका लंड.

कह के वो मुस्कुराने लगी. ये सुन के मेरा दिमाग सन्न रह गया. तो इसने मेरे लंड का साइज़ भी देख लिया. हाँ ये बात सच थी की मेरे लंड का साइज़ छोटा था और मै इस से काफी चिंतित भी रहा करता था. लेकिन मेरे लंड पर टिप्पणी करने का अधिकार मोहिनी को किसने दे दिया? मै अचानक उठा और अपने कमरे में आ कर लेट गया. मुझे मोहिनी पर काफी गुस्सा आ रहा था.

थोड़ी सेर के बाद मेरा गुस्सा कुछ कम हुआ.

मै सोचने लगा - सचमुच मेरे लंड का साइज़ छोटा है. जब मेरी शादी होगी तो मेरी पत्नी क्या सोचेगी.?

ये सोच कर मै परेशान हो गया. अचानक दिल में ख़याल आया कि हो सकता है की मोहिनी को इसे इलाज़ के बारे में कुछ देशी नुस्खा पता हो. मैंने पहले अपने सभी खिडकी को बंद किया और फिर वहीँ से मोहिनी को आवाज लागई. मोहिनी मेरे कमरे में आई.

मैंने मोहिनी से कहा- क्या कर रही है तू अभी?

मोहिनी - कुछ नही बाबा. बस इधर उधर सफाई कर रही थी.

मैंने कहा - वो सब छोड़. देख न मेरा बदन बड़ा दुःख रहा है क्या तू मेरी मालिश कर देगी?.

वो मेरे बगल में मेरे बिस्तर पर बैठ गयी. बोली - हाँ , क्यों नहीं .आप लेट जाओ मै आपकी मालिश कर देती हूँ.

मै कहा - नहीं सिर्फ कंधे को थोडा दबा दो कह कर मैंने शर्ट उतार दिया. .

वो मेरे कंधो की मालिश करने लगी. फिर बोली - ये गंजी भी खोल दो बाबा, अच्छे से तेल लगा कर मालिश कर देती  हूँ. मैंने गंजी उतार दिया.  और बिस्तर पर लेट गया.मै सिर्फ हाफ पैंट में था.   वो मेरे नंगे छाती और पीठ की बेहतरीन तरीके से मालिश कर रही थी. घर में कोई नहीं था और एक औरत मेरे बदन की मालिश कर रही थी. मामला फिट था. लगा अब सही मौका है इसे शीशे में उतारने का.

मै उसकी चूची को घूरने लगा. वो मेरी नजर को पढ़ रही थी लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

मैंने उस से कहा  - मोहिनी , तू दिन भर काम करती है. थकती नहीं है क्या?

मोहिनी मेरे छाती पर हाथ फेरती हुई बोली - साहब, थकती तो हूँ , मगर काम तो निपटाना होता है न.

मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी मालिश रोकते हुए कहा - आज कौन सा काम है तुझे. देखो न घर में कोई है भी नहीं बात चीत करने के लिए . मै बहुत बोर हो रहा हूँ. तू यहाँ बैठ मेरे पास. आज तुझसे ही बात करके मन बहलाऊंगा.

मोहिनी - अच्छा बाबा. जैसा आप कहें.

मैंने - ठीक से बैठ ना ..नहीं तू लेट जा....आराम से.. इसे अपना बिस्तर समझ.

मैंने जब ये कहाँ तो वो धीरे से मेरे बिस्तर पर मेरे बगल में  लेट  गयी. उसकी बड़ी बड़ी चूची किसी गुम्बद की तरह ऊपर की तरफ ताक रही थी. मेरी नजर कामुक होने लगी. मै उसके ढीले ब्लाउज में से झांकते उसके गोरे गोरे चुचियों पर नजर गडाने लगा. वो भी मेरी नजर को ताड़ गयी थी. उसने जान बुझ पर अपनी साडी का पल्लू नीचे कर दिया और कहा - आज बड़ी गरमी है ना रेमो बाबा.

अब उसकी चुचीयों के गहरी घाट बड़ी आसानी से दिख रहे थे. उसके चूची के घाट के ऊपर में कुछ गुदा हुआ सा था. मुझे लग गया कि ये बहूत ही खुली हुई मस्त औरत है और इस से कुछ गरम बातें की जा सकती है. वैसे भी घर पर कोई और है नहीं.


मैंने उसके साड़ी के पल्लू को उसके बदन से दूर हटाते हुए कहा  कहा - हाँ सही कह रही है तू, बड़ी गरमी है.

वो बिना किसी परेशानी के मेरे बदन में सट गयी थी.

फिर मै उसके बदन से थोडा और सटते हुए मैंने अपना एक हाथ उसके पेट पर रखा और कहा - और बता, तेरे घर में कौन कौन है.

उसने बेफिक्री के साथ कहा - मै, मेरा मरद और तीन बच्चे,

मैं उसकी नाभी पर उंगली फेरते हुए कहा - तीन बच्चे? तू लगती तो नहीं तीन बच्चों की माँ.

मोहिनी - साहब 23 साल में ही तीसरी बच्चे की माँ बन गयी थी. अभी तो वो दो साल का भी नहीं हुआ है.

मैंने उसकी नाभि में उंगली डालते हुए पूछा - पहला बच्चा कितने साल में पैदा कर दी थी तुने.

मोहिनी - जब पहला पैदा हुआ था तो मेरी उम्र 19 साल की थी . दुसरे के वकत मै 21 साल की और तीसरे की वक़त 23 साल की थी.

मै उसके नाभि में उंगली डाल रहा था लेकिन उसने किसी प्रकार का कोई प्रतिरोध नहीं किया तो मेरी हिम्मत बढी और मैंने उसके चूची की घाटी के उपरी हिस्से पर गुदे हुए अक्षर पर अपना हाथ ले गया और उस से पूछा - मोहिनी , ये क्या है?

मोहिनी - ये? जब मै आठ-नौ साल की थी तभी मेरी दादी ने मेरे सीने पर ये गुदवा दिया था. इसमें मेरा नाम लिखा हुआ है.

इधर मेरा लंड टाईट होने लगा था .

मै जान बुझ कर उसके चूची पर हाथ रखे रहा और काफी धीरे धीरे सहलाते हुए कहा - मुझे आज तक पता नहीं था की तू तीन बच्चे की माँ है. मुझे लगा कि तेरी अभी अभी शादी हुई होगी. तेरा बदन तो एकदम ढीला नहीं हुआ है.

मोहिनी - अच्छा? बदन ढीला होता है तो क्या होता है?

मैंने उसके चूची को दबाते हुए कहा - देख, तेरी चूची अभी भी किसी कुंवारी लड़की से कम टाईट थोड़े ही है. मैंने दोनों चूची को बारी बारी से दबा दबा कर मुस्कुराते हुए कहा - तू अभी भी किसी कुंवारी लड़की से कम नहीं.

मोहिनी - वो तो मेरा मरद भी कहता है.

मै उसके चूची को खुल्लम खुल्ला जोर जोर से दबाने लगा.अब मुझे अन्दर से काफी यकीन हो गया कि इस से कुछ और भी काम करवाया जा सकता है. मैंने अपनी एक टांग उसके ऊपर चढाते हुए उस से सट कर कहा - मोहिनी अगर मै तुमसे एक सवाल पूछूंगा तो तुम बुरा तो नहीं मानोगी?

मोहिनी ने कहा - पहले पूछिए तो सही.

मैंने कहा - तू अपने मरद से रोज़ सेक्स करती है क्या?

मोहिनी - सेक्स मतलब?

मैंने कहा - मेरा मतलब तू अपनी पति से रोज़ चुदवाती हो क्या?

