Pages

Wednesday, August 15, 2012

घर में अकेली अदिति


प्रेषक : सागर सिंह

बात तबकी है जब मैं बारहवीं में था, क्यूंकि मैं एक प्राइवेट स्कूल में था तो वहाँ बहुत आजाद ख्यालों वाले बच्चे ही ज्यादा थे। हमारी कक्षा में एक लड़की थी अदिति।

मैं मन ही मन उसे चाहता था पर यह नहीं जानता था कि वो भी मुझे उतना ही चाहती है।

यह बात मुझे उसकी एक दोस्त से पता चली तो मैंने भी समय न बर्बाद करते हुए उससे अपने प्यार का इजहार कर दिया। उसने भी तुरंत ही हाँ कर दी।



अब हम मिलने लगे एक दूसरे से, फ़ोन पर घंटों बात होने लगी, अगले छः महीनों में हम दोनों एक दूसरे के पास आ गए थे। हमारी बोर्ड की परीक्षाएँ जब खत्म हुई तो हम लोगों का मिलना जुलना बढ़ गया।

एक दिन उसने बताया कि वो दो दिन के लिए घर में अकेली है और उसने मुझे अपने घर बुलाया। जब मैं उसके घर पहुँचा तो उसने एक नीले रंग का टॉप और काले रंग की जींस पहनी हुई थी, वो इतनी सुन्दर लग रही थी कि मैं क्या बताऊँ।

हम दोनों एक दूसरे से गले मिले और एक दूसरे को चूमा। फिर हम लोग उसके कमरे में गए। उसका कमरा बहुत ही सुन्दर बना हुआ था। हम लोग बिस्तर पर एक दूसरे के बगल में बैठ गए और बातें करने लगे। अचानक ही क्या हुआ कि वो मेरी गोद में लेट गई। वो मेरे लण्ड के ऊपर ही लेटी थी। मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। मेरा मन भटक गया और मेरा हाथ उसकी चूचियों पर पहुँच गया।

वो कहने लगी- क्या कर रहे हो?

तो मैंने कहा- बस कुछ मन कर रहा है।

तो उसने कहा- तो रुके क्यूँ हो?

उसके मुँह से यह सुन कर तो जैसे मैं खुशी से फ़ूल कर कुप्पा हो गया। मैंने उसे लेटाया और उसके होंठ चूसने लगा। क्या रसीले होठ थे उसके। वो गर्म होने लगी थी। मैंने अपना हाथ उसके टॉप में डाला, वाह ! क्या मस्त चूचियाँ थी उसकी।

मैं उन्हें दबाने लगा तो उसने कहा- खुद ही सब करोगे क्या?

इतना कहा नहीं उसने कि उसने मुझे पलट दिया और मेरी जींस खोल कर नीचे कर दी और मेरी चड्ढी के ऊपर से मेरे लौड़े से खेलने लगी।

मैंने कहा- तुम्हें तो बहुत पता है?

तो उसका जवाब सुन कर मैं दंग रह गया। उसने कहा- तेरे से चुदने के लिए ही तो इतने दिन से तड़प रही थी ! बस मेरी प्यास बुझा दे।

तब मुझे पता लगा कि वो कितनी बड़ी चीज है और वो मुझे प्यार नहीं करती थी बल्कि केवल चुदना चाहती थी।

मैंने भी सोचा कि ठीक है चोदने को माल तो मिल ही रही है।

मैंने उसे लेटाया और उसके सारे कपड़े उतार दिए। वो केवल पैंटी में हसीन लग रही थी। मैंने उसकी चूचियाँ चूसनी शुरू की। मेरा लण्ड और कड़क होने लगा। मैंने फिर उसकी पैंटी निकाल दी। उसकी चूत पर बहुत बाल थे, मैंने पूछा- तुम काटती नहीं क्या?

तो उसने कहा- बहुत दिन से काटे नहीं !

मैंने उसकी चूत देखी, बहुत ज्यादा गीली थी, मैंने उसे चाटा, बहुत अच्छा स्वाद था। मैं उसे अपनी जुबान से चोदने लगा, वो पागल सी होगी। उसने मेरा मुँह दबा दिया अपनी चूत पर और वो झड़ गई। मैंने उससे कहा- मेरा लण्ड चूसो !

तो उसने कहा- आ लेट जा मेरे राजा !

और उसने मेरा लण्ड चूसना शुरू किया। वो बहुत अच्छे से चूस रही थी। उसने मेरा लण्ड अपने मुँह से निकाला और कहा- अब चोद दो बस ! अब नहीं रहा जाता !

तो मैंने भी कहा- लेट जा मेरी रानी।

वो बिस्तर पर लेट गई। मैंने उसका एक पैर अपने कंधे पर रखा और अपना लण्ड उसकी चूत के मुँह पर रखा और हल्का सा जोर लगाया पूरा लण्ड उसकी चूत में सरकता चला गया। मैंने उसे धीरे धीरे चोदना शुरू किया।

वो आह आह की आवाजें निकाले जा रही थी और मैं उसे चोद रहा था।

उसने कहा- और जोर से चोदो ! मेरा निकलने वाला है !

