Pages

Wednesday, August 15, 2012

मेरी चूत लाजवाब है

कविताओं से भी अधिक मेरी चूत लाजवाब है जिसमे बसंत लेता है अंगडाई रस का झरना बहता बेताब है हर मौसम जगता है, जादू जगाता है जब भी कोई मस्ताना लंड इसे बेमुरव्वत चोद जाता है |

No comments:

Post a Comment