मोहिनी - नहीं , रोज़ तो नहीं लेकिन लगभग हर तीसरे दिन वो मुझे चोद ही डालता है.

मैंने कहा - मोहिनी, तुमने जो कहा की हथियार यानी लंड को बड़ा कीजिये . कितना बड़ा होना चाहिए ये?

मोहिनी - उतना तो जरुर होना चाहिए कि बीबी को खुश रख सके.

मैंने कहा - तेरे मरद का कितना बड़ा लंड है?

मोहिनी - कोई ख़ास नहीं. लेकिन ठीक ठाक है.

मैंने कहा - मेरा लंड क्या सचमुच काफी छोटा है? क्या मै सचमुच अपनी बीबी को खुश नही कर पाऊँगा?

मेरे सवाल को सुन कर वो मुसुकुराने लगी .मैंने भी उस कि चूची को मसलते हुए फिर कहा - ए, बोल ना, मेरा लंड क्या सचमुच काफी छोटा है? क्या मै सचमुच अपनी बीबी को खुश नही कर पाऊँगा? क्या कोई उपाय है क्या लिंग को बड़ा करने का?

मोहिनी ने हँसते हुए कहा- अरे रेमो बाबु ,इतने सारे सवाल एक साथ? मै क्या कोई मास्टर हूँ? मै तो मज़ाक कर रही थी, लंड के छोटे बड़े होने से बीबी को थोड़े ही कोई फर्क पड़ता है? वैसे आपका लंड इतना भी छोटा नही है.

मोहिनी के मुह से लंड शब्द सुन कर मेरे मन में कुछ होने लगा.

मैंने कहा- अच्छा, ये बता कि बीबी को तो बड़ा लंड चाहिए ना?

मोहिनी ने कहा- मर्द का लंड कितना भी छोटा क्यों ना हो वो बीबी को चोद ही डालता है. बीबी की चुदाई हर लंड से की जा सकती है.

मोहिनी के इतना खुल के बोलने पर मै पूरी तरह से आज़ाद हो गया.

मैंने उस पर लगभग चढ़ गया और अपना लंड उसके बदन पर दबाते हुए  पूछा - अगर बीबी की गांड मारनी हो तो?

मोहिनी ने कहा - वो भी होती है. चूत और गांड सभी आराम से मार सकते हो.

मैंने उसके चूची को जोर से दबाते हुए कहा - मोहिनी, बड़े लंड से चुदवाने पर औरत को ज्यादा मज़ा आता है या दर्द होता है?

मोहिनी - ये तो चुदने वाली औरत पर निर्भर करता है कि वो नयी है पुरानी. अगर नयी हुई तो छोटा लंड भी उसे दर्द देगा. लेकिन अगर पुरानी हुई तो बड़ा लंड भी उसे मज़ा देगा.

मैंने मोहिनी से कहा- मोहिनी , अगर तुम बुरा नहीं मानो तो क्या तुम मेरे लंड को देख कर बता सकती हो की मेरा लंड कितने पानी में है?

मोहिनी ने मुस्कुराते हुए कहा- ठीक है. आप पैंट उतारो . मै देखती हूँ आपके लंड को .

मैंने पैंट उतार दिया. अब मै अंडरवियर में था. मेरा लिंग खडा हो गया था .

मैंने कहा- बताओ.

मोहिनी ने कहा - अरे बाबा , पूरा दिखाओ ना. ये अंडरवियर उतारो ना.

मेरा दिल जोर से धड़क रहा था. मैंने आज तक किसी मर्द के सामने अपने लंड को नहीं दिखाया ये तो औरत है. लेकिन फिर भी मन में एक अजीब सा आनंद था कि कोई औरत स्वयं ही मेरे लंड को देखना चाहती है. इसलिए मैंने थोडा हिचकते हुए अपने अंडरवियर को अपने लंड से थोडा नीचे किये. मेरा लंड सामने आ गया.

मोहिनी जमीन पर ठेहुने के बल बैठ गयी और अपना मुह मेरे लंड के सीध में लेते आई. मेरे लंड को वो गौर से देख रही थी . उसने मेरे अंडरवियर को पकड़ा और जमीन तक लेते आई. मैंने पैर उठा कर अंडरवियर को पुरी तरह खोल दिया. अब मै कमर के नीचे बिलकूल नंगा था. अचानक मोहिनी ने मेरे लंड को पकड़ा और उसे सहलाने लगी. मेरा लंड तनतना गया .

मैंने कहा- ये क्यों कर रही हो?

मोहिनी ने कहा- देख रही हूँ कि कितना बड़ा होता है.

मुझे काफी आनंद आ रहा था. मेरे सामने रात वाली ब्लू फिल्म का सीन दौड़ने लगा.

मैंने कहा - बोल ना? कैसा है मेरा लंड?

मोहिनी - बढ़िया है बाबा. एकदम परफेक्ट.

मैंने कहा - अब बता , तेरे मरद से बड़ा है कि छोटा..?

मोहिनी - बिलकूल बराबर है.

मैंने कहा- मोहिनी, आज तक मैंने किसी औरत का चूत नहीं देखा है तू अपनी चूत मुझे दिखा ना. मै सिर्फ देखूँगा. कुछ करूंगा नहीं.

मोहिनी ने कहा- ठीक है. इसमें कौन सी बड़ी बात है.

कह कर वो खडी हुई और एक झटके में अपनी साडी खोल दी. उसने पेटीकोट नही पहनी थी. उसने पेंटी पहन रखी थी. उसने खुद ही अपनी पेंटी को थोड़ी नीचे कर दी . मै उसके चूत को एकटक निहार रहा था. चिकना चूत था उसका. चौड़ा और फुला हुआ.

मैंने कहा- ये पेंटी पूरा खोल ना.

उसने अपनी पेंटी पूरी तरह से खोल दी. अब वो सिर्फ ब्लाउज में थी. इधर मेरा लंड तनतना रहा था.

मैंने झट से कहा- मोहिनी मै तेरे चूत को छूना चाहता हूँ.

वो बोली - छु लो ना. इसमें कौन सी बड़ी बात है?

मै उसके चूत को सहलाने लगा. बिलकूल ही कोमल पत्ते की तरह बुर था . उसने भी मेरा लंड पकड़ लिया. अब मै कुछ भी करने के लिया आज़ाद था. मैंने एक हाथ उसके चूची पर रखा और सहलाने लगा. अगले मिनट में ही मैंने उसके चूची को भी नंगा कर दिया. अब वो मेरे सामने बिलकूल नंगी खड़ी थी और मेरा लंड सहला रही थी.

मैंने कहा - मोहिनी, तेरी चूत एकदम इतनी चिकनी कैसी है? क्या रोज़ शेविंग करती हो?

मोहिनी - मेरा मर्द है ना. वो हर सप्ताह मेरी चूत अपनी रेजर से साफ़ कर देता है.
ये सुनते ही मेरा लिंग इतना बड़ा हो गया था कि मैंने कभी कल्पना भी नही की थी कि मेरा लंड इतना बड़ा हो सकता है.

मैंने कहा - हाय, इतनी चिकनी चूत देख मुझे इसे चूसने का मन कर रहा है.

मोहिनी - तो चुसो ना साहब इसे.

मैंने मोहिनी को अपने बिस्तर पर लिटा दिया और उसके चूत पर अपनी जीभ घुसा कर उसे चाटने लगा. मोहिनी 3 बच्चों की माँ हो कर भी किसी कुवारी लड़की से कम नहीं थी. उसका बुर और चूची में काफी कडापन था. थोड़ी देर में उसके चूत ने मस्त पानी निकाला. मै उसके पानी को चाटने के बाद धीरे धीरे मै ऊपर की तरफ बढ़ा और उसकी चूची को मुह में ले कर चूसने लगा.