तो मैंने जोर से उसे चोदना शुरू किया। थोड़ी ही देर में उसका सारा पानी निकल गया। पर मैंने उसे चोदना जारी रखा, थोड़ी ही देर में मेरा भी निकलने ही वाला था तो मैंने कहा- कहाँ निकालूँ?

तो उसने कहा- मुँह में ! चूत में मत निकालना।

मैंने तुरंत अपना लण्ड निकला और उसके मुँह दे दिया। वो उसे मुँह में लेकर चूसने लगी और थोड़ी ही देर में उसका मुँह गर्म-गर्म पानी से भर गया।

हमारा ये चुदम-चुदाई का खेल फिर चलता ही रहा। अब उसके घर वाले जब भी बाहर जाते वो मुझे बुला लेती।

एक दिन की बात है मैं उसे चोद रहा था कि अचानक उसकी छोटी बहन जो ग्यारहवीं में थी स्कूल से जल्दी लौट आई। उसके आने से हम दोनों की हालत ख़राब हो गई।

उसने अदिति से कहा- मैं मम्मी-पापा को सब बता दूंगी !

तो अदिति ने कहा- मत बताना, मैं हाथ जोडती हूँ।

तो थोड़ा सोचने के बाद वो बोली- ठीक है, पर मुझे भी वो करना है जो आप कर रही थी।

उसका कहना ही था कि मेरा लण्ड जो डर के मारे बैठ गया था दुबारा तन गया।

अदिति ने कहा- आओ, जरा इसकी भी चुदाई कर दो।

तो पहले मैं बता दूँ कि श्रुति, यानि अदिति की बहन सुन्दर तो बहुत थी। वो अपने स्कूल के कपड़ों में थी, सफ़ेद शर्ट, नीली स्कर्ट, बेल्ट, काले जूते। मैं उसके पास गया और उससे पूछा- तुमने पहले किया है क्या?

तो उसने कहा- नहीं !

तो मैं मन ही मन खुश हुआ कि एक कुंवारी चूत मिलेगी।

मैंने अदिति से कहा- जरा देखना इसे दर्द न हो।

मैंने उसे अपनी गोद में बैठाया और उसे चूमने लगा। क्यूंकि वो स्कूल से आई थी तो वो पसीने से भीगी थी पर उसकी पसीने की गंध भी मुझे बहुत उत्तेजित कर रही थी। मैंने अपना हाथ उसकी स्कर्ट में डाला और उसकी मुलायम मुलायम जांघों को सहलाने लगा। वाह क्या जांघे थी उसकी !

मैंने उसकी बेल्ट और स्कर्ट उतार दी। उसने काली पैंटी पहनी थी। इतने में अदिति ने उसकी शर्ट और ब्रा भी उतार दी, उसकी चूचियाँ छोटी थी पर बहुत प्यारी थी।

अदिति तब तक उसके होंठ चूस कर उसे गर्म करने लगी। मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया। उसकी चूत पर बहुत बाल थे जैसे उसने कभी काटे ही न हो। मैंने फिर भी उसकी चूत चाटी। चूत चाटनी शुरू ही की थी कि मानो उसे कर्रेंट लग गया, उसने जोर से आह की। शायद उसे अच्छा लगा। मैं जोर जोर से चाटने लगा।

थोड़ी देर बार अदिति ने उससे कहा- लण्ड चूसो !

तो उसने मना कर दिया- उसे भी कोई चूसता है क्या?

तो अदिति ने लण्ड चूस कर उसे दिखाया। थोड़ी देर बाद श्रुति ने भी मेरा लण्ड चूसा। उसे फिर मैंने बाँहों में उठाया और बिस्तर पर ले गया। वो देखते ही बनती थी, मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा वो आह-आह कर रही। मैंने अदिति को इशारा किया और उसने श्रुति का मुँह जोर से पकड़ लिया और मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया। उसकी आँखें आँसुओं से भर गई, उसकी चूत से खून निकलने लगा। अब मैं धीमे धीमे लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। उसे भी अब मज़ा आ रहा था। क्यूंकि वो पहली बार कर रही थी वो थोड़ी ही देर में स्खलित हो गई। पर मेरालण्ड तो अभी भी खड़ा था। तो मैंने अदिति को चोद कर अपने लण्ड का पानी निकाला।

उसके कुछ दिनों तक मैं दोनों को चोदता रहा। पर उनके पापा का ट्रान्सफर हो जाने के कारण वो शहर के बाहर चली गई। आज दो साल के बाद भी मुझे उनकी याद आती है। पर अब मेरे से चुदने वालों की सूचि बहुत बढ़ गई।

No comments:

Post a Comment