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Wednesday, August 15, 2012

मुझे गाँड़ मरवानी है


मुझे गाँड़ मरवानी है

एक समलैंगिक आदमी लंड की तलाश में इधर-उधर घूमता रहता है, उसे गाँड़ मरवाने की तलब लगी होती है। घूमते-घूमते उसकी नज़र एक बोर्ड पर पड़ती है, जिस पर लिखा होता है, "आईए, 500 रूपए में अपनी गाँड़ मरवाइए"

उसकी आँखों में चमक आ जाती है, सोचता है, अब तो यहीँ आया करूँगा, रोज़-रोज़ किसी को खोजने में बहुत समय बर्बाद हो जाता है।

काउंटर पर जा कर वह कहता है, "मुझे अच्छी तरह गाँड़ मरवानी है"

काउंटर पर बैठा व्यक्ति उससे 500 रुपए ले लेता है, और काउंटर की खिड़की बंद कर देता है।

वह आदमी बाहर चार घंटे इंतज़ार करता है, लेकिन काउंटर की खिड़की नहीं खुलती। जब उससे रहा नहीं जाता, तो ग़ुस्से से काउंटर की खिड़की पर दस्तक देता है।

काउंटर में बैठा व्यक्ति फिर खिड़की खोलता है, और पूछता है, "बताइए मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ?"

आदमी ग़ुस्से से आगबबूला होते हुए कहता है, "सुना नहीं, मुझे गाँड़ मरवानी है"

काउंटर पर बैठा व्यक्ति कहता है, "क्या कहा, फिर से मरवानी है, मन नहीं भरा क्या?"

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