मेरा लंड तनतना रहा था. मोहिनी ने मेरे लंड को पकड़ कर सहला रही थी.

वो बोली - रेमो बाबा, एक काम करो. तुम अपना लंड मेरे चूत में डालो. तब पता चलेगा कि तुम्हारा लंड का साइज़ सही है कि नहीं.

मैंने कहा - तू मुझसे चुदवायेगी?

वो बोली - हाँ, क्यों नहीं. जरा देखूं तो सही. बाबा का हथियार सही है या नहीं?

मै मन ही मन काफी खुश हो गया. मैंने अपने लंड को एक हाथ से पकड़ा और मोहिनी के बुर में घुसा दिया. जब मेरा लंड मोहिनी के बुर में अन्दर जा रहा था तो मुझे काफी मज़ा आया. मैंने काफी अन्दर तक अपना लंड घुसा दिया. लेकिन वो कराहने लगी.

वो बोली - बस बाबा, अब और अन्दर नहीं जाएगा. बहुत बड़ा है तेरा लंड. अब यही से चोदो.

मैंने उसके चूत को चोदना शुरू कर दिया. उसके बुर में जा कर मेरा लंड और भी बड़ा और मोटा हो गया. मोहिनी के मुह से आह आह की आवाज निकलने लगी.

वो बोली - धीरे धीरे कीजिये ना. दर्द होता है.

मुझे महसूस हुआ कि जिस लंड को मै हमेशा छोटा मानता आया हूँ वो किसी महिला के भी बुर में दर्द पैदा करने के लिए काफी है. 5 मिनट की चुदाई के बाद उसके बुर ने दोबारा पानी छोड़ दिया. 10 मिनट तक चुदाई करने के बाद मेरा माल निकलने वाला था. उसे अनुभव हो गया था कि मेरा माल निकलने वाला है.

वो बोली - माल अन्दर में मत गिरा देना साहब .

ज्यों ही मेरा शरीर अकड़ने लगा त्यों ही उसने अपने कमर को नीचे कर के मेरे लंड से अपने बुर को निकाल ली और झट से नीचे आ कर मेरे लंड को अपने मुह में ले ली. 3-4 सेकेंड में ही मेरा लंड महाराज से वीर्य निकलना शुरू हो गया. कुछ वीर्य उसने पी ली और कुछ उसके मुह से बाहर निकल आया.

थोड़ी देर के बाद उसने कहा- देखा ना रेमो बाबु, लंड छोटा या बड़ा नही होता. सभी लंड चुदाई के लिए अव्वल होते हैं.

थोड़ी देर के बाद मैंने अपने लंड की साइज़ की सत्यता जांचने के बहाने मोहिनी की गांड की भी चुदाई की . उस में भी मै सफल हो गया.

मोहिनी ने आज मुझे विश्वास दिला दिया कि मर्द कभी भी नामर्द नहीं हो सकता. मैंने उसे एक हज़ार का पत्ता निकाल के दिया. उस के बाद जब भी मौक़ा मिलता मै मोहिनी को अवश्य ही चोदता हूँ . इसके लिए मैं मोहिनी को अलग से सभी से छुपा कर पैसे भी देता हूँ.

