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Wednesday, August 15, 2012

गाँड़ गोलियों से छलनी कर दूँगा


गाँड़ गोलियों से छलनी कर दूँगा

एक गाँव में शेर का आंतक था। शेर को मारने के लिए शहर से एक बड़े शिकारी भोसड़ोलाल चोदरे को बुलाया गया। भोसड़ोलाल को शेर मारने का लंबा अनुभव था। उसके आते ही गाँव मे ख़ुशी की लहर फैल गई। भोसड़ोलाल ने कहा, "मुझे शेर को मारने के लिए गाय की खाल चाहिए, मैं उस खाल में अपनी बंदूक ले कर छिप जाऊंगा और जंगल में जा कर शेर को ढूँढ़ूंगा। शेर मुझ पर जैसे ही हमला करेगा, मैं उसकी गाँड़ गोलियों से छलनी कर दूँगा। मैं रात 7 बजे उसका शिकार करने निकलूँगा, और तुम लोग दो घंटे मेरा इंतज़ार करना, अगर मैं वापस नहीं आया तो मेरी तलाश में लग जाना"

गाँववालों को यह उपाय जँच गया। उन्होंने भोसड़ोलाल की ज़रूरत की सामग्री इकठ्ठी कर ली। सारा सामान ले कर, और गाय की खाल पहनकर भोसड़ोलाल 7 बजे जंगल चला गया। दो घंटे बीत गए, भोसड़ोलाल नहीं आया, चार घंटे बीत गए भोसड़ोलाल वापस नहीं आया। गाँववालों ने निर्णय लिया कि वे भोसड़ोलाल को ढूँढ़ने जंगल जाएंगे।

जंगल के रास्ते पर उन्हें, पहले भोसड़ोलाल का मोज़ा दिखाई पड़ा, फिर उसकी टोपी, और फिर बंदूक। थोड़ा और आगे जाने पर भोसड़ोलाल गाय की खाल में लिपटा ज़मीन पर गिरा दिखाई दिया। गाय की खाल में उसकी चूत की जगह से बहुत सारा ख़ून निकल रहा था। भोसड़ोलाल अधमरा पड़ा हाँफ रहा था। गाँववालों को कुछ समझ नहीं आया कि माजरा क्या है। उन्होंने भोसड़ोलाल से पूछा, "क्यों चोदरे साहब सब ठीक तो है न, क्या शेर मारा गया और आपकी ये हालत किसने की?"

भोसड़ोलाल ने कहा, "तुम्हारी और तुम्हारे शेर की माँ की चूत,बहन के लौड़ों पहले बताओ कि मेरे पीछे सांड किसने छोड़ा था

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