ससुरजी ने की बहु की चुदाई


ससुरजी ने की बहु की चुदाई

रात के 12 बज चुके थे। छोटे से गाँव राजापुर में बहूत ही सन्नाटा छ गया था। राजापुर गरीब की बस्ती है। इसी बस्ती के एक कोने में हरिया का घर है। हरिया एक गरीब किसान है। हरिया अपने घर के एक अँधेरी कोठरी में अक्सर की तरह अपनी नंगी बीबी की चुदाई में मशगुल था। हरिया की उमर 50 साल की है। और उसकी बीबी की उमर 45 साल की है। हरिया अपनी बीबी की चूत में लंड डाल कर काफ़ी देर से धीरे धीरे बड़े आराम से  उसकी चुदाई कर रहा था। उसकी बीबी मुन्नी  भी  बिना किसी  उत्तेजना के अपने दोनों पैर फैला कर यूँ ही पड़ी थी जैसे  उसे हरिया के बड़े लंड की कोई परवाह ही न हो या फिर कोई तकलीफ ही न हो रही है। केवल हर धक्के पर धीमे से आह आह की आवाज निकल रही थी। मुन्नी की बुर कब का पानी छोड़ चुका था। थोडी ही देर में हरिया का लंड से माल निकलने लगा तो वो भी सिसकारी भरते हुए  मुन्नी की  चूची को  अपना मुह चूसने  दिया और उसके बदन पर लेट गया । वो मुन्नी की बेजान चूची को उसने मुह में ले कर चूसने लगा। थोड़ी देर के बाद उसने अपना लंड मुन्नी के बुर से निकाला और बगल में लेट गया। उसने दो  बीडी जलाई , एक खुद पीने  लगा  और  एक मुन्नी को थमा दिया । मुन्नी ने जोर जोर से कश  भर   के  बीडी  का  मज़ा  लिया . मुन्नी हरिया  लटक रहे लंड को अपने हाथों में ले लिया और उस को सहलाने लगी। लेकिन अब हरिया के लंड में कोई उत्साह नही था। वो एक बेजान लत की तरह मुन्नी के हाथो का खिलौना बना हुआ था।
मुन्नी के कहा - एक बार और चोदो न. कुछ पता भी नहीं चला कि कब मेरा माल निकल गया.
हरिया- नहीं अब नहीं, तेरी चूत अब एकदम सुखी हो गयी है. तेरे चूत से पानी निकल जाता है . एकदम बेजान चूत हो गयी है तेरी. तेरे चूत की  चुदाई में अब कुछ मज़ा नही आता. तेरी जवान गीली चूत चोदने का मज़ा ही कुछ और था.
मुन्नी ने मन मसोस कर हरिया के लंड को अपने मुह में ले कर चूसने लगी कि कहीं शायद ये फिर से खड़ा हो जाए और एक बार और चुदाई कर दे. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. कुछ देर चूसने के बाद भी हरिया का लंड लटकता ही रहा. थक हार कर मुन्नी बगल में चुपचाप लेट गयी. हरिया उसकी एक चूची को यूँ ही बेमन से दबा रहा था और किसी और विचार में खोया हुआ था.
अचानक मुन्नी ने कहा- जानते हो जी ! आज क्या हुआ?
हरिया ने कहा- क्या?
मुन्नी ने कहा- रोज़ की तरह आज में और मालती ( मुन्नी की बहु) सुबह शौच करने खेत गए । वहां हम दोनों एक दुसरे के सामने बैठ कर पैखाना कर थे.... तभी मैंने देखा कि मालती अपने बुर में ऊँगली घुसा कर मुठ मारने लगी। मैंने पूछा ये क्या कर रही है तू? तो उसने मेरी पीछे की तरफ़ इशारा किया और कहा - जरा उधर तो देखो अम्मा। मैंने पीछे देखा तो एक कुत्ता एक कुतिया को चोद रहा था । मैंने कहा- अच्छा, तो ये बात है। मालती ने कहा- देख कर बर्दाश्त नही हुआ इसलिए मुठ मार रही हूँ। मैंने कहा - जल्दी मुठ मार , घर भी चलना है। मालती ने कहा- हाँ अम्मा , बस अब निकलने ही वाला है। और एक मिनट हुए भी ना होंगे कि उसके चूत से इतना माल निकलने लगा कि एक मिनट तक निकलता ही रहा। मैंने पूछा- क्यों री , कितने दिन का माल जमा कर रखा था? उसने कहा- कल दोपहर को ही तो निकाला था। मैंने भी सोचा- कितना जल्दी इतना माल जमा हो जाता है।
मुन्नी की कहानी सुनने के बाद हरिया ने कहा- वो अभी जवान है ना। अभी तो बेचारी 20 साल की भी ठीक से नहीं हुई है. और फिर उसकी गर्मी शांत करने के लिए अपना बेटा भी तो यहाँ नही है ना। कमाने के लिए परदेश चला गया। अरे ! मै  तो मना कर रहा था। 3 महीने भी नही हुए उसकी शादी को और अपनी जवान पत्नी को छोड़ कमाने बम्बई चला गया। बोला अच्छी नौकरी है। अभी बताओ चार महीने से आने का नाम ही नही है। बस फोन कर के हालचाल ले लेता है। अरे फोन से बीबी की गर्मी थोड़े ही शांत होने वाली है? अब उसे कौन कहे ये सब बातें खुल के?
थोडी देर शांत रहने के बाद मुन्नी फिर से हरिया के लंड को हाथ में ले कर खेलने लगी।
हरिया ने मुन्नी की चूची को दबाते हुए उस से पूछा- क्या तुम रोज़ ही उसके सामने बैठ के पैखाना करती हो?
मुन्नी ने कहा- हाँ।
हरिया- तब तो तुम दोनों एक दूसरे का बुर रोज़ देखती होगी।
मुन्नी- हाँ, बुर क्या पूरा गांड भी देखा है हम दोनों ने एक दूसरे का। बिलकूल ही पास बैठ कर पैखाना करते हैं।
हरिया - क्या वो अक्सर मुठ मारती है?
मुन्नी - हाँ. लगभग हर दिन मार ही देती है. यहाँ  रात को मेरे साथ सोते हुए अपने कमरे में  हर रात को मुठ मारती है.  अभी भी वो नंगी ही सोई होगी अपनी चूत में उंगली डाल के.  कई बार तो जब तुम खेत जाते हो तो हम दोनों घर के आँगन के कुएं पर नंगी हो के  साथ नहातें हैं और वो वहाँ भी मेरे सामने ही मुठ मार देती है. कभी कभी तो मुझे भी गरमी चढ़ जाती है तो वो ही उसी समय कुएं पर मेरा भी मुठ मार देती है. बड़ी मस्त कुड़ी है.
हरिया- अच्छा , एक बात तो बता। उसका बुर तेरी तरह काला है या गोरा?
मुन्नी- पूरा गोरा तो नही है लेकिन मेरे से साफ़ है। मुझे उसके बुर पर के बाल बड़े ही प्यारे लगते हैं। बड़े बड़े और लहरदार रोएँ की तरह बाल। कई बार तो मैंने उसके बाल भी छुए हैं।
हरिया- क्यों?
मुन्नी - क्या करूँ? बेचारी बच्ची है. रोज रात को तो  मै उसके साथ  सोती हूँ तो रात को  कभी कभी जिद पकड़ लेती है कि आज तू ही मेरी मुठ मार दे. इसलिए मै उसकी चूत में उंगली डाल कर मुठ मार देती हूँ. बेचारी को थोड़ी शान्ति मिल जाती है.
हरिया- बुर कैसा है उसका?
मुन्नी- बुर क्या है लगता है मानो कटे हुए टमाटर हैं। एक दम फुले -फुले, लाल -लाल।
हरिया - कितनी  गहरी  है उसकी  चूत?
मुन्नी - अच्छी गहरी है. तुम्हारा पूरा लंड आराम से अपनी चूत में घुसा ले तो उफ्फ भी न करे . उसे चोदने वाला को बड़ा ही मज़ा आता होगा.  
अचानक मुन्नी ने महसूस किया की हरिया का लंड खड़ा हो रहा है। वो समझ गई की हरिया को मज़ा आ रहा है।
वो बोली- अच्छा ,एक बात तो बताओ।
हरिया बोला- क्या?
मुन्नी- क्या तुम उसे चोदोगे?
हरिया- ये कैसे हो सकता है?
मुन्नी- क्यों नही हो सकता है? वो जवान है । अगर गर्मी के मारे किसी और के साथ भाग गई तो क्या मुह दिखायेंगे हमलोग गाँव वालों को? अगर तुम उसकी गर्मी घर में ही शांत कर दो तो वो भला किसी दूसरे का मुह क्यों देखेगी। जब वो किसी कुत्ते-कुतिया को देख कर मुठ मार सकती है तो वो किसी के साथ भी भाग सकती है। कितना नजर रख सकते हैं हम लोग? थोड़े दिन की तो बात है । फिर हमारा बेटा मोहन उसे अपने साथ बम्बई ले जाएगा तब तो हमें कोई चिंता करने की जरूरत तो नही है न।
हरिया- क्या मालती मान जायेगी?
मुन्नी ने कहा- अरे , वो  कुत्ते से अपनी चूत चुदवाने के लिए तैयार हो जाएगी. तुम तो मर्द हो. कल रात को में उसे तुम्हारे पास भेजूंगी। उसी समय अपना काम कर लेना।
हरिया का लंड पूरा जोश में आ गया।
उसने मुन्नी की बुर में अपना लंड डालते हुए कहा- तुने तो मुझे गरम कर दिया रे।
मुन्नी ने कहा - एक काम करना. अभी मै उसके पास जा रही हूँ. तुम थोड़ी देर के बाद आ कर उसको सुना सुना कर मुझे वहीँ चोदना ताकि उसे गर्मी चढ़े.
हरिया - लेकिन वो क्या सोचेगी ?
मुन्नी  - अरे वो सोचेगी क्या? वो जानती है कि  तुम मुझे हर रात को चोदते हो. देखो, मै जाती हूँ. तुम वह आना और कहना कि चोदने का  बहुत मन हो रहा है  इसलिए यहीं चोदुंगा. बहु को सोता हुआ मान कर अच्छे से मुझे चोद कर वापस चले जाना.
हरिया बोला- ठीक है  जा.
मुन्नी एक कपडे अपने बदन पर डाल कर वापस मालती  के कमरे में आ कर उसके बगल में लेट गयी. मालती एक दम से नंगे बदन थी. मुन्नी रोज़ अपनी बहु  मालती के ही कमरे में एक ही पलंग पर  सोती थी. जब उसे चुदवाने का मन होता था तो उठ कर हरिया के कमरे में चली जाती थी. फिर चुदवा कर वापस आ जाती थी. मालती भी जानती थी ये बात.
वापस आ कर मुन्नी मालती के बगल में लेट कर बोली - सो  गयी क्या बहु?
मालती - क्यों अम्मा?
मुन्नी उसकी चूत पर हाथ घसते हुए बोली - निकाल लिया पानी?
मालती - हाँ अम्मा निकाल लिया ...तेरी भी ठुकाई हो गयी?
मुन्नी ने ढिबरी बुझाते हुए कहा - हाँ री. ये तो रोज़ की बात है. अच्छा चल सो जा.
लेकिन अभी दस मिनट भी ना हुए थे कि प्लान के मुताबिक़ हरिया उस अँधेरे कमरे में दाखिल हुआ और चोर की  तरह मुन्नी मुन्नी पुकारने लगा. मुन्नी ने जान बुझ कर धीरे से कहा - क्या  बात है जी? इस तरह अँधेरे में क्यों आये हो चोरों की तरह.
हरिया - तू है किधर, जरा मेरा हाथ तो थाम.
मुन्नी ने बिस्तर पर लेटे - लेटे  ही हरिया का हाथ थामा और पूछी- क्या बात है जी ?
हरिया - चल , मेरे कमरे में.
मुन्नी - क्यों?
हरिया - फिर गर्मी चढ़ गयी है. चोदना है तुझे.
मुन्नी - हाय राम, अभी तो चोदा है मुझे... अब फिर से?
हरिया - हाँ..चल मेरे कमरे में.
मुन्नी - नहीं अब मै नहीं जाउंगी ... चोदना है तो यही चोद लो.
हरिया - यहाँ? यहाँ बहु सो रही है... कहीं जग गयी तो?
मुन्नी - नहीं वो सो गयी है... अब जल्दी  से अपना काम कारो और चलते  बनो.
हरिया - ठीक है. जैसी तेरी मर्जी.

हालांकी मालती अभी सोयी नही थी..लेकिन सास-ससुर की रास लीला को चुप-चाप सुन कर सोने का नाटक कर रही थी. वो भी मस्त हो रही थी.

हरिया सीधे मालती के बदन पर चढ़ गया. मुन्नी ने मुस्कुरा कर अपनी दोनों टांगें फैला दी और हरिया ने अपना बड़ा लंड उसके चूत में डाला और पेलने लगा. उसकी पेलाई से सारा पलंग जोर जोर से हिलने लगा.

मुन्नी भी जान बुझ कर जोर - जोर से आह - आह की आवाज़ निकने लगी। वो लगभग चीखने लगी . बोल रही थी- हाय राम, बुढापे में कुछ तो रहम करो. हालांकि  उसे कोई ख़ास दर्द नही हो रहा था लेकिन वो अपनी बहु को सुनाने के लिए जोर जोर से बोलने लगी- आह -आह, धीरे धीरे चोदो ना। दर्द हो रहा है। इतना बड़ा लंड घुसा दिया..आह..
सारा कमरा उन दोनों की चीख और चुदाई की घपाघप की आवाज़ से गूंज रहा था जो कुम्भकर्ण को भी जगाने के लिए काफी था.
ये आवाज़ बगल  में लेटी हुई  उसकी बहु मालती को तडपाने  के लिए  काफ़ी थी। वो जान बुझ कर अनजान बनी हुई थी. जबकि उसके सास को अच्छी तरह पता था कि मालती सब सुन रही है. चुदाई की मीठी दर्द भरी आवाज़ सुन कर मालती का बुर चिपचिपा गया। वो अपने पिया मोहन के लंड को याद कर के अपने बुर में ऊँगली डाली और  ऊँगली से ही बुर की गत बना डाली।
दस- बारह मिनट के बाद हरिया के लंड ने माल उगला और मस्त आवाज निकालते हुए वो निढाल  हो गया. थोड़ी देर बाद वो वहां से चला गया. उसके जाने के बाद मालती अचानक अपनी सास को अपने बाँहों में लपेटा और बोली - क्यों अम्मा, बड़ी मस्त चुदाई हुई तेरी तो.
मुन्नी ने जान - बुझ  कर हडबडाते हुए कहा - हाय राम, तू सोयी नहीं थी? तू सब सुन रही थी?
मालती - नहीं अम्मा, जब दो जवान लंड और चूत का बगल में जबरदस्त खेल हो रहा हो तो नींद कैसी आएगी?
मुन्नी - धत, पगली, तेरा ससुर तो बावला हो गया था. मैंने सोचा कि तू सो गयी है , इसलिए यहीं चुदवा लिया.
मालती - अम्मा, मेरी चूत बहुत गर्म हो गयी है...मेरी भी पानी निकाल दे ना.
मुन्नी - ला, आज मै तेरी चूत चूस कर तेरा पानी निकालती हूँ.
इसके बाद मुन्नी ने मालती के चूत को अपने मुंह में लिया और चूसने लगी. ज्यों ही मुन्नी ने मालती के चूत को मुंह में लिए त्यों ही मालती का रस उसके चूत से निकलने लगा. मुन्नी ने उसके चूतरस का रसास्वादन किया. थोड़ी ही देर में दोनों नंगे ही एक दुसरे को लपेटे सो गए.
सुबह हुई । दोनों सास बहु खेत गई । दोनों एक दूसरे के सामने बठी कर पैखाना कर रही थी।
मालती ने अपनी सास मुन्नी की बुर देख कर बोली- अम्मा, तुम्हारा बुर कुछ सुजा हुआ लग रहा है।
मुन्नी ने मुस्कुरा कर कहा- ये जो तेरे ससुर जी हैं न बुढापे में भी नही मानते। देख न कल रात को इतना चोदा कि अभी तक दुःख रहा है।
मालती ने कहा- एक बात कहूँ  अम्मा?
मुन्नी- हाँ, कह  न।
मालती- बाबूजी  बहुत मस्त चोदते है  अभी भी.
मुन्नी- हाँ री। उसका लंड तो लगता है कि बांस  है। जब वो मुझे चोदते हैं तो लगता है की अब मेरी बुर तो फट ही जायेगी।
मुन्नी ने देखा की मालती अपनी ऊँगली अपने बुर में घुसा दी है।
मुन्नी ने पूछा- क्या हुआ तुझे? क्या फिर कोई कुत्ता है यहाँ ?
मालती बोली- नही अम्मा, .मुझे कल की बातें याद कर के  गर्मी चढ़ गई है। इसे निकालना जरूरी है। लेकिन , एक बात है .. बड़ी जान है  बुढ्ढे के लंड में. तू बहुत भाग्यशाली है अम्मा, मेरी तो किस्मत ही फूटी है, जवानी बेकार जा रही है मेरी.
मुन्नी बोली- सुन, यूँ दुखी मत हो. तू एक काम क्यों नही करती? आज रात तू अपने ससुर के साथ अपनी गर्मी क्यों नही निकल देती?
मालती चौंक कर बोली- ये कैसे हो सकता है? वो मेरे ससुर हैं।
मुन्नी बोली- अरे तेरी जरूरत को समझते हुए मैंने ऐसा कहा। तुझे इस समय किसी मर्द की लंड की जरूरत है। अब जब घर में ही मर्द मौजूद हो तो क्यों नही उसका लाभ उठा जाए। तू सिर्फ लंड देख. लंड वाला तेरा क्या लगता है वो सब मत सोच.
मालती का मन अब डोल चुका था।
वो बोली- कहीं बाबूजी नाराज हों गए तो ?
मुन्नी बोली- अरे तू आज रात को उनके पास चले जाना। में बहाना बना के भेज दूँगी। धीरे धीरे रात के अंधेरे में जब तू उनको छुएगी ना , तो तू भूल जायेगी की तू उनकी बहु है और वो भूल जायेगे की वो तुम्हारे ससुर हैं।
ये सुन कर मालती के बुर में मानो तूफ़ान आ गया। उसके बुर से इतना पानी निकलने लगा कि मुन्नी को लगा कि ये पेशाब कर रही है। अब मुन्नी खुश थी। दोनों तरफ़ मामला सेट था।
रात हुई। खाना- वाना ख़त्म  कर मुन्नी हरिया के कमरे में गई और हरिया को बता दी कि मै मालती को भेज रही हूँ। वो चुदवाने के लिए तैयार है. तुम सिर्फ़ थोडी पहल करना।
कह के वो बाहर चली आई।
और बहु से बोली- मालती,मै तुझे  हरिया के तेल मालिश के बहाने उसके पास भेज रही हूँ. जा कर धीरे धीरे लंड पकड़ लेना. फिर सब अपने आप हो जायेगा.
मालती - ठीक है अम्मा .
फिर मुन्नी दरवाजे के बाहर से हरिया को बोली- सुनते हों जी , मै बगल के पड़ोसी के यहाँ जागरण में जा रही हूँ । सुबह आउंगी . तुम  मालती बहु से तेल मालिश करवा लेना।
इस प्रकार मालती को लगा कि ससुर जी को मेरे मन की बात पता नहीं है और उसे नहीं पता चला कि ससुरजी उसको चोदने के लिए किस तरह बेताब है. . जब कि हरिया को सब कुछ पहले से ही पता था.
मालती जैसे ही दरवाजे के पास आई मुन्नी ने उस से धीरे से कहा - देख मैंने बहाना बना कर तुम्हे उनके पास भेज रही हूँ। मालिश करते करते उनके लंड तक अपना हाथ ले जाना। शर्माना नही। अगर उनको बुरा लगे तो कह देना की अंधेरे में दिखा नही। अगर कुछ नही बोले तो फिर हाथ लगाना। जब देखना कि कुछ नही बोल रहे हैं तो समझना की उन्हें भी अच्छा लग रहा है। ठीक है ना? अब मैं चलती हूँ।
कह कर मुन्नी पड़ोस में हो रहे जागरण में  चली गई। मालती ने किवाड़ लगाया और अपना पुरे कपडे उतार कर सिर्फ एक पेटीकोट को अपने चूची पर से पहना जो कि उसके कमर से थोड़े नीचे तक ही था. उसने ना तो ब्रा पहना न ही पेंटी. उसकी चूची के बीच की गहरी दरार स्पष्ट दिख रही थी. वो हाथ में तेल की शीशी लिए हरिया के कमरे में आई। हरिया भी सिर्फ एक पतली सी गमछी लपेटे अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था.
हरिया ने कहा- आ जा बहु । वैसे तो तेल मालिश की जरूरत नही थी, लेकिन आज मेरा पैर थोड़ा सा दर्द कर रहा है इसलिए मालिश जरूरी है।
मालती हरिया के बिस्तर पर बैठ गई। कमरे में एक छोटी सी डिबिया जल रही थी। जो कि पर्याप्त रौशनी के लिए भी अनुकूल नही थी। लेकिन दोनों ही लगभग नंगे थे और एक दुसरे के बदन को अच्छी तरह से देख  सकते थे. हरिया ने जब अपनी बहु को सिर्फ पेटीकोट में देखा तो उसके लंड ने गमछी  के अन्दर उफान मचा दिया.
मालती ने कहा- कोई बात नही बाबूजी । मै  आपकी अच्छे से मालिश कर देती हूँ।
हरिया ने कहा- बहु, जरा ये डिबिया बुझा दे , क्यों कि  मैंने गमछी  के अन्दर कुछ नहीं  पहन रखा  है।
मालती ने डिबिया बुझा दी। अब वहां  अँधेरा छा गया। लेकिन  बाहर की चांदनी रात की रोशनी अन्दर आ रही थी। जिस से सब कुछ स्पष्ट दिख रहा था.  मालती की सांसे तेज़ हों गई। वो तेल को हरिया के पैरों में लगाने लगी। धीरे धीरे वो हरिया के जांघों में तेल लगाने लगी। जांघ में तेल लगाते लगाते उसने धीरे धीरे हरिया कि गमछी खोल दी. अब हरिया अपनी बहु के सामने नंगा था. मालती चांदनी रौशनी में हरिया के विशाल लंड को झूलते हुए देख मचलने लगी. मालती ने धीरे से  जान बुझ कर हरिया के लंड तक अपना हाथ ले गई। हरिया ने कुछ नही कहा। मालती दुबारा हरिया के लंड पर हाथ लगाया। और तेल को वो जांघों और लंड के बीच लगाने लगी। जिससे वो बार बार हरिया के अंडकोष पर हाथ लगा सकती थी। हरिया ने जब देखा की बात लगभग बन चुकी है।  मालती पूरी गरम हों गई। अब वो हरिया के लंड को छूने की कोशिश कर रही थी। धीरे धीरे उसने लंड पर हाथ लगाया और पकड़ लिए । हरिया का लंड सोया हुआ था। लेकिन ज्यों ही मालती ने हरिया का लंड छुआ मालती के जिस्म में एक सिरहन सी दौड़ गई। अब वो दुबारा अपना हाथ हरिया के दूसरे जांघ पर इस तरह ले गई जिस से उसकी कलाई हरिया के लंड  को छूती रहे। हरिया भी पका हुआ खिलाड़ी था। उसका लंड जल्दी खड़ा होने वाला नही था। उसे तो पता था कि मालती चुदवाने के लिए पूरी तरह से तैयार है .
हरिया ने कहा- बहु, अब जरा मेरे जांघ पर बैठ कर मेरे सीने की मालिश कर दे. इस से मेरे जांघ का दर्द भी कम हो गायेगा.
मालती  ने अपनी पेटीकोट को ऊपर किया और अपनी नंगी चुतद को हरिया के जांघ पर बैठा  कर हरिया के सीने  पर हाथ  फेरने  लगी. इधर  उसका चूत हरिया के लंड से सट रहा था. दोनों का ध्यान चूत और लंड के सटने पर ही था. मालती भी अपने चूत से अपने ससुर के लंड को छूने के लिए अब बेताब होने लगी. मालती ने एक हाथ से अपने ससुर का लंड को पकड़ा और उसमे तेल लगाने लगी.
हरिया- तुम अपनी पेटीकोट  खोल दो ना। वैसे भी तेल लगने से सारी ख़राब हों सकती है।
मालती तो ये चाहती थी। उसने सोचा कि जब ससुरजी ही उसे नंगी होने के लिए कह रहे हैं तो उसे देर नहीं करनी चाहिए. उसने अपनी पेटीकोट  खोल के एक किनारे रख दिया। अब वो पूरी नंगी थी.
वो हरिया के जांघ पर इस तरह से बठी की उसकी चूत हरिया के लंड में पूरी तरह से सटने लगी. उसकी नरम गांड हरिया के सख्त जांघ पर इस तरह थी मानो पत्थर पर कमल का फूल. हरिया को उसकी नरम नरम गांड का अहसास होने लगा.  अब हरिया में भीतर तूफ़ान उठना शुरू हो गया. वो समझ गया की लोहा गरम है और यही सही समय है चोट मारने का. उसने अपने हाथ से अपनी बहु की नंगी जांघ पर हाथ रखा और चिकनी जांघ पर हाथ फेरने लगा. उसकी बहु को मज़ा आने लगा. उसने अपने हाथ में हरिया का लंड पूरी तरह पकड़ लिया. और उसे दबाने लगी. अब थोडा थोडा हरिया का लंड खडा होने लगा. लेकिन वो पूरी तरह से इसे खड़ा नहीं किया और हरिया ने अपने हाथ को धीरे धीरे अपनी बहु की गांड पर फेरना चालु कर दिया. अब मालती को पूरा यकीन हो गया की ससुरजी भी चोदने के लिए तैयार हैं. हरिया का हाथ अपनी बहु की गांड की दरार में कुछ खोजने लगा. एक बार जैसे ही मालती आगे की और झुकी वैसे ही हरिया ने मालती की गांड की छेद में अपनी ऊँगली घुसा दिया. मालती तड़प गयी. लेकिन वो कुछ नहीं बोली. वो सिर्फ आगे की और झुकी रही. और नीचे से उसके ससुर उसकी गांड में उंगली करता रहा. अब मालती अपने रंग में आई और लपक कर अपने ससुर के लंड को अपने मुंह में ले कर चूसने लगी.  अब मामला पूरी तरह से साफ़ हो चुका था.
हरिया ने जबरदस्ती अपने लंड को मालती के मुंह से निकाला और  अपने शरीर पर झुकी हुई अपनी बहु को एक हाथ से लपेटा और अपने बदन पर लिटा  दिया. अब मालती की चूची हरिया के सीने पर रगड़ खाने लगी. हरिया अपनी बहु की गदराई नरम देह को अपने सख्त शरीर में कस कर सटा रहा था. हरिया उसके नरम होठों को अपने मुंह के ले कर चूसने लगा. धीरे से उसने मालती को अपने बगल में लिटाया और उसके चूची को अपने मुंह में ले कर चूसने लगा. और कहा -बड़े नरम चूची है तेरी तो.
वो मालती के चूची को मसलने लगा। मालती की चूची गदराई जवानी का प्रतीक थी.
हरिया बोला- तेरी चूची तो एक दम सख्त है। मै  तेरी चूची चूस  रहा हूँ, तुझे बुरा तो नही लग रहा है न?
मालती बोली- नही, आप मेरे साथ कुछ भी करेंगे तो में बुरा नही मानूंगी। आप मुझे चोदेंगे तो भी नहीं.
हरिया ने कहा- शाबाश बहु, यही अच्छे बहु की निशानी है। बोल तुझे क्या चाहिए?
मालती- बाबूजी मुझे कुछ नही चाहिए, जो आपकी मर्ज़ी हो वो दे दें ।
हरिया- बहुत दिन से प्यासा हूँ. जरा मुझे अपनी चूत का पानी पिला दे ना .
मालती- अब देर किस बात की? मुझे भी किसी मर्द से अपनी चूत चुस्वाने का बहुत शौक है.
हरिया ने नीचे जा कर मालती के बुर को पहले तो छुआ फिर, मुंह में ले कर चूसने लगा।
मालती कहराते हुए बोली- हाय....... राम........ऐसे मत चूसिये बाबूजी , मै मर जाऊंगी।
लेकिन हरिया नहीं माना. वो तो इस तरह इसे चूस रहा था मानो कोई आम की गुठली चूस रहा हो. मालती अपनी आँख बंद कर के अपने दोनों हाथ से अपने सर के पीछे रखे तकिये को जोर से पकड़ कर दबाये हुए मचल रही थी. उसका नंगा बदन सांप की तरह अंगडाई ले रहा था. थोड़ी देर में ही मालती के चूत ने पानी छोड़ दिया. हरिया ने मालती की चूत से बहती हुई पुरी पानी को चाट चाट कर पी लिया.
अब हरिया उठ खड़ा हुआ और, मालती के हाथ में अपना लंड थमा दिया। मालती के हाथ मानो कोई खजाना मिल गया हों। वो हरिया के लंड को कभी चूमती कभी खेलती. लेकिन वो कुछ निराश भी थी क्यों की ससुरजी का लंड आधा ही खडा हुआ था. जबकि सासुजी ने कहा था कि ससुरजी का लंड बांस की तरह टाईट हो जाता है. लेकिन मालती फिर भी इस आधे खिले हुए लंड को ही अपने प्यासे चूत में डालने के लिए बेताब थी.
वो बोली-बाबूजी, इसको मेरे बुर में एक बार डाल दीजिये न।
हरिया ने अपने लटके हुए लंड को हाथ से पकड़ कर मालती के बुर में घूसा दिया। मालती के बुर में हरिया का लंड जाते ही फुफकार मरने लगा। और मालती के बुर में ही वो खड़ा होने लगा।
मालती- बाबूजी ये क्या हों रहा है? जल्दी से निकल दीजिये।
हरिया- कुछ नही होगा बहु। अब हरिया का लंड पूरी तरह से टाइट हों गया। अब हरिया का लंड सचमुच बांस कि तरह टाईट और बड़ा हो गया था. मालती दर्द से छटपटाने लगी। उसे यह अंदाजा ही नही था की जिसे वो कमजोर और बुढा लंड समझ रही थी वो बुर में जाने के बाद इतना विशालकाय हों जाएगा। हरिया ने मालती को चोदना चालू किया। पहले दस मिनट तक तो मालती बाबूजी बाबूजी छोड़ दीजिये कहती रही। लेकिन हरिया नही सुना, वो धीरे धीरे उसे चोदता रहा। दस मिनट के बाद मालती का बुर थोड़ा ढीला हुआ। अब हरिया का पूरा लंड उसके चूत में आराम से आ - जा रहा था. अब मालती को  भी अच्छा लग रहा था। दस मिनट और हरिया ने मालती की जम के चुदाई की। तब जा कर हरिया के अन्दर का पानी बाहर आने को हुआ तो उसने अपना लंड मालती के बुर से निकल के मालती के मुंह में लगा दिया बोला - पी जा।
मालती ने हरिया के लंड को मुंह में ले कर ज्यों ही दो- तीन बार चूसा कि  हरिया के लंड से तेज़ धार निकली जिस से मालती के पूरा मुंह  भर गया। मालती ने सारा का सारा माल गटक  लिया। आज जा कर मालती की गर्मी शांत हुई।
उस के बाद फिर थोड़ी देर के बाद ससुर और बहु के बीच सम्भोग का खेल चालु हुआ. इस बार काफी इत्मीनान हो कर हरिया अपनी बहु मालती की चुदाई कर रहा था. मालती अब जोर जोर से बेशर्म हो कर आह आह की आवाज निकाल रही थी और अपने ससुर का पूरा साथ दे रही थी. इस बार जब हरिया का माल निकालने को आया तो मालती ने कहा- इस बार चूत में ही निकाल लीजिये. हरिया ने वैसे ही किया. 2 मिनट तक उसके लंड से माल निकलता रहा और मालती के चूत में गिरता रहा. इस तरह तीन  राउंड चूत पेलाई के बाद जालिम हरिया ने चौथे राउंड में मालती की गांड भी मार ली. वो तो मालती थी जो कि अपने गांड में ढेर सारा क्रीम डाल कर अपने ससुर के लंड को झेल गयी. कोई और होती तो उसकी तो गांड ही फट जाती. हरिया भी अपनी बहु की सेक्सी अदा और बहादुरी पर काफी प्रसन्न हुआ. उसे तो पता ही नहीं था कि जिस लड़की को वो खोजता था वो उसी के घर में उसकी बहु बन कर थी.  हरिया ने जम कर मालती की गांड मारने के बाद जब माल निकलने को हुआ तो अपने लंड को उसके गांड से निकाल कर उसके चूत में डाला और सारा माल उसके चूत में गिर जाने दिया. वो मालती के  चूत में लंड डाले हुए ही सो गया और मालती को भी कब नींद आ गयी उसे भी पता ना चला.
सुबह के चार बजे जब मुन्नी जागरण में से घर और अपने कमरे में गयी तो देखती है कि उसका पति हरिया अपनी बहु मालती के चूत में लंड डाले हुए उसके नंगे बदन पर सो रहा है. देख कर मुन्नी को थोड़ी ख़ुशी हुई कि चलो आखिर मेरी बहु मेरे घर के काम आई. उसने जा कर अपने बहु को हिला कर जगाया. थकी हुई बहु की आँखे खुली तो अपने चूत में अपने ससुर जी का लंड देख कर और सामने अपनी सास को देख कर थोड़ी शर्म आई. उसने प्यार से ससुरजी के लंड को अपने चूत से निकाला और ससुर जी को जगाया. हरिया की भी आँख खुल गयी. उसने जब अपने आप को नंगा और अपनी बहु को नंगा देखा तो उसे सारी बात याद आ गयी.
मुन्नी ने पूछा- अरे मालती, मैंने तो तुम्हे इनकी मालिश करने को कहा था. इन्होने ने तो तेरी ही मालिश कर दी. रात भर मालिश करवाती रही क्या?
मालती ने मुस्कुरा कर कहा- नहीं अम्मा, सिर्फ 4 बार ! 3  बार आगे से एक बार पीछे से.
मालती - शाबाश. मेरी बहु. अब तो खेत के कुत्ते को देख कर गर्म नहीं होगी न ?
मालती - नहीं अम्मा, अब तो घर में ही घोड़े का लंड हो तो बाहर क्यों देखूं?
मुन्नी ने हरिया से कहा- क्यों जी , कैसी लगी मेरी बहु के हाथो की मालिश? मज़ा आया? मेरी फुल जैसी बहु को तुमने ज्यादा मालिश तो नहीं कर दी ना?
हरिया ने कहा - हमारी बहु के हाथों में तो जादू है. अब रोज़ ही मै इसकी और ये मेरी मालिश लिया करेगी.
मुन्नी ने हँसते हुए कहा- हाँ , क्यों नहीं. वैसे भी अब मेरे हाथ में वो बात कहाँ जो मालती बहु के हाथ में है. अच्छा...एक बार मेरे सामने मालती को चोद के दिखाओ तो मै समझूँ कि तुझमे अभी भी मर्दानगी है.
हरिया - देख मुन्नी , अब तू भी कपडे खोल, इसके साथ साथ तेरी भी ठुकाई कर दूँ.
मुन्नी भी एक क्षण में अपने सारे कपडे उतारने लगी. तब तक इधर हरिया मालती की दोनों टांगों को अपने कन्धों पर चढ़ा कर उस के चूत में अपना लंड डाल कर चुदाई प्रारम्भ कर चुका था. मुन्नी नंगी हो कर नीचे से मालती की गांड चाटने लगी. मालती की तो मानो लौटरी खुल गयी थी. दस मिनट के असाधारण मस्ती के बाद मालती के चूत से रस टपकने लगा. जिसे मुन्नी चूस रही थी. उसी समय हरिया ने भी अपना रस मालती के चूत में गिरा दिया. मुन्नी ने जल्दी से हरिया को मालती के बदन पर से हटाया और मालती के चूत पर मालती और हरिया के मिश्रित रस को चाटने लगी.
उसके रस को चाट - पोछ कर पिने के बाद वो सीधे हरिया के बदन पर लेट गयी और उसे चूमने लगी. हरिया ने उसे पकड़ कर बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और अपने खड़े लंड को उसके चूत में डाल कर 20  मिनट तक ताबड़तोड़ चुदाई की. 20 मिनट में मुन्नी 200  बार मरी और बची. आखिरकार सूर्योदय होते होते हरिया के लंड ने छठी बार माल निकाला जो इस बार मुन्नी के चूत में गया. इस बीस मिनट की चुदाई में मुन्नी इतनी थक गयी जितनी उसकी बहु पांच बार की चुदाई में भी नहीं थकी थी. तीनो मस्त हो चुके थे.      .
उसके बाद मालती रोज़ ही अपने सास - ससुर के साथ ही सोने लगी. रात भर तीनो एक दुसरे की बदन की मालिश करते और मालती और मुन्नी जी भर कर चुदवाती थीं.

सेक्सी कहानी-मेरी सेक्सी दीदी


मेरी सेक्सी दीदी

मेरी बी.ऐ की परीक्षा ख़तम हो गई थी। मै अपनी चचेरी दीदी के यहाँ घूमने नैनीताल गया। उनसे मिले हुए मुझे कई साल हो गए थे। जब में सातवीं में पढता था तभी उनकी शादी फौज के रणवीर सिंह के साथ हो गई। अब वो लोग नैनीताल में रहते थे। मेंने सोचा चलो दीदी से मिलने के साथ साथ नैनीताल भी घूम लूँगा। वहां पहुँचने पर दीदी बहूत खुश हुई।

बोली - अरे तुम इतने बड़े हो गए। मैंने तुम्हे जब अपनी शादी में देखा था तो तुम सिर्फ़ ११ साल के थे।

मैंने कहा - जी दीदी अब तो मै बीस साल का हो गया हूँ।

माँ - बेटियों ने एक दुसरे के सामने मुझे चुदवाया


माँ - बेटियों ने एक दुसरे के सामने मुझे चुदवाया

मेरा नाम गबरू है. मेरी उम्र लगभग 45 वर्ष  की है. यूँ तो मै एक टैक्सी ड्राइवर हूँ लेकिन मै रंडियों का दलाल भी हूँ. मैंने अपने संपर्क से कई बेरोजगार लड़कियों को जिस्म फरोशी के धंधे में उतारा. मैंने कभी भी किसी लड़की को जबरदस्ती इस धंधे में आने को मजबूर नहीं किया. मैंने सिर्फ उन लड़कियों को कमाने का एक जरिया दिखाया एवं सुविधाएं दिलवाईं जिन के पास खाने के भी लाले थे. मै भी उन लड़कियों को बारी बारी से  चोदता हूँ.  मेरे लिए  मेरी सभी लड़कियों का जिस्म फ्री में उपलब्द्ध रहता है. क्यों की मैं ही उन्हें नए नए क्लाइंट खोज के ला कर देता हूँ. टैक्सी की ड्राइवरी से मुझे नए ग्राहक खोजने में ज्यादा परेशानी  नही  होती  है.

मस्त सेक्सी कहानियाँ

मौसेरी बहन की चुदाई

मेरा नाम चरण है. मै एक छोटे से बस्ती का रहने वाला था. मेरे पिता प्राइमरी स्कूल के मास्टर थे. मेरी उम्र 15  वर्ष की थी जब मै और मेरे माता पिता अपने ननिहाल गया हुआ था. वहां मेरे मामा की शादी थी. वहां पर सभी सगे संबंधी जुटे थे. हम लोग शादी के पंद्रह दिन पहले ही पहुँच गए थे. मेरे पिता जी हम लोग को पहुंचा कर वापस अपनी ड्यूटी पर चले गए. और शादी से एक-दो दिन पहले आने की बात बोल गए. वहां पर दिल्ली से मेरे मौसा भी अपने बाल बच्चों के साथ आये थे. मेरी एक ही मौसी थी. उनको एक बेटा और एक बेटी थी. बेटा का नाम वीरू था और उसकी उम्र लगभग सोलह साल की थी. जबकी मौसी की बेटी का नाम नीरू था और उसकी उम्र लगभग पंद्रह साल की थी. हम तीनो में बहुत दोस्ती थी. मेरे मौसा भी अपने परिवार को पहुंचा कर वापस अपने घर चले गए. उनका ट्रांसपोर्ट का बिजनस था. पहले वो भी साधारण स्तर के थे लेकिन ट्रांसपोर्ट के बिजनस में कम समय में ही काफी दौलत कम ली थी उन्होंने. उनका परिवार काफी आधुनिक विचारधारा का हो गया था. हम लोग लगभग सात या आठ वर्षों के बाद एक दुसरे से मिले थे. 
 
मै , वीरू और नीरू देर रात तक गप्पें हांकते थे. नीरू पर जवानी छाती जा रही थी. उसके चूची समय से पहले ही विकसित हो चुके थे. मै और वीरू अक्सर खेतों में जा कर सेक्स की बातें करते थे. वीरू ने मुझे सिगरेट पीने सिखाया. वीरू काफी सारी ब्लू फिल्मे देख चूका था. और मै अभी तक इन सब से वंचित ही था. इसलिए वो सेक्स ज्ञान के मामले में गुरु था.
 
एक दिन जब हम दोनों खेतों की तरफ सिगरेट का सुट्टा मारने निकलने वाले थे तभी नीरू ने पीछे से आवाज लगाई - कहाँ जा रहे  हो तुम दोनों?

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